ट्रंप की कैबिनेट बैठक के दौरान मार्क रूबियो
रूस और यूक्रेन के बीच चल रही जंग के तीन साल हो गए हैं। लेकिन अभी तक इसका कोई हल नहीं निकल सका है। एक तरफ महाबली रूस है तो दूसरी तरफ नाटो देशों की मदद के बल पर यूक्रेन किसी तरह से युद्ध में बना हुआ है। डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका का राष्ट्रपति बनने के बाद उम्मीद जगी है कि शायद इस जंग का अंत हो। अपनी इसी मंशा के तहत अमेरिका का एक डेलीगेशन रूस पहुंच रहा है। इस डेलीगेशन की अगुवाई अमेरिकी विदेशमंत्री मार्क रुबियो कर रहे हैं।
इस दौरान अमेरिकी दल में डोनाल्ड ट्रंप के खास दूत स्टीव विटकाफ भी हैं। अमेरिकी दलों की कोशिश है कि वो इस दौरान रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात करें औऱ उनसे युद्धविराम को लेकर चर्चा करें। फिलहाल ये चर्चा 30 दिन के अस्थायी युद्धविराम को लेकर है। हालांकि, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पहले ही ये स्पष्ट कर चुके हैं कि वो किसी भी अस्थायी युद्धविराम के लिए सहमत नहीं होंगे। उनका कहना है कि युद्धविराम पूर्णतया लागू होना चाहिए।
जहां व्लादिमीर पुतिन ने इस अस्थायी युद्धविराम पर पहले ही सहमत होने से इंकार कर दिया है, तो वहीं यूक्रेन हाल ही सउदी अरब के जेद्दा में हुई बैठक के दौरान लाए गए अमेरिका के 30 दिनों के अस्थायी युद्धविराम प्रस्ताव पर अपनी सहमति जताई है। इसी को ध्यान में रखते हुए अमेरिका का प्रतिनिधिमंडल रूस के दौरे पर जा रहा है। उसे उम्मीद है कि इस दौरान हो सकता है कि कुछ हल निकल आए। अच्छा यूक्रेन के इस प्रस्ताव पर तैयार होने के पीछे भी बड़ी ही खास वजह है। अमेरिका ने उसे ये प्रस्ताव दिया था कि अगर वो उसके प्रस्ताव का समर्थन करता है तो वे यूक्रेन को सैन्य सहायता और खुफिया जानकारी फिर से मुहैया कराना शुरू कर देंगे।
अमेरिकी दल रूस पहुंच रहा है, ये तो ठीक है, लेकिन उसके साथ ही उसने रुस पर इस प्रस्ताव के लिए मानसिक दबाव बनाने की कोशिशें भी शुरू कर दी है। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्क रुबियो ने एक बयान दिया कि अब गेंद रूस के पाले में है। हम रूस को इस पेशकश से अवगत कराएंगे। अब ये उन पर निर्भर करता है कि वो इसके लिए तैयार होते हैं या नहीं। अगर वो इसके लिए ना कहते हैं तो हमें पता चल जाएगा कि शांति के रास्ते में कौन रोड़ा है।
इस बीच राष्ट्रपति पुतिन ने कुर्स्क क्षेत्र का दौरा किया है, जिसे हाल ही में रूस ने यूक्रेन से वापस छीन लिया है। अब तक कुर्स्क पर कब्जा करके यूक्रेन ये समझ रहा था कि वो इसके जरिए रूस से डील करेगा। लेकिन, रूसी बलों ने यूक्रेन किए पर पानी फेर दिया। उन्होंने कुर्स्क के न केवल 100 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र को वापस हासिल किया, बल्कि 12 अन्य कस्बों पर भी कब्जा कर लिया है। उल्लेखनीय है कि पुतिन पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि वो बिना किसी शर्त के होने वाले युद्धविराम को ही स्वीकार करेंगे।
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