नई दिल्ली (हि.स.) । दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने गुरुवार को दिल्ली विधानसभा में बताया कि ‘दिल्ली में शराब के विनियमन और आपूर्ति’ से संबंधित सीएजी की ऑडिट रिपोर्ट ने आम आदमी पार्टी (आआपा) सरकार द्वारा दिल्ली में आबकारी नीति के क्रियान्वयन में की गई गंभीर अनियमितताओं को उजागर किया है। रिपोर्ट में यह विस्तार से बताया गया है कि किस प्रकार सरकारी खजाने को भारी नुकसान पहुंचाया गया ताकि निजी कंपनियां सरकारी खर्च पर अवैध रूप से लाभ कमा सकें।
ऑडिट 2017-2021 की अवधि के लिए किया गया था। सीएजी ने नई आबकारी नीति के लागू होने से पहले की अवधि में भी गंभीर अनियमितताओं की ओर इशारा किया है। इसमें लाइसेंस देने में अनियमितता, आईएमएफएल मूल्य निर्धारण में पारदर्शिता की कमी, अपर्याप्त गुणवत्ता नियंत्रण, कमजोर नियामक कार्यप्रणाली और प्रवर्तन गतिविधियों का खराब क्रियान्वयन आदि का विवरण है।
सीएजी ने गणना की है कि नई नीति में 2002 करोड़ रुपये का राजस्व घाटा हुआ है। इसमें सरेंडर किए गए लाइसेंसों का फिर से टेंडर करने में विफलता के कारण 890 करोड़ रुपये, छूट के कारण 941 करोड़ रुपये, लाइसेंस शुल्क की माफी के कारण 144 करोड़ रुपये और सिक्योरिटी राशि के गलत संग्रह के कारण 27 करोड़ रुपये का राजस्व घाटा हुआ है।
अध्यक्ष ने बताया कि सदस्यों ने इस मुद्दे पर सदन में चर्चा के दौरान विस्तृत विचार व्यक्त किए हैं और अपनी चिंताएं जाहिर की हैं। सदन इस बात पर सहमत है कि इस मामले की जल्द से जल्द जांच की जानी चाहिए और मामले के निष्कर्ष पर पहुंचा जाना चाहिए ताकि दोषियों को दंडित किया जा सके। स्थापित संसदीय प्रक्रिया के अनुसार दिल्ली विधानसभा की लोक लेखा समिति द्वारा इस रिपोर्ट की गहन जांच की जाएगी।
यह समिति तीन महीने के अंदर अपनी रिपोर्ट सदन को प्रस्तुत करेगी। पहली कार्यवाही के रूप में, मैंने विधानसभा सचिवालय को यह निर्देश दिया है कि रिपोर्ट को तुरंत संबंधित विभागों को टिप्पणी प्राप्त करने के लिए भेजा जाए और आबकारी विभाग की पैरावार टिप्पणियां और कार्रवाई नोट अनिवार्य रूप से एक महीने के भीतर प्रस्तुत किए जाएं।
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