कालकाजी मंदिर दिल्ली का एक प्रमुख और प्रसिद्ध मंदिर है, जो देवी कालका को समर्पित है। देवी कालका, देवी दुर्गा के एक रूप मानी जाती हैं। यह मंदिर अरावली पर्वत की सूर्यकूट पहाड़ी पर स्थित है और इसे देश के प्राचीन सिद्धपीठों में गिना जाता है। नवरात्रि के दौरान यहां लाखों श्रद्धालु माता के दर्शन करने आते हैं।
इस मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है। माना जाता है कि इस स्थान पर देवी भगवती ने महाकाली के रूप में राक्षसों का संहार किया था, तभी से यह मंदिर मनोकामना सिद्धपीठ के रूप में प्रसिद्ध हुआ। इस मंदिर की स्थापना बाबा बालकनाथ ने की थी। महाभारत काल में भी भगवान श्री कृष्ण ने पांडवों के साथ युद्ध से पहले यहां देवी भगवती की पूजा की थी।
मंदिर के महंत के अनुसार, जब देवताओं को राक्षसों द्वारा सताया गया था, तो उन्होंने इस स्थान पर शिव की पूजा की। इसके बाद माता पार्वती ने महाकाली को प्रकट किया, जिन्होंने रक्तबीज राक्षस का वध किया। माता भगवती ने यह आशीर्वाद दिया कि जो भी यहां भक्ति से पूजा करेगा, उसकी मनोकामनाएं पूरी होंगी।
कालकाजी मंदिर के मुख्य भवन में 12 द्वार हैं, जो 12 महीनों का प्रतीक हैं। इन द्वारों के पास माता के विभिन्न रूपों की तस्वीरें लगी हुई हैं। मंदिर के परिक्रमा मार्ग में 36 मातृकाओं के प्रतीक हैं, जो हिंदी वर्णमाला के अक्षरों का प्रतिनिधित्व करते हैं। मान्यता है कि ग्रहण के समय सभी ग्रह इस मंदिर के अधीन होते हैं और इस कारण से अन्य मंदिरों के बंद होने के बावजूद कालकाजी मंदिर खुला रहता है।
यह मंदिर “मनोकामना मंदिर” के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि यहां लोग अपनी इच्छाएं पूरी करने के लिए आते हैं। दिल्ली में मेट्रो द्वारा कालकाजी मंदिर तक पहुंचा जा सकता है। वायलेट लाइन मेट्रो से कालकाजी मेट्रो स्टेशन उतरकर मंदिर तक आसानी से पहुंचा जा सकता है। इसके अलावा, दिल्ली परिवहन निगम की बसों, टैक्सियों और निजी वाहनों से भी यहां पहुंचा जा सकता है। यह मंदिर दिल्ली के प्रसिद्ध नेहरू प्लेस के पास स्थित है, जो ओखला और कालकाजी मेट्रो स्टेशन के बीच आता है।
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