लंदन/नई दिल्ली । वैज्ञानिकों की एक ऐसी खोज, जिस पर रिसर्चर्स ने पूरे 10 साल लगाए, उसे गूगल के एक नए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) टूल ने महज 48 घंटों में हल कर दिया। यह चौंकाने वाली घटना इम्पीरियल कॉलेज लंदन के प्रोफेसर जोस आर. पेनाडेस और उनकी टीम के साथ हुई, जब उन्होंने गूगल के AI टूल “को साइंटिस्ट” से एक छोटा-सा सवाल पूछा और जो जवाब आया, उसने सभी को हैरान कर दिया।
वैज्ञानिकों को भी नहीं था पता जबाव
प्रो. पेनाडेस और उनकी टीम पिछले कई सालों से यह समझने में जुटी थी कि कुछ सुपरबग्स एंटीबायोटिक्स के खिलाफ इम्यून क्यों हो जाते हैं। इस रिसर्च को पूरा करने में उन्हें 10 साल लग गए, लेकिन AI ने महज दो दिनों में इसका जवाब दे दिया। जब AI के इस जवाब को वैज्ञानिकों ने जांचा तो वे स्तब्ध रह गए। प्रोफेसर पेनाडेस ने बताया कि रिसर्च अभी तक पब्लिश भी नहीं हुई थी, ऐसे में AI को यह जानकारी कहीं और से मिलना संभव नहीं था। उन्होंने एक मीडिया संसथान को बताया, “जब मैंने इस नतीजे को देखा तो मैं शॉपिंग के दौरान ही एक घंटे के लिए अलग हो गया, ताकि इसे समझ सकूं।”
AI टूल ने रिसर्च को बनाया बेहतर
इतना ही नहीं, गूगल के AI टूल ने न सिर्फ वैज्ञानिकों के सिद्धांत (हाइपोथीसिस) की पुष्टि की, बल्कि चार अन्य संभावनाएं भी बताईं, जो एकदम सही थीं। प्रो. पेनाडेस ने कहा- “AI ने एक ऐसी हाइपोथीसिस भी दी, जिसके बारे में हमने कभी सोचा ही नहीं था। अब हम उस पर रिसर्च कर रहे हैं।”
कैसे काम करते हैं सुपरबग्स..?
प्रो. पेनाडेस बताते हैं, “सुपरबग्स के पास चाबियां होती हैं, जिनसे वे एक घर से दूसरे घर यानी एक होस्ट से दूसरे होस्ट में बिना किसी रुकावट के जा सकते हैं।” दरअसल वैज्ञानिक कई सालों से यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि खतरनाक बैक्टीरिया कैसे सुपरबग बन जाते हैं और एंटीबायोटिक्स का उन पर असर क्यों नहीं होता। AI के जवाब ने इस सवाल को हल करने में मदद की। AI के अनुसार सुपरबग्स एक तरह की ‘पूंछ’ बना लेते हैं, जिससे वे एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में आसानी से फैल सकते हैं।
AI से विज्ञान को कितना फायदा..?
AI के समर्थकों का मानना है कि यह विज्ञान के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाला साबित होगा, जबकि कुछ लोगों को यह डर भी है कि इससे नौकरियां खत्म हो सकती हैं। प्रो. पेनाडेस इस पर कहते हैं, “लोगों का डर समझ में आता है, लेकिन जब आप इसे गहराई से समझते हैं, तो महसूस होता है कि AI एक बहुत ही ताकतवर और काम का टूल है। मुझे पूरा यकीन है कि AI विज्ञान को पूरी तरह से बदल देगा। यह बिल्कुल वैसा है जैसे किसी बड़े फाइनल मैच का हिस्सा बनना। मुझे ऐसा लग रहा है जैसे मैं AI के साथ चैंपियंस लीग का मैच खेल रहा हूं।”
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