देहरादून । धामी सरकार के निर्देश पर आज हरिद्वार जिले में 9 और अवैध मदरसों में तालाबंदी कर सील लगा दी गई। ये अवैध मदरसे सरकार को मिली सत्यापन रिपोर्ट के बाद सील किए गए है। हरिद्वार के उप जिलाधिकारी मनीष सिंह ने जानकारी देते हुए बताया जिला प्रशासन ने आज 8 अवैध मदरसे सील किए है ,जिले में अबतक 10 अवैध मदरसे सील कर दिए गए है।
इन मदरसों पर हुई कार्रवाई
उप जिलाधिकारी ने जानकारी दी कि जिन मदरसों को सील किया गया, उनमें मदरसा इस्लामिया अरबिया फैजानूल कुरान (सिकंदरपुर भैंसवाल), जामिया फैरूल उलूम (ग्राम शिर चांदी), मदरसा जामिया अरबिया सुलेमानिया (बढ़ेगी बुजुर्ग), मदरसा जामिया तालीमुल कुरान (सिकंदरपुर भैंसवाल), और मदरसा दारुल कुरान (चान चक) शामिल हैं। उन्होंने कहा कि इन मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए उन्हें पंजीकृत शिक्षण संस्थानों या सरकारी स्कूलों में भर्ती कराने की योजना तैयार की जा रही है।
पौड़ी गढ़वाल और देहरादून में भी सख्ती
पौड़ी गढ़वाल के जिलाधिकारी आशीष चौहान ने बताया कि उनके जिले में दो अवैध मदरसे चिन्हित किए गए थे, जिनमें से एक को पहले ही सील किया जा चुका है। वहीं, देहरादून के सहसपुर परगना क्षेत्र में एक मदरसे पर अवैध निर्माण की शिकायत के बाद एसडीएम विनोद कुमार ने संचालकों को नोटिस जारी किया है। इस मदरसे ने बिना प्राधिकरण की अनुमति के तीसरी मंजिल का निर्माण कराया था।
उत्तराखंड में 500 से अधिक अवैध मदरसे चिन्हित
शासन से प्राप्त जानकारी के अनुसार, उत्तराखंड में अब तक 119 अवैध मदरसों को सील किया जा चुका है। राज्य में कुल 500 से अधिक अवैध मदरसे चिन्हित किए गए हैं, जबकि उत्तराखंड मदरसा बोर्ड में 416 मदरसे पंजीकृत हैं। यह संख्या अवैध मदरसों से अलग है। सरकार का कहना है कि यह कार्रवाई नियमों का पालन सुनिश्चित करने और बच्चों के शिक्षा के अधिकार को सुरक्षित करने के लिए की जा रही है।
बाल सुधार संरक्षण आयोग ने भी उठाया कदम
अवैध मदरसों के खिलाफ न केवल प्रशासन, बल्कि बाल सुधार संरक्षण आयोग भी सख्त रुख अपनाए हुए है। हाल ही में मुस्लिम बस्ती में संचालित एक मॉडर्न मदरसा/विद्यालय की शिकायत पर आयोग ने सुनवाई की। शिकायतकर्ता ने बच्चों के भविष्य को लेकर चिंता जताई थी, क्योंकि इस विद्यालय के पास आवश्यक मानकों की पूर्ति न होने के कारण कोई मान्यता प्राप्त नहीं है। इससे वहां पढ़ने वाले बच्चों को आगे की पढ़ाई के लिए अन्य स्कूलों में दाखिला लेने में कठिनाई हो रही है।
आयोग की अध्यक्ष डॉ. गीता खन्ना ने विद्यालय प्रतिनिधियों को निर्देश दिया कि वे जल्द से जल्द मानकों को पूरा कर मान्यता प्राप्त करें। साथ ही, जब तक मान्यता नहीं मिलती, तब तक ब्लॉक एजुकेशन ऑफिसर बच्चों को अन्य मान्यता प्राप्त स्कूलों में प्रवेश दिलाने में सहायता करेंगे।
यह कार्रवाई धामी सरकार के उस संकल्प को दर्शाती है, जो देवभूमि उत्तराखंड की सांस्कृतिक पहचान और कानून के शासन को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है। बता दें कि अवैध मदरसे न केवल शिक्षा के क्षेत्र में अनियमितता फैलाते हैं, बल्कि सांस्कृतिक मूल्यों पर भी सवाल उठाते हैं। यह कदम राज्य में नियम-कानून के प्रति सरकार की सख्ती और बच्चों के भविष्य को सुरक्षित करने की दिशा में एक बड़ा प्रयास माना जा रहा है।
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