ईरान के सर्वोच्च इस्लामिक नेता अली खामनेई की नीतियों के खिलाफ वहां की महिलाओं में भीतर ही भीतर विद्रोह की ज्वाला धधक रही है। अनिवार्य बुर्का, हिजाब और शरिया व सरकार की नीतियों के खिलाफ लोगों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है। इसी को भांपते हुए नोबेल शांति विजेता नरगिस मोहम्मदी ने चेतावनी दी है कि ईरान भले ही युद्ध से बच जाए, लेकिन ईरानी महिलाएं इस्लामी गणराज्य को उखाड़ फेंकेंगी।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर ईरान में महिलाओं की स्थिति को लेकर बात करते हुए मोहम्मदी ने ये बातें कहीं। उन्होंने पूर्ण विश्वास जताया कि इस्लामी ईरान महिलाओं का सामना नहीं कर पाएगा। यूट्यूब चैनल पर बात करते हुए कहा कि ईरान की महिलाओं के हाथों ही सत्तावादी शासन का अंत होगा।
महिलाओं को बड़े पैमाने पर करना पड़ा भेदभाव का सामना
नोबल विजेता मोहम्मदी ने इस्लामी सरकार पर महिलाओं के साथ लैंगिक भेदभाव करने का आरोप लगाया। वो कहती हैं कि देश की सरकारों ने संसद में कानून बनाने, कार्यपालिका और न्यायपालिका के फैसलों और शिक्षा और सांस्कृतिक इंजीनियरिंग तक अपनी सारी ताकत का इस्तेमाल महिलाओं को कुचलने के लिए किया। इस्लामी सरकारों ने हर उस हथियार का इस्तेमाल किया, जिसके जरिए वो महिलाओं की स्वतंत्रता को कुचल सके।
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मानवाधिकार केंद्र ने कही बड़ी बात
ईरान के मानवाधिकार केंद्र के संचार निदेशक बहार घांदेहरी का कहना है कि महिलाओं के खिलाफ अत्याचार केवल भेदभाव तक सीमित नहीं है, बल्कि इसे एक ढांचागत तरीके से इस्लामवादियों द्वारा लागू किया गया है, ताकि वो देश की सत्ता पर अपनी पकड़ को बनाए रख सकें। यह मानवता के खिलाफ सबसे बड़ा अपराध है।
असंतुष्ट ईरानी महिलाओं में से एक हैं मोहम्मदी
नगरगिस मोहम्मदी के बैकग्राउंड के बारे में समझने की कोशिश करें तो वो ईरान की इस्लामिक सरकारों की महिला विरोधी नीतियों की प्रखर विरोधी रही हैं। वो अंसतुष्टों में से एक हैं, जिन्होंने इस अत्याचार के खिलाफ अपनी आवाज उठाई है। इसी मुखरता के कारण मोहम्मदी को 10 साल से अधिक वक्त तक जेल में बंद रखा गया। फिलहाल वो एविन जेल से चिकित्सा अवकाश पर हैं, लेकिन बाहर आते ही एक बार फिर से उन्होंने सरकार की आलोचना शुरू कर दी है।
मोहम्मदी कहती हैं कि सरकार पर हर बार महिलाओं ने जीत दर्ज की है, भले ही महिलाओं को बड़े पैमाने पर भेदभाव का सामना करना पड़ा, लेकिन सभी अपमानों के बाद भी इस पर काबू पाने में सफल रहीं।
ऑपरेशन नूर
ईरान में इस्लामी सरकार के द्वारा महिलाओं को हिजाब में रखने के लिए ऑपरेशन नूर शुरू किया गया। इसके तहत महिलाओं को हिजाब में रखने के लिए मजबूर किया गया। वहां की मॉरल पुलिस ने महिलाओं को इलाज के नाम पर गिरफ्तार कर यातनाएं दी। हाल में नग्न होकर महिलाओं का प्रदर्शन हो अथवा एयरपोर्ट पर मौलवी की पगड़ी उतार देना हो, ये महिलाओं के गुस्से को दर्शाता है।
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