भारत में अब औरंगजेब की संतानें भले ही दफन हो गई हों, किंतु उस जिहादी सोच से संचालित नफरती इतने अधिक पैदा हो गए हैं कि वे सच को स्वीकारना तो दूर, उसके कहे जाने पर पत्थर बरसाने और भयंकर हिंसा करने पर उतारू हो जाते हैं। महाराष्ट्र में क्रूर आक्रांता औरंगजेब की कब्र हटाने का विवाद तो एक बहाना है, जैसे कि हिंसा करने के लिए समय-समय पर अन्य बहानों का सहारा लिया गया, असल में उन्हें तो हिन्दू घर और दुकानों में आग लगाना है। हिन्दुओं की संपत्ति को अधिक से अधिक नष्ट करना है, हिन्दुओं को मारना है, यहां तक कि सुरक्षा में लगी पुलिस को भी अपनी हिंसा का शिकार बनाना है।
इन हिंसक गतिविधियों को देखकर यही लगता है कि ये सभी वे लोग हैं जो कि इस्लाम के नाम पर औरंगजेब की तरह ही सिर्फ मजहबी आधार पर नफरत के बीज बो रहे हैं। इनकी नजर में गैर मुसलमान होना ही अपराध है, जैसे कभी औरंगजेब समेत मुगलों और उसके पहले भारत आए इस्लामिक आक्रान्ताओं का इतिहास रहा है।
नागपुर महाराष्ट्र में जो हुआ, उसके एक के बाद एक साक्ष्य ठीक वैसे ही सामने आ रहे हैं, जैसे कि मध्य प्रदेश के महू में हुई कट्टरपंथियों की हिंसा हो या अन्य स्थानों पर अचानक से भीड़ की शक्ल में आकर धावा बोलने वाले इस्लामवादियों का आतंक सामने आता रहा है। पत्थरबाजी करने वाली भीड़ ने चुन-चुनकर हिंदुओं की संपत्तियों को निशाना बनाया। तलवारों से दरवाजों को काटने की कोशिश की।
जिन्हें नहीं काट पाए, वहां तेल डालकर आग लगा दी। गाड़ियों को फूँक दिया। पहचान करते हुए एक भी मुस्लिमों के घर, दुकान, गाड़ियों को छुआ तक नहीं गया। इन जिहादियों ने पहले सारे कैमरे तोड़े, फिर हथियारों के साथ प्लानिंग से हिंसा को अंजाम दिया। इस पर भी आरोप लगाने वाले नागपुर हिंसा पर उल्टे हिन्दू समाज को खासकर को ही दोषी ठहरा रहे हैं कि क्यों वे औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग कर रहे हैं। इससे मुसलमानों की भावनाएं आहत हुईं।
कहा जा रहा है कि विश्व हिंदू परिषद ने औरंगजेब की कब्र हटाने की माँग को लेकर प्रदर्शन किया और औरंगजेब का पुतला जलाया, जिसमें यह अफवाह फैली कि कुरान जला दी गई है। उसमें हरा कपड़ा जैसी आपत्तिजनक सामग्री थी। पुलिस ने इसे झूठ बताया, पर मुस्लिम भीड़ ने इसे बहाना बनाकर हिंसा शुरू कर दी। सोचने वाली बात है कि हरा कपड़ा कैसे आपत्तिजनक सामग्री हो गई? लेकिन नहीं; उन्हें तो हिंसा करनी है और वह कर दी! नागपुर के इलाके महल, कोतवाली, गणेशपेठ और चिटनिस पार्क से कट्टरपंथी जिहादी नकाबपोश सड़कों पर उतरे और लाठियों, पत्थरों, बोतलों और पेट्रोल बम से एक-एक को चिन्हित कर हिन्दू घर, दुकान, उनकी गाड़ियों पर हमला करने लगे! समझ नहीं आता; जब औरंगजेब तुम्हारा बाप-दादा नहीं फिर उनके लिए इतनी हमदर्दी क्यों? क्या इसलिए कि वह गैर मुसलमानों को बर्दाश्त नहीं करता था ?
इतिहास औरंगजेब के अत्याचारों से भरा पड़ा है, जिस पिता ने पैदा किया, उसे ही इतने बुरे हाल में रखा गया था कि आखिर उस पिता शाहजहां को अपनी आत्मकथा ‘शाहजहांनामा’ में कहना ही पड़ा, ‘‘खुदा करे कि ऐसी औलाद किसी के यहां पैदा ना हो। औरंगजेब से अच्छे तो हिंदू हैं, जो अपने माता-पिता की सेवा करते हैं और उनकी मृत्यु के बाद तर्पण करते हैं।” औरंगजेब ने शाहजहां को आगरा के किले में कैद करके रखा था और उन्हें पानी तक के लिए तरसाया था। केवल पिता ने ही उसके बारे में बुरा नहीं लिखा, बल्कि जो औरंगजेब के साथ रहते थे, उनके लिखे एवं अन्य लोगों के कई वर्णन मौजूद हैं।
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