ऑस्ट्रेलियाई सांसद फातिमा पेमन
ईरान में लगातार ही महिलाओं के साथ क्या हो रहा है, वह किसी से छिपा नहीं है। उन्हें जबरन हिजाब के पीछे लगातार धकेला जा रहा है और हिजाब सही से न पहनने के कारण असंख्य महिलाओं को ही नहीं बल्कि पुरुषों तक को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है। मगर फिर भी पश्चिम में रह रहे कुछ मुस्लिम नेता इन सभी घटनाओं को केवल पश्चिमी प्रोपोगैंडा बताते हैं और उसमें भी दुर्भाग्य की बात यह है कि ऐसा करने में मुस्लिम महिला नेता भी हैं।
ऑस्ट्रेलिया की सीनेटर फातिमा पेमन ने ईरान के स्वामित्व वाले न्यूज मीडिया प्रेस टीवी से बात करते हुए कहा कि पश्चिम के देशों को यह नहीं पता है कि ईरान कितना शानदार देश है। वहाँ पर महिलाओं को काम पर जाने की आजादी है, उन्हें आवाज उठाने की आजादी है और उनकी बात को सुना भी जाता है। वे राजनीतिक प्रक्रियाओं में भी सक्रिय भूमिका निभाती हैं।
उन्होंने वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी में 22 फरवरी को आयोजित एक कार्यक्रम में कही थी। फिर उन्होंने कहा कि ये वे “वास्तविकताएं हैं, जिनके बारे में हम यहां रहते हुए नहीं जानते और हम एक विशेष एजेंडे वाले एकपक्षीय संगठनों से प्राप्त दुष्प्रचार को सुनते रहते हैं।”
फातिमा मूलत: अफगानिस्तान से हैं और अफगानिस्तान में जो हिंसा का माहौल है, उससे बचने के लिए ही उनके माता पिता 90 के दशक में ऑस्ट्रेलिया आए थे। पूर्व में लेबर पार्टी में रह चुकी फातिमा मुस्लिम मामलों पर खुलकर बोलती हैं। हाल ही में ऑस्ट्रेलिया में जिन दो नर्सों ने यहूदी मरीजों को मारने की बात की थी, वे उन दोनों नर्सों के बचाव में भी आई थीं। एक्स पर उनका वीडियो भी वायरल है। लोगों ने साझा किया है कि कैसे फातिमा उन दोनों ही नर्सों का बचाव कर रही हैं। फातिमा वैसे भी कट्टरपंथी मजहबी सोच को आगे बढ़ाती रहती हैं। एक्स पर उनके कई ऐसे वीडियो प्राप्त होते हैं, जो उनकी कट्टरपंथी सोच के विषय में बताते हैं। मगर एक बात हैरान करने वाली है कि यदि उन्हें पश्चिम से इतनी ही घृणा है, उनके अनुसार पश्चिम में मुस्लिमों के साथ गलत व्यवहार किया जाता है तो वे अपने इस्लामी मुल्क में वापस क्यों नहीं चली जाती हैं?
ऐसी ही बात सोशल मीडिया के कई यूजर कह रहे हैं। इधर ईरान को लेकर कही गई अपनी टिप्पणी को लेकर वे लोगों के निशाने पर आ गई हैं। ईरान की महिलाओं और वहाँ पर उनकी आजादी के संघर्ष का समर्थन करने वाले संगठन Australian United Solidarity for Iran (AUSIRAN) ने फातिमा के इस वक्तव्य की निंदा की। उन्होंने ईरान की सरकार की महिला विरोधी नीति के खिलाफ एक पत्र लिखकर कहा कि उन्हें फातिमा और एनएसडब्ल्यू की महिला मंत्री जोडी हैरिसन के वक्तव्यों से बहुत ठेस पहुंची है। मंत्री ने अपना एक वीडियो संदेश भेजा था, जो उस समारोह में प्ले किया गया। हालांकि, मंत्री ने अपने वक्तव्य के लिए माफी मांग ली है। उन्होंने कहा कि वे उस आयोजन में पैनलिस्ट के विचारों से सहमत नहीं हैं।
ऑस्ट्रेलिया में मिडल ईस्ट राजनीति की विशेषज्ञ रही काएली मूर-गिल्बर्ट, जो ईरान में जासूसी के आरोप में दो साल की सजा भी काट चुकी हैं, उन्होंने भी एक्स पर फातिमा के बयान की आलोचना की। उन्होंने एक्स पर काफी लंबा पोस्ट लिखा है। उन्होंने कहा कि फातिमा आप क्या बकवास कर रही हैं। ईरान में कोई भी लोकतान्त्रिक प्रक्रिया नहीं है, जिसमें महिलाएं भाग ले सकें।उन्होंने यह भी प्रश्न उठाए कि आखिर फातिमा ईरान के प्रोपोगैंडा टीवी को इंटरव्यू देने के लिए तैयार ही क्यों हुईं, जो कैदियों को फांसी की सजा से पहले अपराधों की झूठी स्वीकारोक्ति और जबरन इंटरव्यू के लिए कुख्यात है?
इतना ही नहीं फातिमा के इस बयान का विरोध करने के लिए वे भी महिलाएं एक्स पर सामने आ रही हैं, जो ईरान की सरकार की हिंसा का शिकार हुई हैं। हिजाब विरोधी हिंसा में अपनी आँख गवां चुकीं कोशर ने एक्स पर अपनी तस्वीर साझा करते हुए लिखा कि अगर हिम्मत है तो आप मेरी आँखों मे झांक कर अपनी बात दोहराएं। मेरे पास एक ही भाषा है; उन्होंने मेरी आँख ले ली।
वहीं एक और बात बहुत ही चौंकाने वाली है कि अफगानिस्तान में तालिबान की हिंसा से डरकर भागने वाली फातिमा का कोई भी बयान अफगानिस्तान की उन महिलाओं के पक्ष में नहीं आया है, जिन्हें तालिबान की सरकार ने घरों में कैद कर दिया है, उनकी पढ़ाई बंद करवा दी गई है और उन्हें मीडिया सहित सभी कामधंधों से बाहर कर दिया है। मगर फातिमा के ऐसे कई वीडियो वायरल हैं, जिनमें वे हिजबुल्ला पर हुए हमलों का विरोध कर रही हैं, फिलिस्तीन का समर्थन कर रही हैं तथा अन्य मजहबी कट्टरताओं का समर्थन कर रही हैं। ईरान को लेकर उनके इस बयान का विरोध ईरान से निष्कासित मसीह अलिनेजाद ने भी किया। अलिनेजाद ईरान की हिजाब नीति का विरोध करने वाली महिला हैं और वे लगातार कट्टरपंथियों के निशाने पर रहती हैं। उन्हें ईरान में सजा भी मिल चुकी है। उन्होंने भी एक्स पर लिखा कि एक महिला के रूप में उन्हें ईरान में जेल में रखा गया था, और उन्हें कोड़े मारे गए थे। उनका अपहरण करने का प्रयास किया गया था और उनकी हत्या के भी दो प्रयास हो चुके हैं।
उन्होंने चुनौती दी कि यदि फातिमा के अनुसार, ईरान इतना ही सुरक्षित है तो वे चुनौती देती हैं कि फातिमा तेहरान जाएं, हिजाब हटाकर अपनी बात कहें। फिर देखते हैं कि उन्हें उस लोकतान्त्रिक प्रक्रिया का कितना मजा आता है।
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