नई दिल्ली, 07 मार्च 2025: मुंबई 26/11 आतंकी हमले के प्रमुख दोषी तहव्वुर राणा को अमेरिका से करारा झटका लगा है। अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने उसकी ताजा याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उसने भारत प्रत्यर्पण पर रोक लगाने की गुहार लगाई थी। राणा ने दावा किया था कि भारत भेजे जाने पर उसे “टॉर्चर” का सामना करना पड़ेगा और उसकी “जिंदा रहने की संभावना कम” है। इस फैसले के बाद उसका भारत प्रत्यर्पण लगभग तय माना जा रहा है, जिससे सोशल मीडिया पर चर्चा गरम हो गई है।
तहव्वुर राणा को सता रहा मौत का डर
राणा ने अपनी याचिका में कहा, “मैं पाकिस्तानी मूल का मुस्लिम हूं। भारत में मेरे साथ यातना होगी और मुकदमे तक जिंदा रहने की उम्मीद नहीं है।” उसने अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की थी, यह कहते हुए कि अगर रोक नहीं लगी तो वह अमेरिकी अदालतों के दायरे से बाहर हो जाएगा और “जल्द मर जाएगा।” कोर्ट ने उसकी इस दलील को ठुकरा दिया। राणा का यह बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसके बाद भारत में लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। इससे पहले 21 जनवरी को भी कोर्ट ने उसकी एक याचिका खारिज की थी।
ट्रंप का ऐलान: राणा का प्रत्यर्पण तय
पिछले महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने वाशिंगटन में संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था, “हम तहव्वुर राणा को तुरंत भारत को सौंप रहे हैं। नई दिल्ली से और भी अनुरोध हैं, आगे प्रत्यर्पण जारी रहेंगे।” ट्रंप के इस ऐलान ने राणा की बेचैनी बढ़ा दी थी, जिसके बाद उसने यह नई याचिका दायर की। भारत सरकार लंबे समय से राणा को वापस लाने की कोशिश में जुटी थी, क्योंकि वह 26/11 हमले के मास्टरमाइंड डेविड हेडली का करीबी सहयोगी रहा है।
कौन है तहव्वुर राणा?
पाकिस्तानी मूल का तहव्वुर राणा कनाडाई नागरिक है और मुंबई 26/11 हमले में आतंकी डेविड हेडली का मुख्य साथी था। हेडली, जिसे दाऊद गिलानी के नाम से भी जाना जाता है, अमेरिकी-पाकिस्तानी मूल का है। 2009 में अमेरिका ने हेडली को गिरफ्तार किया था, जिसके बाद जांच में राणा की भूमिका सामने आई। राणा पर मुंबई हमले की रेकी और आतंकियों को लॉजिस्टिक सपोर्ट देने का आरोप है।
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