दिल्ली

‘जितना भव्य भवन उतना भव्य कार्य खड़ा करना है’

नई दिल्ली में झंडेवालान स्थित केशव कुंज अब नई भव्यता के साथ बनकर तैयार हुआ है। श्री केशव स्मारक समिति द्वारा पुनर्निर्मित केशव कुंज के ‘प्रवेशोत्सव’ कार्यक्रम में रा.स्व.संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने संघ के स्वयंसेवकों का मार्गदर्शन करते हुए कहा कि पहले संघ की उपेक्षा होती थी, विरोध होता था, लेकिन अब वातावरण अनुकूल होने से संघ की दशा अवश्य बदली है, लेकिन दिशा नहीं बदलनी चाहिए

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WEB DESK

‘देश में संघ कार्य गति पकड़ रहा है, व्यापक हो रहा है। आज जिस पुनर्निर्मित भवन का यह प्रवेशोत्सव है, उसकी भव्यता के अनुरूप ही हमें संघ कार्य का स्वरूप भव्य बनाना है। हमारे कार्य से उसकी अनुभूति होनी चाहिए। यह कार्य पूरे विश्व तक जाएगा और भारत को विश्वगुरु के पद पर आसीन करेगा, ऐसा हमें पूर्ण विश्वास है। हम अपनी इसी देह, इन्हीं आंखों से भारत को ऐसा बनते देखेंगे, यह विश्वास है। लेकिन संघ के स्वयंसेवकों को इसके लिए पुरुषार्थ करना होगा। हमें इसके लिए कार्य को सतत विस्तार देना होगा।’ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने गत 19 फरवरी को झंडेवालान में पुनर्निर्मित ‘केशव कुंज’ के ‘प्रवेशोत्सव’ कार्यक्रम में उपस्थितजन को संबोधित करते हुए उक्त विचार व्यक्त किए।

श्री भागवत ने आगे कहा कि आज संघ के विभिन्न आयामों के माध्यम से संघ कार्य विस्तृत हो रहा है। इसलिए अपेक्षा है कि संघ के स्वयंसेवकों के व्यवहार में सामर्थ्य, शुचिता बनी रहे। उन्होंने कहा कि आज संघ की दशा बदली है, लेकिन दिशा नहीं बदलनी चाहिए। समृद्धि की आवश्यकता है, जितना आवश्यक है उतना वैभव होना चाहिए भी, लेकिन ऐसा मर्यादा में रहकर होना चाहिए। श्री केशव स्मारक समिति का यह पुनर्निर्मित भवन भव्य है, इसकी भव्यता के अनुरूप ही कार्य खड़ा करना होगा।

इस अवसर पर श्री भागवत ने संघ के आरम्भ से ही आद्य सरसंघचालक द्वारा झेली अनेक कठिनाइयों का उल्लेख किया और नागपुर में पहले कार्यालय ‘महाल’ की शुरुआत के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि क्योंकि दिल्ली देश की राजधानी है और सूत्रों का संचालन यहां से होता है, इसलिए यहां एक कार्यालय की आवश्यकता महसूस हुई और उस आवश्यकता के अनुसार यहां कार्यालय बनाया गया। उन्होंने कहा, ‘‘आज यह भव्य भवन बन जाने भर से संघ स्वयंसेवक का काम पूरा नहीं होता। हमें ध्यान रखना होगा कि उपेक्षा और विरोध हमें सावधान रखता है, लेकिन अब अनुकूलता का वातावरण है इसलिए हमें अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है।’’
इस अवसर पर उपस्थित स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए सरसंघचालक ने कहा कि कार्यालय हमें कार्य की प्रेरणा देता है, लेकिन उसके वातावरण की चिंता करना प्रत्येक स्वयंसेवक का कर्तव्य है।

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के कोषाध्यक्ष पूज्य स्वामी गोविंददेव गिरी जी महाराज ने अपने आशीर्वचन में कहा कि आज श्रीगुरुजी की जयंती है इसलिए आज का दिन अत्यंत पावन है। आज शिवाजी की भी जयंती है। शिवाजी संघ की विचार शक्ति हैं। कांची कामकोटि पीठ के तत्कालीन शंकराचार्य परमाचार्य जी ने एक बार एक वरिष्ठ प्रचारक से कहा था कि संघ प्रार्थना से बढ़कर कोई मंत्र नहीं है। पू. महाराज जी ने ‘छावा’ फिल्म का उल्लेख करते हुए कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज ने ऐसे मावले तैयार किए थे, जो थकते नहीं, रुकते नहीं, झुकते नहीं और बिकते नहीं थे। संघ के स्वयंसेवक छत्रपति शिवाजी के तपोनिष्ठ मावलों सरीखे ही हैं। हम हिन्दू भूमि के पुत्र हैं, संघ राष्ट्र की परंपरा को पुष्ट करते हुए राष्ट्र की उन्नति की बात करता है।

प्रवेशोत्सव में उपस्थित विशिष्टजन, संघ के अ.भा. अधिकारी, केन्द्रीय मंत्री, वरिष्ठ कार्यकर्ता और स्वयंसेवक

