बांग्लादेश में अब नई बगावत कुलबुला रही है। यह बगावत वहां के सेना प्रमुख जनरल वकार उज-जमां के विरुद्ध होने जा रही है। पता चला है कि इस बगावत की अगुआई सेना का एक बड़ा अधिकारी कर रहा है। सूत्रों के अनुसार, उसे बगावत के रास्ते पर पाकिस्तान की गुप्तचर एजेंसी आईएसआई ने बढ़ाया है। इस संकेत से पता चलता है कि पाकिस्तान के नेता और आईएसआई किस हद तक उस देश को अपने पाश में लेने के षड्यंत्र रच रही है। फिलहाल वहां यूनुस के नेतृत्व में जो अंतरिम सरकार सत्ता में उस पर कट्टरपंथियों का शिकंजा कसा है और उन्हीं कट्टरपंथियों को वकार उज-जमां रास नहीं आ रहे हैं।
उस इस्लामी देश में कट्टरपंथियों, जमाते इस्लाम के उन्मादी तत्वों और अपराधियों की खुल कर चल रही है। पुलिस या सैनिक अगर उनके रास्ते में रोड़ा अटकाते हैं तो उन्हें ‘रास्ते’ पर ले आया जाता है। सेना अध्यक्ष वकार उज-जमां पिछले दिनों कट्टरपंथियों के विरुद्ध बोले थे। अब आईएसआई के इशारे और मिलीभगत से अगर सेना में बगावत के स्वर उभारे गए हैं तो यह और भी चिंता की बात है। बगावत का परनाला कभी भी फूट कर बह सकता है। पता चला है कि सेना के एक बड़े अधिकारी को सेना प्रमुख के विरुद्ध भड़काया गया और दोनों के बीच खाई चौड़ी की जा रही है।
वह बगावती अधिकारी आईएसआई के इशारे पर काम करते हुए, जिन्ना के देश को अपने यहां दखल देने का पूरा मौका दे रहा है। शेख हसीना के सत्ता से जाने और यूनुस के गद्दी पर बैठने के बाद से ही जिन्ना का देश बांग्लादेश को अपने शिकंजे में कसता जा रहा है। लेकिन उस इस्लामी देश के कट्टरपंथियों और सेना में उकसाए गए अपने समर्थक गुट के दम पर पाकिस्तान बांग्लादेश के रास्ते भारत को कष्ट देने के मंसूबे चला रहा है। कुल मिलाकर उसने इस देश की सेना में अराजकता और बगावत के बीच बो दिए हैं।
जनरल वकार उज-जमां ने बांग्लादेश की सेना की कमान पिछले साल जून में संभाली थी। उन्हें खुले दिमाग का और चीजों को संतुलित तरीके से देखने वाला जनरल माना जाता रहा है। इसीलिए वे कट्टरपंथी तत्वों पर शिकंजा कसने की बात भी कह चुके हैं। लेकिन सेना में मजहबी उन्माद को पोसने वाले तत्वों को उन्हीं यह बात खटकती रही है या षड्यंत्रपूर्वक उनमें ऐसा भाव गहराया गया है। लेफ्टिनेंट जनरल फैजुर्रहमान उसी कट्टर सोच को पोसने वाले क्वार्टर मास्टर जनरल हैं। बेशक, पाकिस्तान और जमाते-इस्लामी के प्रति उनका रवैया नरम देखा गया है।
साल 2025 के आरम्भ में फैजुर्रहमान आईएसआई प्रमुख से मिले भी थे। उनकी उस भेंट को लेकर सेना के अंदर काफी बहस छिड़ी थी। एक प्रकार का तनाव का माहौल बना था। आईएसआई से उनकी बैठक में गुप्त जानकारी का दोनों देशों के बीच समन्वय करने की बात हुई थी, आईएसआई इसके लिए एक तंत्र खड़ा करना चाहती है। लेकिन जाहिर है आईएसआई को यह चर्चा सेनाध्यक्ष जमां से करनी थी। लेकिन ऐसा न किया जाना जमां को एक प्रकार का संकेत माना जा रहा है। यह उनके अधिकार क्षेत्र को एक चुनौती जैसी मानी जा रही है।
मीडिया में तब से ही फैजुर्रहमान को लेकर खबर चल रही है कि वह वकार उज-जमां के लिए संकट पैदा कर सकते हैं, बगावत के स्वर गुंजा सकते हैं। आईएसआई के साथ अपनी बैठक के बाद, लेफ्टिनेंट जनरल फैजुर्रहमान ने एक बार फिर सेनाध्यक्ष को बाईपास करके सेना हैडक्वार्टर में बड़े अधिकारियों की बैठक को संबोधित किया था। बताया जा रहा है कि वे अधिकारी फैजुर्रहमान के वफादार बताए जा रहे हैं, क्योंकि बुलाए गए कई अन्य अधिकारी बैठक में नहीं आए। बैठक के बहाने फैजुर्रहमान का इरादा शायद सेना में समानांतर सत्ता खड़ी करना था। लेकिन बताया जा रहा है कि, अब वकार उज-जमां फैजुर्रहमान पर गुपचुप नजर रख रहे हैं।
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