बिहार

मुस्लिम आरोपियों पर कथित दलित संगठन चुप क्यों?

कई बार ऐसा अनुभव किया जाता है कि 'जय भीम, जय मीम' का नारा लगाने वाले कुछ मामलों पर चुप्पी साध जाते हैं।

Published by
संजीव कुमार

कई बार ऐसा अनुभव किया जाता है कि ‘जय भीम, जय मीम’ का नारा लगाने वाले कुछ मामलों पर चुप्पी साध जाते हैं। जब इस भीम (दलित या वंचित वर्ग) के ऊपर मीम (मुस्लिम) का हमला होता है, तो ये लोग ऐसे चुप हो जाते हैं, मानो कुछ हुआ ही नहीं है।
एक ऐसा ही उदाहरण बिहार के गोपालगंज में देखने को मिला। जब लोग होली मना रहे थे, तब गोपालगंज में 80 वर्षीया एक वृद्ध महिला के साथ कुछ मुसलमानों ने बलात्कार किया। वह महिला कथित दलित वर्ग से है। शायद इस कारण इस मामले पर भीम आर्मी के चंद्रशेखर ने कुछ बोला और न ही अन्य किसी दलित संगठन ने।

यह मामला बैकुंठपुर थाना के अंतर्गत पड़ने वाले धर्मवारी गांव का है। वह महिला पशुओं का चारा लेने खेत गई थी। इसी बीच गांव के ही कुछ मुसलमानों ने उसके साथ दुष्कर्म किया और फिर मारपीट भी की। मारपीट इसलिए कि वह इसके बारे में किसी को कुछ न बताए। जब पीड़िता के परिवार वालों को इसकी जानकारी मिली तो उसका पुत्र मुख्य आरोपी छोटे आलम के घर गया। वहां उसने आलम के घर वालों को पूरी घटना के बारे में बताया तो उन लोगों ने उल्टे जातिसूचक गालियां दीं और उसकी तुलना जानवरों से भी की।

यह बिहार की कोई एक अकेली घटना नहीं है। प्रतिवर्ष इस तरह की घटनाएं बिहार के अलग-अलग क्षेत्रों में होती हैं। गत वर्ष 26 नवंबर को बिहार के पश्चिमी चंपारण-बेतिया जिले में 19 वर्षीया एक दलित लड़की के साथ चार मुस्लिम लड़कों ने दुराचार किया था। यह घटना बेतिया के छावनी इलाके के पास वैष्णवी कॉलोनी की थी। पीड़िता अपने दोस्त के साथ वहाँ घूमने गई थी जहां दो मोटरसाइकिलों पर सवार चार लोगों ने लड़की के साथ जबरदस्ती की। इस संबंध में इरशाद कुरैशी(22), मोहम्मद शहजाद(26), बैतुल्लाह खान(28) और फरहान आलम(20) की गिरफ्तारी भी हुई थी।

2024 में ही 22 अप्रैल को मोतिहारी के रक्सौल सीमा पर सीमा सुरक्षा बल के लोगों ने 26 वर्षीय समीर आलम को गिरफ्तार किया था। समीर आलम एक लड़की को नेपाल बेचने ले जा रहा था। लड़की नरकटियागंज की रहने वाली थी। समीर ने अगवा कर उसे मुसलमान बनाया और फिर उसके साथ निकाह किया। निकाह के बाद वह उसे नेपाल ले जा रहा था, तभी उसे पकड़ लिया गया। इससे पहले भी 11 मई, 2022 को उसने इसी प्रकार का कुकृत्य किया था और उसकी तलाशी चल रही थी। समीर के कार्य करने का तरीका केरल स्टोरी की तर्ज पर था। 2022 में ही 21 अक्टूबर को समस्तीपुर में एक दलित युवक से तालिबानी अदालत लगाकर थूक चटवाया गया था। युवक का गुनाह सिर्फ इतना था कि उसने एक मुस्लिम लड़की से प्रेम किया था।

आश्चर्य यह है कि इन घटनाओं पर कभी किसी दलित संगठन ने कोई बयान नहीं दिया। वह भीम आर्मी, जो छोटी—छोटी बात पर हंगामा करती है, उसके संस्थापक चंद्रशेखर रावण ने भी इन पर कभी कुछ नहीं बोला। इसका क्या अर्थ और संदेश है, उसे बताने की जरूरत नहीं है।

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संजीव कुमार