उत्तराखंड

उत्तराखंड: सहसपुर के जामी उल उलूम मदरसा ने बिना अनुमति बना डाली एक मंजिल

इस मंजिल के निर्माण और पूर्व निर्माण संबंधी कोई अनुमति मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण से नहीं ली गई है। आम तौर पर अनुमति इस लिए नहीं ली जाती जब भूमि या अन्य दस्तावेजों में प्रमाणिकता की कमी हो।

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उत्तराखंड ब्यूरो

देहरादून: कुछ माह पहले जिले के सहसपुर क्षेत्र का एक मदरसा जिसका नाम जामी उल उलूम है, चर्चाओं में आया था। वजह थी इस मदरसे में लगी पानी की टंकी सरकारी थी या निजी तौर पर इसको बनाया गया, टंकी के ऊपर लाउड स्पीकर भी लगे थे, जिन्हें बाद में प्रशासन ने उतरवा दिया था। ये खबर सुर्खियों में रही सोशल मीडिया पर खूब वायरल भी हुई।

पानी की टंकी को लेकर प्रशासन ने क्या जांच पड़ताल की? कोई बात सामने नहीं आई। यदि पानी की टंकी, मदरसे की निजी थी तो क्या मदरसा इंतजामिया कमेटी ने प्राधिकरण से इसके निर्माण की अनुमति ली हुई थी? क्योंकि मामला यहां तालीम ले रहे बच्चों की सुरक्षा से जुड़ा हुआ था। मदरसे के निर्माण भी कथित रूप से कुछ हिस्सा सरकारी भूमि पर कब्जा करके किया गया था।

ये सवाल अभी तक उत्तर खोज रहे थे कि मदरसा इंतजामिया कमेटी ने बेखौफ होकर मदरसे एक और मंजिल बना डाली।
मदरसे की जो एक तस्वीर है वो करीब साल भर पुरानी है, जिसमें वो मंजिल अधूरे निर्माण की दिखाई दे रही है। दूसरे तस्वीर ऐसी है जिसमें निर्माण कार्य हो चुका है। यानि तस्वीरें बोल रही है कि यहां एक मंजिल और तैयार कर ली गई है। सहसपुर ये मदरसा ऐसा है जहां नमाज भी अता की जाती रही है। बताया जाता है कि ये पहले मस्जिद ही थी बाद में इसमें मदरसा खोला गया। ये मदरसा सहसपुर ही नहीं बल्कि, देहरादून जिले के सबसे बड़े मदरसों में से एक है।

जानकारी के मुताबिक, इस मंजिल के निर्माण और पूर्व निर्माण संबंधी कोई अनुमति मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण से नहीं ली गई है। आम तौर पर अनुमति इस लिए नहीं ली जाती जब भूमि या अन्य दस्तावेजों में प्रमाणिकता की कमी हो। प्रशासनिक अनुमति के लिए दस्तावेज पूरे होने जरूरी है। अनुमति न लेने का एक कारण ये भी है कि दस्तावेज दिखाने पर पता चल जाएगा कि कितनी सरकारी भूमि पर अवैध कब्जा किया हुआ है। इस मदरसे का एक दरवाजा पीछे सूखी नदी की तरफ खुलता है। बताया गया है कि उक्त नदी श्रेणी की जमीन पर ही अवैध कब्जा कर मदरसे  भवन को विस्तार दिया गया है।

सुप्रीम कोर्ट का निर्देश है कि 2009 के बाद कोई भी धार्मिक स्थल बिना डीएम की अनुमति के बगैर नहीं बनाया जा सकता। ये मदरसा और मस्जिद दोनों है इस लिए यहां किसी भी निर्माण के लिए प्रशासन की अनुमति आवश्यक है। बहरहाल ये मदरसा एक बार फिर सुर्खियों में है, क्या यहां हो रहा निर्माण अवैध है? इस बारे में जांच पड़ताल जरूरी है।

प्राधिकरण ने जारी किया नोटिस

इस मदरसे में निर्माण के बारे में जब एसडीएम विनोद कुमार से जानकारी मांगी गई तो उनका कहना था कि प्राधिकरण द्वारा मदरसा इंतजामिया कमेटी को नोटिस जारी किया गया है।

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