रक्षा

भारत और रूस के बीच T-72 टैंकों के इंजन के लिए डील साइन, मेक इन इंडिया के तहत तकनीक ट्रांसफर करेगा रूस

इस डील के जरिए इन टैंकों को अपग्रेड करने की योजना है। इसके अलावा 40 साल से भी अधिक पुराने इन टैंकों को अपग्रेड करने के साथ ही इन युद्धक टैंकों को भविष्य के लिए लड़ाकू वाहनों (FRCV) से बदलने के लिए भी एक योजना पर काम किया जा रहा है।

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Kuldeep singh

भारत सरकार लगातार खुद को सामरिक तौर पर मजबूत कर रही है। मिसाइलों से लेकर तोपों और टैंकों तक को तेजी से सेना में शामिल किया जा रहा है। इसी क्रम में भारतीय रक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार को रूसी कंपनी रोसोबोरोनएक्सपोर्ट के साथ टी-72 टैंकों के लिए 1000 एचपी के ताकतवर इंजन की खरीद के लिए डील की। इस समझौते के तहत मेक इन इंडिया पहल को बढ़ावा देने के लिए समझौता किया गया है।

रिपोर्ट के अनुसार, मेक इन इंडिया पहल के तहत टीओटी के अंतर्गत इंजनों का एकीकरण और लाइसेंस प्राप्त उत्पादन के लिए रूसी रोसोबोरोनएक्सपोर्ट चेन्नई के अवाडी स्थित आर्मर्ड व्हीकल्स निगम लिमिटेड को टेक्नोलॉजी का ट्रांसफर भी करेगा। दरअसल, टी-72 टैंक भारत का बहुत ही भरोसेमंद साथी है, लेकिन मौजूदा वक्त में इसमें केवल 780 एचपी का इंजन लगाया गया है, जिसे भारतीय सेना 1000 एचपी तक ले जाना चाहती है।

इस डील के जरिए इन टैंकों को अपग्रेड करने की योजना है। इसके अलावा 40 साल से भी अधिक पुराने इन टैंकों को अपग्रेड करने के साथ ही इन युद्धक टैंकों को भविष्य के लिए लड़ाकू वाहनों (FRCV) से बदलने के लिए भी एक योजना पर काम किया जा रहा है। माना जा रहा है कि FRCV पूरी तरह से भारत की भविष्य की जरूरतों को पूरा करने पर फोकस करता है। यह उन्नत तकनीकों से लैस और मल्टी वेपन प्लेटफॉर्म पर कार्य करने में सक्षम है।

उल्लेखनीय है कि गलवान में मई 2020 में चीन की पीएलए के साथ झड़प के बाद भारतीय सेना ने टी-72 और टी-90 टैंकों को अपने बेड़े में शामिल करना पड़ा। बता दें कि चीन पहले से ही सीमा पर पैदल सेना के साथ बख्तरबंद गाड़ियों तक को तैन कर रखा है।

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