देहरादून: पिछले साल एक खबर ने उत्तराखंड की धामी सरकार को चौंका दिया था, जिसमें हरिद्वार जिले के मदरसों में हिंदू छात्रों के होने का उल्लेख किया गया। ये सूचना एक पत्र के माध्यम से बाल अधिकार संरक्षण आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष प्रियंक कानूनगौ के द्वारा उत्तराखंड सरकार को मिली थी।
इस सूचना के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य में चल रहे मदरसों के सत्यापन करने के निर्देश दिए। दो चरणों में हुई जांच में ये जानकारी मिली है कि उत्तराखंड मदरसा बोर्ड में जितने मदरसे पंजीकृत है उससे कहीं अधिक अवैध मदरसे राज्य में चल रहे है।
जानकारी में एक और महत्वपूर्ण विषय ये भी सामने आया है कि इन अवैध मदरसों में ऐसे छात्र भी है जो कि बाहरी राज्यों जैसे असम, झारखंड, बंगाल, छत्तीसगढ़, यूपी, बिहार से यहां लाकर पढ़ाए जा रहे हैं और इनकी संख्या सैकड़ों में नहीं हजारों में बताई जा रही है।
फर्जी आधार कार्ड बना कर इन्हें यहां रखा गया है। इस बात की पुष्टि तब हुई जब राजधानी देहरादून में ही आजाद कालोनी के एक अवैध मदरसे में बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डा गीता खन्ना ने छापा मारा। इस मदरसे में मिली खामियों के बाद देहरादून पुलिस में प्रथम सूचना रिपोर्ट भी दर्ज की गई।
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देहरादून ही नहीं उधम सिंह नगर जिले में चल रहे अवैध मदरसों में भी बाहरी राज्यों के बच्चे होने की जानकारी सामने आई है।
महत्वपूर्ण बात ये है कि उत्तराखंड में 416 पंजीकृत मदरसे चल रहे है, जिनमें करीब 46 हजार बच्चे पढ़ते है जबकि अवैध रूप से चल रहे मदरसों की संख्या 529 बताई गई है और इनमें भी करीब इतनी की संख्या है। अवैध मदरसा संचालकों अपना पंजीकरण क्यों नहीं कराते? इस पर जानकारी मिली है कि उन्हें फिर राज्य सरकार द्वारा निर्धारित पाठ्यक्रम पढ़ाना पड़ेगा, संचालकों को मिलने वाले चंदे या अन्य सहायता का हिसाब किताब सरकार को देना पड़ेगा और एक विद्यालय के लिए बने नियम,कानून अथवा गाइड लाइंस का पालन करना पड़ेगा।
मदरसा इंतजामिया कमेटी के कुछ कर्ताधर्ता ऐसे है जो कि बच्चों के तालीम के नाम पर जिस तरह से फंड एकत्र कर रहे है वो अपने ऊपर ज्यादा खर्च करके ऐशो आराम की जिंदगी गुजार रहे हैं। ये बात भी सामने आई है कि यूपी की योगी सरकार ने इन अवैध मदरसों के खिलाफ सख्ती की तो ये उत्तराखंड के बॉर्डर जिलों में आकर स्थापित हो गए। उत्तराखंड में डेमोग्राफी चेंज को लेकर शोर शराबा हो रहा है। बाहरी राज्यों के बच्चे यहां लाकर पढ़ाए जा रहे है कल वो यहां के स्थाई निवासी होने का दावा करेंगे जिनकी संख्या हजारों में पहुंचेगी।
ये ही समस्या उत्तराखंड की धामी सरकार के आगे आ रही है, जिसके बाद से अवैध मदरसों को सील करने का अभियान छेड़ा गया है। गृह विभाग सूत्रों के मुताबिक हर जिले में एक टीम गठित है जो कि अवैध मदरसों के बारे में जांच पड़ताल कर रही है, जिसमें ये देखा जा रहा है कि अवैध मदरसों का भू स्वामित्व क्या है? क्या ये सरकारी जमीन पर कब्जे कर बनाए गए है ?यहां पढ़ने वाले बच्चों के सत्यापन हुआ कि नहीं है? इन सभी पहलुओं को ध्यान में रख कर आगे कारवाई की जाएगी। बहरहाल, धामी सरकार की इस सख्त कारवाई को लेकर मुस्लिम संगठन आंदोलन भी कर रहे है। जबकि सरकार का कहना है कि अवैध मदरसों के खिलाफ सीलिंग की कारवाई की जा रही है, पंजीकृत मदरसों को कुछ नहीं कहा जा रहा है।
अवैध मदरसों में पढ़ने वाले स्थानीय बच्चों को सरकारी स्कूलों में दाखिला दिया जाएगा। जानकारी के मुताबिक, धामी सरकार ने अब तक करीब सौ मदरसों को सील कर दिया है। शेष के खिलाफ कार्रवाई जारी है। मुख्यमंत्री पुष्कर धामी स्पष्ट कह चुके हैं कि अवैध मदरसों के खिलाफ सख्त कारवाई होगी। सरकारी भूमि से अतिक्रमण हटाया जायेगा। श्री धामी का ये अभियान, पूर्व में अवैध मजारों के खिलाफ चलाए गए अभियान की तरह प्रतीत हो रहा है। उल्लेखनीय है कि राज्य में धामी सरकार ने 530 अवैध मजारों को ध्वस्त किया था।
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