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उपराष्ट्रपति धनखड़ ने USAID फंडिंग, संसद अवरोध और आपातकाल पर चिंता जताई

उप राष्ट्रपति ने संसद की कार्यवाहियों में विपक्षियों द्वारा बेवजह रोड़ा अटकाने पर चिंता जाहिर की औऱ इंगित किया कि अगर ऐसा ही होता रहा तो इससे किसी भी मुद्दे का हल नहीं निकाला जा सकेगा। उपराष्ट्रपति ने सवाल किया कि अगर मुद्दों का समाधान बातचीत के जरिए किया जा सकता है तो फिर लोकतंत्र के मंदिर पर इतना अधिक दबाव क्यों?

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Kuldeep singh

‘बाहर से फंडिंग करके लोकतंत्र को कमजोर करने की कोशिश की जा रही है।’ ये बात उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने USAID के जरिए भारत में चुनावों को प्रभावित करने के लिए अलॉट किए गए 21 मिलियन डॉलर की रकम को लेकर कही है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि इन फंडिंग्स इस्तेमाल विदेशी शक्तियां पसंदीदा उम्मीदवार को जिताने के लिए कर रही थीं, इस तरीके की हरकतों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

संसद नहीं चलने दिया तो मुद्दों का हल नहीं होगा

उप राष्ट्रपति ने संसद की कार्यवाहियों में विपक्षियों द्वारा बेवजह रोड़ा अटकाने पर चिंता जाहिर की औऱ इंगित किया कि अगर ऐसा ही होता रहा तो इससे किसी भी मुद्दे का हल नहीं निकाला जा सकेगा। उपराष्ट्रपति ने सवाल किया कि अगर मुद्दों का समाधान बातचीत के जरिए किया जा सकता है तो फिर लोकतंत्र के मंदिर पर इतना अधिक दबाव क्यों? आवश्यकता इस बात की है कि जनता के द्वारा चुने हुए लोग अपनी जिम्मेदारियों को समझें। राष्ट्रवाद को अपना धर्म और भारतीयता को अपनी पहचान बनाने की आवश्यकता है।

उन्होंने ये भी कहा कि आज अगर किसी भी चीज की सबसे अधिक आवश्यकता है तो वो ये कि संविधान के बारे में जारुकता बढ़ाई जाए। उपराष्ट्रपति ने संविधान निर्माताओं को तपस्वी करार दिया, जिन्होंने देश के लिए लड़ाई लड़ी। हमारे पूर्व एक ऐसा संविधान बनाना चाहते थे, जो सभी की आशाओं को पूरा करे।

इमरजेंसी एक काला अध्याय

संविधान जागरुकता वर्ष समारोह के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए उप राष्ट्रपति धनखड़ ने 1975 में पूर्व पीएम इंदिरा गांधी के द्वारा देश पर थोपे गए आपातकाल का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि ये दिन 25 जून 1975 के उस वर्ष को याद करने का समय है, जब देश में आपातकाल लगाकार नागरिकों से उनके मौलिक अधिकारों को छीन लिया गया था। देश के 9 राज्यों के हाई कोर्ट्स ने एक साथ एक स्वर में कहा था कि आपातकाल के दौरान नागरिकों से उनके मौलिक अधिकारों को नहीं छीना जा सकता। उपराष्ट्रपति ने कहा कि जितना अधिक हम अपने संविधान और अधिकारों को जानेंगे, उतने ही राष्ट्रवादी होते जाएंगे।

न्यायपालिका पर बोले उप राष्ट्रपति

न्यापालिका के अधिकारों पर बात करते हुए उन्होंने ये भी कहा कि संविधान को बदलने का अधिकार न्यायपालिका को कोई अधिकार नहीं है। संविधान को अगर कोई बदल सकता है, तो वो केवल संसद ही है।

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