उत्तर प्रदेश

संभल हरिहर मंदिर/विवादित जामा मस्जिद की नहीं होगी रंगाई पुताई: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को दिया झटका

एएसआई ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट किया था कि फिलहाल वहां किसी भी तरह की रंगाई-पुताई की आवश्यकता नहीं है। बहरहाल, हाई कोर्ट अब इस मामले में 5 मार्च को अगली सुनवाई करेगा।

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Kuldeep singh

उत्तर प्रदेश के संभल स्थित हरिहर मंदिर/विवादित जामा मस्जिद की रंगाई पुताई के लिए मुस्लिमों की याचिका पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उन्हें बड़ा झटका दे दिया है। हाई कोर्ट ने कहा है कि फिलहाल, कथित जामा मस्जिद की केवल सफाई की जा सकती है, उसकी रंगाई और पुताई की किसी को भी अनुमति नहीं है। कोर्ट ने ये फैसला एएसआई की रिपोर्ट पर सुनाया है।

क्या है पूरा मामला

मामला कुछ यूं है कि मुस्लिम पक्ष ने कथित मस्जिद की रंगाई पुताई के लिए संभल जिला प्रशासन से अनुमति मांगी थी। इस पर जिलाधिकारी राजेंद्र पेंसिया ने इससे इंकार करते हुए स्पष्ट किया था कि इस पर फैसला लेने का अधिकार केवल एएसआई को है। इस पर मुस्लिम पक्ष इलाहाबाद हाई कोर्ट चला गया और मांग की कि रमजान से पहले उसे रंगाई पुताई की इजाजत दी जाए। कोर्ट ने कथित मस्जिद के मुतवल्ली और एएसआई के तीन अफसरों की एक कमेटी बनाकर उन्हें तुरंत ढांचे का निरीक्षण करने का आदेश दिया। बाद में एएसआई की रिपोर्ट के आधार पर अपना फैसला सुनाया।

एएसआई ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट किया था कि फिलहाल वहां किसी भी तरह की रंगाई-पुताई की आवश्यकता नहीं है। बहरहाल, हाई कोर्ट अब इस मामले में 5 मार्च को अगली सुनवाई करेगा।

24 नवंबर को हुई थी हिंसा

19 नवंबर को सिविल जज सीनियर डिवीजन संभल स्थित चंदौसी की अदालत में संभल की शाही जामा मस्जिद को हरिहर मंदिर होने को लेकर कैला देवी मंदिर के महंत ऋषिराज गिरि, हरिशंकर जैन समेत आठ वादकारियों ने छह लोगों के विरुद्ध दावा दायर किया था।

इसके बाद कोर्ट ने कोर्ट कमिश्नर रमेश सिंह राघव को नियुक्त करके सर्वे (कमीशन) किए जाने के आदेश दिया था। बाद में 24 अगस्त को सर्वे के दौरान मुस्लिम कट्टरपंथियों ने जमकर उत्पात मचाया था। 4 लोगों की मौत भी हो गई थी। हालांकि, पुलिस प्रशासन की सख्ती के आगे प्रदर्शनकारियों की एक नहीं चली। सर्वे पूरा कर लिया गया था। विष्णु शंकर जैन ने संभल की कथित मस्जिद को हरिहर मंदिर बताते हुए कहा कि 1526 में मुगल आक्रान्ता बाबर ने मंदिर को तोड़कर उसके स्थान पर मस्जिद को बनाने की कोशिश की थी। ये भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित है, जिस पर किसी का कोई अतिक्रमण नहीं हो सकता है।

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