साल 2020 में पूर्वी लद्दाख में घुसपैठ करने के इरादे से सीमा पार करके आए हथियारबंद चीनी सैनिकों की भारतीय सेना ने जबरदस्त पिटाई की थी। भारत के कुल 20 जवानों ने 200 की तादाद में नदी पार आए चीनियों के छक्के छुड़ा दिए थे। कई भारत की पिटाई से मरे, कई नदी में गिरकर मारे गए थे। उलटी मार पड़ती देख कई चीनी फौजी अपने टूटे-फूटे अंग लिए भाग खड़े हुए थे। उन जख्मी सेना कमांडरों को चीनी राष्ट्रपति ‘सम्मान’ देकर पार्टी में बड़े पद पर बैठा रहे हैं।
गलवान घाटी में हुए उस संघर्ष में भारतीय सेना से बुरी तरह पिटे पीएलए के इस कमांडर को चीन ने ‘सम्मानित’ करते हुए राष्ट्रपति शी जिनपिंग का सैन्य नहीं, राजनीतिक सलाहकार बनाया है। इस कमांडर का नाम है शी फबाओ। चीन का सैंट्रल मिलीटरी कमीशन इसी कमांडर फबाओ को रेजिमेंटल कमांडर का ओहदा देकर उसका कद बढ़ा चुका था। इसी फबाओ की भारत के बहादुर जवानों ने कई हड्डियां तोड़ी थीं। उसका इतना बुरा हाल हुआ था कि बाद में हफ्तों तक अपना इलाज कराता रहा था।
विशेषज्ञों का मानना है कि चाइनीज पीपुल्स पॉलिटिकल कंसल्टेटिव कॉन्फ्रेंस में फबाओ को बड़ा ओहदा देकर संभवत: चीन सरकार यह जताना चाहती है कि गलवान में इन ‘सैनिकों’ ने वीरता दिखाते हुए ‘भारतीय सैनिकों को खदेड़ा था’।

उल्लेखनीय है कि 2020 में हुए गलवान संघर्ष में भारत के 20 बहादुर सैनिकों ने अपनी जान की बाजी लगाकर सरहद की सुरक्षा की थी। चीन की धूर्त चाल असफल कर दी गई थी। चीनी सेना की उस संघर्ष में ऐसी हार हुई थी कि चीन सरकार ने अपने मरे सैनिकों की संख्या तक नहीं बताई थी। अपुष्ट आंकड़ों के हिसाब से करीब 50 चीनी फौजी जान से गए थे।
चीन की राजधानी बीजिंग में इस मौके पर एक बड़ा कार्यक्रम रखा गया था। उसी में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी में कर्नल के ओहदे पर काम कर रहे फबाओ को ‘सम्मानित’ किया गया। कार्यक्रम सीपीपीसीसी सदस्यों के लिए आयोजित किया गया था जिसमें साल 2024 में शानदार प्रदर्शन करने वाले 33 लोगों को सम्मानित किया गया था इन्हीं में से एक था गलवान का पिटा मोहरा की फबाओ।
इसी फबाओ को 2022 में शीतकालीन ओलंपिक खेलों की मशाल थमाई गई थी। यही वजह थी कि भारतीय अधिकारी उस आयोजन में न उद्घाटन कार्यक्रम में गए थे, न ही समापन कार्यक्रम में। चीन के मीडिया ने फबाओ का उल्लेख करते हुए उस बड़ा बहादुर बताया है। चीनी अखबारों ने लिखा है कि 15 जून, 2020 को गलवान घाटी में ‘भारत के साथ संघर्ष में फबाओ की बहादुरी से लड़ते हुए सिर में चोट लग गई थी’।
अगले साल 2021 में चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की केन्द्रीय कमेटी ने फबाओ को पदक देकर सम्मानित किया था। फिर जनवरी 2023 में फबाओ को विशिष्ट मेहमान बनाकर कमेटी में बुलाया था। सीपीपीसीसी ने जो 14वीं राष्ट्रीय समिति के सदस्यों की सूची जारी की उसमें उन्हें सीपीपीसीसी का सदस्य दिखाया गया।
उल्लेखनीय है कि 2020 में हुए गलवान संघर्ष में भारत के 20 बहादुर सैनिकों ने अपनी जान की बाजी लगाकर सरहद की सुरक्षा की थी। चीन की धूर्त चाल असफल कर दी गई थी। चीनी सेना की उस संघर्ष में ऐसी हार हुई थी कि चीन सरकार ने अपने मरे सैनिकों की संख्या तक नहीं बताई थी। अपुष्ट आंकड़ों के हिसाब से करीब 50 चीनी फौजी जान से गए थे।
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