विश्लेषण

चुनाव आयोग का बड़ा धमाका, अवैध मतदाताओं पर निर्णायक कदम

चुनाव आयोग आधार और वोटर आईडी को लिंक करने की तैयारी कर रहा है। इससे फर्जी मतदाता बेनकाब होंगे। ममता बनर्जी सहित विपक्ष इस फैसले का विरोध कर रहा है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट

Published by
अभय कुमार

चुनाव आयोग आधार कार्ड और एपिक यानी इलेक्शन फोटो आइडेंटिटी कार्ड को आपस में जोड़ने का बड़ा कदम उठाने जा रहा है। इसके वास्ते देश के मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार और चुनाव आयुक्तों डॉ. सुखबीर सिंह संधू और डॉ. विवेक जोशी के साथ केंद्रीय गृह सचिव, सचिव विधायी विभाग, इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव, भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और चुनाव आयोग के तकनीकी विशेषज्ञों के साथ बैठक का सिलसिला शुरू कर दिया गया है।

चुनाव आयोग का भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण के साथ बैठक करके सभी एपिक यानी फोटो आइडेंटिटी कार्ड जो हैं, उनको आधार के साथ जोड़ने की ओर लिया गया एक सकारात्मक कदम है। संविधान के अनुच्छेद 326 के अनुसार, मतदान का अधिकार केवल भारत के नागरिक को दिया जा सकता है; आधार कार्ड व्यक्ति की पहचान स्थापित करता है। आर्टिकल 326 चुनाव आयोग को बाध्य करता है कि वह अवैध अप्रवासियों या दूसरे शब्दों में कहें तो फर्जी मतदाताओं को मतदान ना करने दे।

इसी के साथ-साथ अवैध अप्रवासियों के खिलाफ एक बिल ‘इमिग्रेंट एंड फॉरेनर्स बिल’ लाया जा रहा है। अगर इन दोनों नए परिवर्तनों को जोड़कर देखा जाए तो जो कुछ हंगामे हो रहे हैं, क्या उनका भी इसके साथ में कोई संबंध है? वक्फ पर विपक्ष का अचानक मुखर हो जाना, नागपुर में दंगा हो जाना और साथ में आधार और फोटो आइडेंटिटी कार्ड का साथ-साथ जोड़ा जाना – इसमें निश्चित रूप से बहुत बड़ा संबंध है।

हमारे समाज और देश में कई लोगों ने अलग-अलग क्षेत्रों में वोटर पहचान पत्र बनवा रखा है। वैसे मतदाता अवसर ढूंढते हैं, विशेषकर ऐसे अवसरों पर जब कई चरणों में चुनाव संपन्न होते हैं, ताकि उन्हें कई स्थानों पर जाकर मत डालने का अवसर मिल जाए।

यह समस्या पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में ज्यादा विद्यमान है। असम और पश्चिम बंगाल में ऐसे लोगों के बीच हाहाकार मचा हुआ है। इस समय हाहाकार मचने का कारण यह है कि एक खास समुदाय के समक्ष दो खतरे उत्पन्न हो गए हैं।

यदि वे अपना फर्जी आधार कार्ड शेयर करते हैं, क्योंकि बहुत सारे फर्जी आधार कार्ड बने हुए हैं और उनके आधार पर उन्होंने इलेक्शन फोटो आइडेंटिटी कार्ड बनवा लिया है। अगर आधार कार्ड के साथ EPIC को जोड़ा जाता है और आधार कार्ड की सत्यता की जांच की जाती है, तो यह तुरंत पकड़ में आ जाएगा कि यह फर्जी है।

अब यूआईडीएआई इतना सक्षम हो चुका है कि फर्जी आधार कार्ड तुरंत पकड़ा जाएगा। यदि फर्जी आधार कार्ड देने के बाद कोई व्यक्ति पहचान पत्र नहीं देता है, तो यह एनआईए (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) का मामला बन जाएगा। क्योंकि यदि फर्जी मतदाता कहीं पाए जाते हैं या उनकी संख्या बहुत अधिक है, तो यह पूरी तरह से एनआईए के क्षेत्राधिकार में आ जाएगा। अंततः यह सुरक्षा का मामला बन जाएगा।

इन कदमों की आहट के कारण ही पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का हाल के दिनों में केंद्र सरकार के प्रति गुस्सा भरा रवैया देखने को मिला है। हाल ही में ममता बनर्जी इफ्तार के लिए फुरफुरा शरीफ गई थीं। ममता बनर्जी का यह दौरा इंडियन सेक्युलर फ्रंट के नेता सिद्दीकी से मुलाकात के कुछ दिनों बाद हुआ है। इंडियन सेक्युलर फ्रंट ने 2021 के विधानसभा चुनावों में वाम दलों और कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था और इस गठबंधन में केवल इंडियन सेक्युलर फ्रंट ने एक सीट जीतकर इस गठबंधन का खाता खोला था।

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