पेरिस में शरणार्थियों का कब्जा.! थिएटर बना ड्रग्स और यौन हिंसा का अड्डा, मैनेजमेंट हुआ दीवालिया
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पेरिस में शरणार्थियों का कब्जा.! थिएटर बना ड्रग्स और यौन हिंसा का अड्डा, मैनेजमेंट हुआ दीवालिया

पेरिस के एक प्रसिद्ध थिएटर को शरणार्थियों ने कब्जे में ले लिया! अब यह जगह कला का केंद्र नहीं, बल्कि यौन हिंसा और ड्रग्स के कारोबार का अड्डा बन गई। कम्युनिस्ट प्रबंधन थिएटर छोड़ने को हुआ मजबूर। पढ़ें पूरी खबर...

by सोनाली मिश्रा
Mar 1, 2025, 09:30 pm IST
in विश्व
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पेरिस में एक थिएटर में कम्युनिस्ट लोगों ने शरणार्थियों के लिए अभियान चलाने के क्रम में दिसंबर 2024 में एक कान्फ्रन्स का आयोजन किया था, जिसका शीर्षक था “Refugees Welcome in France।“ उसमें लगभग 200 अफ्रीकी आप्रवासियों को निशुल्क टिकट दिए थे।

वे आप्रवासी आए तो, मगर फिर गए नहीं। कुछ दिन पहले यह समाचार आया था कि पेरिस के इस ऐतिहासिक थिएटर में जो शरणार्थी आए थे, उन्होनें कब्जा जमा लिया है और थिएटर से उन्हें इसलिए नहीं निकाला जा सकता है, क्योंकि उस भीड़ में बच्चे भी थे। अब जब उस थिएटर में आप्रवासियों का कब्जा हो गया है तो वहाँ पर और कुछ काम  हो नहीं सकता। वहाँ पर होने वाले तमाम प्रदर्शन निरस्त कर दिए गए और हजारों का राजस्व थिएटर के हाथ से चला गया।

उन आप्रवासियों के लिए बिस्तर और रहने की व्यवस्था की गई। इसके बाद और कुछ करने की थिएटर में जगह ही नहीं बची। डेली मेल के अनुसार अब उस थिएटर में 446 लोग रह रहे हैं और उनमें से अधिकतर यह दावा करते हैं कि वे 18 वर्ष से कम आयु के है, जिन्हें स्थाई निवास चाहिए।

मगर स्थानीय अधिकारियों का कहना है कि वे वयस्क हैं और अधिकतर को अधिकारी जानते हैं। अधिकारियों का कहना है कि वे थिएटर में जाने से पहले सड़कों पर सो रहे थे। मगर इस आयु जानने वाले टेस्ट का उस समूह ने विरोध किया था, जिसने इस कार्यक्रम का आयोजन किया था।

The Collectif des Jeunes du Parc de Belleville, नामक समूह ने इस जांच को ‘नस्लवादी और शोषण करने वाला बताया था।“

मगर अब प्रबंधन के लिए थिएटर में मूलभूत सुविधाएं देना भी असंभव हो रहा है। जो शरणार्थी वहाँ पर हैं, उनके कारण हिंसा भी हो रही है। वे आपस में लड़ाई करते हैं, यौन हिंसा करते हैं और साथ ही वे ड्रग्स लेते हैं और ड्रग्स का कारोबार भी करते हैं।

दूसरे शब्दों में कहा जाए तो एक समय में कला का केंद्र रहा यह थिएटर हिंसा और अन्य अपराधों का अड्डा बन गया है। प्रबंधन भी अब विवश हो गया है और उन्हें अस्थिर नैतिकता का सामना कर पड़ रहा है, जिसके कारण हिंसा बढ़ रही है और प्रबंधन अब दीवालिया होने की कगार पर है।

मंगलवार को उन्होनें एक वक्तव्य जारी किया। इस वक्तव्य में उन्होनें कहा कि प्रबंधन की टीम को यह थिएटर छोड़ने पर बाध्य होना पड़ा है। इसमें लिखा है कि यदि शुक्रवार तक अधिकारियों ने कोई कदम नहीं उठाया तो Gaîté Lyrique कंपनी और उसकी टीम को इमारत छोड़ने पर बाध्य होना पड़ेगा।

इसके साथ ही उन्होनें लिखा कि “वे अग्नि सुरक्षा, सुरक्षा, स्वच्छता, रख-रखाव और अपशिष्ट संग्रहण के प्रभारी सेवा प्रदाताओं के सभी अनुबंधों को निरस्त कर देंगे।“ प्रबंधन ने भयावह और विस्फोटक स्थिति के विषय में चेतावनी दी है, जो अब बहुत ही तेजी से और भयावह होती जा रही हैं। वक्तव्य में लिखा है कि उनके कर्मी ऑन-साइट सुरक्षा कर्मियों के रूप में काम कर रहे हैं, जो न ही उनका काम है और न ही उनका यह कौशल है।“

यह थिएटर पेरिस की काउंसिल के अधीन है, जिस पर  सोशलिस्ट और ग्रीन्स का वर्चस्व है। पेरिस के ऐड्मिनिस्ट्रेटिव कोर्ट ने हालांकि 13 फरवरी को इस इमारत को खाली कराने का आदेश भी पारित किया था,अ मगर काउंसिल ने पुलिस को शामिल करने से इनकार कर दिया था। इन आप्रवासियों को राजनीतिक कार्यकर्ताओं का समर्थन मिला हुआ है। मगर इन लोगों के यहाँ ठहरने के कारण स्थानीय व्यापारियों को नुकसान हो रहा है। क्योंकि इस थिएटर में होने वाले आयोजनों के चलते लोग आते थे और वहाँ पर चहलपहल रहती थी, मगर अब वहाँ पर केवल आप्रवासियों की भीड़ है। और उसके द्वारा किया जा रहा हुड़दंग है।

वहाँ पर खाने-पीने के लोकप्रिय स्थान का संचालन अल्जीरिया मूल के आप्रवासी की बेटी करती है, जिसने दिसंबर में ही बताया था कि उसे तब तक 30,000 यूरो का नुकसान हो चुका है। उसने बताया था कि वे लोग उसका व्यापार नष्ट कर रहे हैं। अब वहाँ से गुजरने वाले लोग भी उसके यहाँ पर खाने नहीं आते थे।

सबसे रोचक तथ्य तो यह है कि प्रबंधन से लेकर दिसंबर में कॉन्फ्रेंस के आयोजक सभी कम्युनिस्ट हैं। और अब वही लेफ्ट प्रबंधन दीवालिया होने का सामना कर रहा है, क्योंकि उसके पास अब थिएटर चलाने के लिए पैसे नहीं है। कला के केंद्र में सेक्स से जुड़ी हिंसा हो रही है, ड्रग्स खरीदी और बेची जा रही है। और प्रबंधन कह रहा है कि उसके पास जगह छोड़ने के अलावा और कोई चारा नहीं है।

मगर शरणार्थियों ने उस स्थान को छोड़ने से इनकार कर दिया है और पेरिस की सोशलिस्ट नेतृत्व वाली काउंसिल ने यह स्पष्ट कह दिया है कि वह आप्रवासियों के लिए आवास नहीं खोज पाई है।

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