इस्लामाबाद (हि.स.)। पाकिस्तान आतंकवाद का गढ़ बना हुआ है। ताजा जारी हुए वैश्विक आतंकवाद सूचकांक में पाकिस्तान दूसरे स्थान पर है। इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक्स एंड पीस (आईईपी) ने बुधवार को पिछले 17 वर्ष की घटनाओं के आधार पर वैश्विक आतंकवाद सूचकांक रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में 163 देशों को शामिल किया गया है। पाकिस्तान आतंकवाद पर रोक नहीं लगा पा रहा है। यह लगातार पांचवां वर्ष है, जब पाकिस्तान में आतंकवाद से संबंधित मौतों में वृद्धि दर्ज की गई है। पाकिस्तान के लिए पिछले दशक में साल-दर-साल यह सबसे बड़ी वृद्धि है।
पाकिस्तान ने आतंकवाद की राजनीति की और वह उसी पर फंस गया है। डॉन समाचार पत्र की खबर के अनुसार रिपोर्ट में बताया गया है कि पाकिस्तान में पिछले वर्ष आतंकवादी हमलों में मरने वालों की संख्या 45% बढ़कर 1,081 हो गई है। रिपोर्ट के अनुसार 45 देशों की स्थिति बेहद खराब हो रही है और 34 देशों की स्थिति में कुछ सुधार हो रहा है। चार सबसे घातक आतंकवादी समूहों ने 2024 में अपनी हिंसा तेज की। इससे मृत्यु दर में 11 प्रतिशत की वृद्धि हुई। पश्चिम में आतंकवादी समूह हावी हो गए हैं, जो पिछले पांच वर्षों में 93 प्रतिशत घातक हमलों के लिए जिम्मेदार हैं। ईरान में आतंकवाद से होने वाली मौतों में वृद्धि हुई है। आतंकवाद से सबसे ज्यादा मौतें बुर्किना फासो, पाकिस्तान और सीरिया में हुईं। बुर्किना फासो ग्लोबल टेररिज्म इंडेक्स 2025 में पहले स्थान पर है।
टीटीपी का खूंखार चेहरा आया सामने
पाकिस्तान में प्रतिबंधित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) का खूंखार चेहरा सामने आया है। टीटीपी के हमलों से होने वाली मौतों में 90 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यह आतंकी संगठन 2024 में भी पाकिस्तान में 52 प्रतिशत मौतों के लिए जिम्मेदार था। पिछले साल टीटीपी ने 482 हमले किए, जिसके परिणामस्वरूप 558 मौतें हुईं, जो पिछले वर्ष की 293 मौतों से 91 प्रतिशत अधिक है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद से पाकिस्तान में आतंकी घटनाओं में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है।अफगानिस्तान से संचालित आतंकवादी समूहों ने बलूचिस्तान और खैबर-पख्तूनख्वा प्रांत को सबसे अधिक निशाना बनाया है। पाकिस्तान सरकार ने इनसे निपटने के लिए ऑपरेशन आजम-ए-इस्तेहकम शुरू किया है।
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