डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका के राष्ट्रपति बनने के बाद से लगातार अमेरिकी सरकार ऐसे तत्वों के खिलाफ कदम उठा रही है, जो देश की सुरक्षा के लिए खतरा बने हुए हैं। इसी क्रम में ट्रंप प्रशासन ने जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी से रिसर्च कर रहे भारतीय शोध छात्र बदर खान सूरी को हमास से संबंधों के मामले में किया। सरकार उसे अमेरिका से निर्वासित करने की तैयारी में थी, लेकिन अमेरिका की एक जिला अदालत ने इस पर रोक लगा दी है। ये आतंकवादियों से निपटने के लिए ट्रंप प्रशासन की कोशिशों को बड़ा झटका है।
रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, गुरुवार को ही वर्जीनिया प्रांत के एलेक्जेंड्रिया में यूएस डिस्ट्रिक्ट जज पैट्रिशिया गिल्स ने संघीय अधिकारियों को बदर खान सूरी को निर्वासित करने से रोक दिया है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि यह आदेश तब तक प्रभावी रहेगा, जब तक कि अदालत खुद अपने फैसले को वापस नहीं ले लेती।
असहमति की आवाज को दबाने का आरोप
अदालत में सुनवाई के दौरान सूरी के मामले में वरिष्ठ अप्रवासी अधिकारों के लिए काम करने वाली वकील सोफिया ग्रेग का आरोप है कि किसी को उसके घर से दूर करना, उसका इमिग्रेशन छीनना या निर्वासन की प्रक्रिया शुरू करना ट्रंप प्रशासन की असहमति की आवाज को दबाने की कोशिश है। सोफिया ग्रेग का कहना है कि ये पूरी तरह से असंवैधानिक है।
क्या है पूरा घटनाक्रम
सूरी अमेरिका में पढ़ने के लिए गया था। वहां वो स्टूडेंट एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत अमेरिका की जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी का छात्र है। वह सेंटर फॉर मुस्लिम-क्रिश्चियन अंडरस्टैंडिंग में पोस्टडॉक्टोरल फैलो के तौर पर स्टडी कर रहा है। वह लगातार इजरायल का विरोध कर रहा था और आतंकी संगठन हमास के लिए कार्य कर रहा था। वह सोशल मीडिया के जरिए हमास के प्रति अपने प्रेम को जाहिर कर रहा था। उसे लगा था कि अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर वो अपने प्रोपेगेंडा को जारी रख सकता है, लेकिन सरकार बदलते ही ट्रंप प्रशासन ने ऐसे तत्वों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी।
हमास के आतंकी से है घनिष्ठ संबंध
अमेरिकी अधिकारियों ने दावा किया है कि अध्ययन के साथ ही विश्वविद्यालय में अध्यापन कर रहे बदर खान के एक ज्ञात या फिर संदिग्ध आतंकी से घनिष्ठ संबंध हैं, जो कि हमास का सीनियर एडवाइजर है। इसके अलावा सूरी की बीवी मफेज सालेह, जो कि एक अमेरिकी नागरिक है, उस पर भी गंभीर आरोप लगे हैं। सरकार को संदेह है कि वह और उनकी पत्नी इजराइल के प्रति अमेरिकी विदेश नीति का विरोध करते हैं। साथ ही कुछ वेबसाइटों पर मफेज सालेह के हमास के साथ संबंध होने का आरोप लगाया गया है। वह अल जजीरा के लिए काम कर चुकी हैं।
ससुर रह चुका है हमास का सलाहकार
पोलिटिको में 2018 में एक लेख छपा था, जिसमें मफेज के अब्बू के बारे में दावा किया गया था अहमद यूसुफ आतंकी संगठन हमास का वरिष्ठ राजनीतिक सलाहकार हुआ करता था। ऐसे में सरकार को इस बात का संदेह है कि बीवी और शौहर दोनों ही हमास के लिए काम कर रहे थे।
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