हाल ही में पंजाब में एक फर्जी तबादला आदेश का मामला सामने आया, जिसने सरकारी प्रशासन पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह आदेश सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें 57 क्लर्कों, डाटा एंट्री ऑपरेटरों और सेवादारों के तबादले का जिक्र था। आश्चर्यजनक रूप से, अधिकारियों ने बिना औपचारिक पुष्टि किए इस आदेश को सही मान लिया और अमल में लाना शुरू कर दिया।
आमतौर पर किसी भी आदेश को लागू करने से पहले उसकी आधिकारिक प्रति ली जाती है लेकिन इस मामले में अधिकारियों ने इसकी जरूरत तक नहीं समझी। सोशल मीडिया पर वायरल आदेश के आधार पर कर्मचारियों को नई जगहों पर भेज दिया गया। मामला तब उजागर हुआ जब स्कूल शिक्षा विभाग के निदेशक को इसकी जानकारी मिली। उन्होंने तुरंत सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को पत्र जारी कर बताया कि ऐसा कोई आदेश जारी ही नहीं किया गया है और इसे फौरन रोक दिया जाए।
शिक्षा विभाग के महानिदेशक ने भी निर्देश दिए कि आगे से तबादला आदेश केवल सरकारी ईमेल के माध्यम से ही आएंगे। किसी अन्य स्रोत से मिले आदेशों पर भरोसा न किया जाए। इस घटना ने सरकारी अमले की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं कि आखिर बिना सत्यापन किए अधिकारियों ने इस आदेश को क्यों लागू कर दिया।
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