इजरायल में अलग ही प्रकार की सियासी जंग शुरू हो गई है। जिसमें लंबे वक्त से चले आ रहा प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और देश की इंटर्नल खुफिया एजेंसी शिन बेट के प्रमुख के बीच की तनातनी अब चरम पर पहुंच गई है। इस बीच प्रधानमंत्री ने ऐलान किया है कि वे शिन बेट के चीफ रोनेन बार को उनके पद से बर्खास्त कर देंगे। नेतन्याहू के कार्यालय ने कहा है कि इस सप्ताह के अंत में उनकी कैबिनेट इसके लिए मतदान करेगी।
अपने फैसले को लेकर एक वीडियो जारी कर नेतन्याहू ने कहा कि हर पल अस्तित्व के लिए लड़े जा रहे इस युद्ध के दौरान प्रधझानमंत्री और शिन बेट के बीच पूर्ण भरोसा होना चाहिए। लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा नहीं है-मुझे तो ऐसा नहीं लगता है। शिन बेट पर मुझे भरोसा नहीं है। ये अविश्वास समय के साथ बढ़ता ही जा रहा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि मैं शिन बेट के पुरुषों और महिलाओं की सराहना करता हूं और मुझे पूरा यकीन है कि यह कदम एजेंसी के पुनर्वास, हमारे सभी युद्ध लक्ष्यों को प्राप्त करने और दूसरी समस्याओं को रोकने के लिए महत्वपूर्ण है।
अटार्नी जनरल ने कहा-पीएम के पास सीधे बर्खास्तगी का अधिकार नहीं
इस बीच इस मामले देश के अटार्नी जनरल गली बहाराव मियारा ने नेतन्याहू के साथ अधिकारों पर युद्ध छेड़ते हुए कहा कि नेतन्याहू के पास बर्खास्तगी प्रक्रिया को तब तक शुरू करने का कोई अधिकार नहीं है, जब तक कि उनका कार्यालय प्रधानमंत्री के फैसले के पीछे तथ्यात्मक और कानूनी आधार की जांच नहीं कर लेता। अटार्नी जनरल ने स्पष्ट किया कि शिन बेट के प्रमुख का पद प्रधानमंत्री की सेवा करने वाला व्यक्तिगत विश्वास का पद नहीं है।
इससे पहले हो चुकी है तकरार
ये कोई पहली बार नहीं है जब अटार्नी जनरल ने पीएम के साथ अधिकारों का द्वंद किया हो। इसी माह की शुरुआत में भी अटार्नी जनरल ने कहा था कि अगर पीएम शिन बेट के चीफ को हटाना चाहते हैं तो सबसे पहले अटार्नी जनरल के ऑफिस को इसकी समीक्षा करनी होगी, इसके रिजल्ट के आधार पर ही वो ऐसा कर सकते हैं।
नेतन्याहू के समर्थन में उतरे कानून मंत्री
इस बीच देश के कानून मंत्री यारिव लेविन ने तर्क दिया है कि प्रधानमंत्री के पास इसका पूर्ण अधिकार है। उन्होंने शिन बेट के कानून की उदाहरण देते हुए कहा कि एजेंसी का कानून कहता है कि सरकार के पास एजेंसी के प्रमुख की सेवा को बर्खास्त करने का अधिकार है। ये बात अटार्नी जनरल को भी पता होनी चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने अटार्नी जनरल को याद दिलाया कि इजरायल एक लोकतंत्र वाला देश है और अटार्नी जनरल समेत हर कोई कानून के अधीन है। उन्होंने ये भी कहा कि सरकार के अधिकारों को छीनने की धमकियों के सामने झुकने की आवश्यकता नहीं है।
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