उदासीन आश्रम, दिल्ली के प्रमुख संत पू. राघवानंद जी महाराज ने अपने संक्षिप्त आशीर्वचन में कहा कि संघ 100 वर्ष पूर्ण कर चुका है तो इसके पीछे डाक्टर साहब का प्रखर संकल्प ही है। संघ ने समाज के प्रति समर्पण भाव से कार्य किया है, समाज के हर वर्ग के उत्थान के लिए कार्य किया है। इसलिए संघ कार्य सतत बढ़ रहा है।

श्री केशव स्मारक समिति के अध्यक्ष श्री आलोक कुमार ने शुरू से लेकर अब तक के केशव कुंज के पुनर्निर्माण के विभिन्न पड़ावों की विस्तार से जानकारी दी। उल्लेखनीय है कि दिल्ली में 1939 से ही संघ का काम रहा है। तब झंडेवालान में इसी स्थान पर माता मंदिर से संबद्ध बद्री भगत परिवार के दिए एक छोटे से भूखंड पर एक छोटा भवन बना था, जिसमें संघ कार्यालय का कुछ हिस्सा बना था। लेकिन आगे 1962 में इसका विस्तार करके अन्य कक्ष बनाए गए थे। 1969 में श्री केशव स्मारक समिति का गठन हुआ। ’80 के दशक में आवश्यकता के अनुसार भवन का और विस्तार हुआ। साल 2016 में पूज्य सरसंघचालक जी ने ही अपने करकमलों से इसी स्थान पर पूजानुष्ठान के साथ श्री केशव स्मारक समिति के द्वारा निर्मित केशव कुंज के तीन टॉवर वाले इस भवन का शिलान्यास किया था। और आज यह पुनर्निर्मित स्वरूप में हम सबके सामने है।

केशव कुंज में मुख्यत: तीन टॉवर हैं—1. साधना 2. प्रेरणा 3. अर्चना। एक आकर्षक और आज की सब आवश्यकताओं से परिपूर्ण 463 सीटों वाले अशोक सिंहल सभागार है, 225 सीटों वाला चमनलाल सभागार है, आम जन के लिए एक केशव पुस्तकालय है, केशव चिकित्सालय है, सुरुचिपूर्ण और राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत पुस्तकों के लिए सुरुचि प्रकाशन है। केशव कुंज की विद्युत आवश्यकताओं की पूर्ति में सहयोग के लिए 150 किलोवाट का सोलर प्लांट है, कचरे के उचित निस्तारण (रीसाइकिलिंग) के लिए 140 केएलडी क्षमता का एसटीपी प्लांट है। पूर्व की तरह ही नूतन भवन में एक सुंदर-दिव्य हनुमान मंदिर है।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत, मंच पर हैं (बाएं से) से श्री आलोक कुमार, स्वामी राघवानंद, पू.स्वामी गोविंददेव गिरी जी महाराज, सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबाले, श्री पवन जिंदल और डॉ. अनिल अग्रवाल

कार्यक्रम में ऐसे कुछ सेवा प्रदाताओं का प्रतिनिधि रूप में सम्मान किया गया जिन्होंने भवन के निर्माण में विविध ­­कामों में योगदान दिया है। इनमें हैं-श्री श्रीदेव (जिन्होंने भवन का आकर्षक डिजायन बनाया), श्री अनूप दवे (जिन्होंने भवन का नक्शा बनाया), श्री अनिल यादव (जिन्होंने निर्माण कार्य में अभियांत्रिकी कौशल दिखाया), श्री विक्रमजीत, श्री मूलचंद, श्री रामप्रताप शर्मा, श्री रजत, श्री कल्लू और श्रीमती तुलसा देवी। सभी को डॉ. हेडगेवार की छवि से सज्जित प्रतीक चिन्ह और शाल भेंट की गई।

कार्यक्रम में मंच पर सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबाले, उत्तर क्षेत्र संघचालक श्री पवन जिंदल, दिल्ली प्रांत संघचालक डॉ. अनिल अग्रवाल भी उपस्थित थे। प्रवेशोत्सव में रक्षा मंंत्री राजनाथ सिंह, केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह, स्वास्थ्य मंत्री जे. पी. नड्ढा, संघ के सहसरकार्यवाह डा. कृष्ण गोपाल, श्री अरुण कुमार, वरिष्ठ प्रचारक श्री सुरेश सोनी, सम्पर्क प्रमुख श्री रामलाल, सह सम्पर्कप्रमुख श्री भारत भूषण, सह प्रचार प्रमुख श्री प्रदीप जोशी एवं श्री नरेन्द्र ठाकुर, श्री इंद्रेश कुमार, श्री प्रेम गोयल, श्री रामेश्वर सहित अन्य अनेक वरिष्ठ कार्यकर्ता, स्वयंसेवक उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन किया दिल्ली प्रांत कार्यवाह श्री अनिल गुप्ता ने और धन्यवाद ज्ञापित किया दिल्ली प्रांत संघचालक डॉ. अनिल अग्रवाल ने।

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