संस्कृति

भगवद गीता का वैश्विक सम्मान, शक्ति के शिखर पर भारतीय संस्कृति का ध्वज

भारतीय मूल के काश पटेल ने अमेरिकी संघीय जांच ब्यूरो (एफबीआई) के निदेशक के रूप में शपथ ग्रहण करते समय भगवद गीता पर हाथ रखकर न केवल भारतीय मूल्यों का सम्मान किया बल्कि वैश्विक मंच पर भारतीय संस्कृति की महत्ता को भी उजागर किया।

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योगेश कुमार गोयल

भारतीय मूल के काश पटेल ने अमेरिकी संघीय जांच ब्यूरो (एफबीआई) के निदेशक के रूप में शपथ ग्रहण करते समय भगवद गीता पर हाथ रखकर न केवल भारतीय मूल्यों का सम्मान किया बल्कि वैश्विक मंच पर भारतीय संस्कृति की महत्ता को भी उजागर किया। उनका यह कदम भारतीय समुदाय के लिए गर्व का विषय है और दर्शाता है कि भारतीय मूल के लोग भले ही विश्व के किसी भी कोने में हों, वे अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़े रहते हैं। यही चरितार्थ किया काश पटेल ने, जो अमेरिका की प्रमुख कानून प्रवर्तन एजेंसी ‘एफबीआई’ का नेतृत्व करने वाले प्रथम भारतवंशी अमेरिकी बने हैं।

गीता पर हाथ रखकर काश पटेल का शपथ लेना निश्चित रूप से भारत को गौरवान्वित करने वाला कदम था। काश पटेल को जब एफबीआई का नेतृत्व सौंपा गया तो शपथ ग्रहण करने के लिए वे गीता लेकर पहुंचे। व्हाइट हाउस परिसर में ‘एडजस्टस डिपार्टमेंट भवन’ (ईईओबी) में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में अमेरिका अटॉर्नी जनरल पाम वाडा ने जब काश पटेल को शपथ दिलाई तो उन्होंने अपना एक हाथ तो उनके कहने पर ऊपर उठा लिया लेकिन दूसरा हाथ उस ‘भगवद गीता’ पर रखकर शपथ ली, जो भारतीय दर्शन के उच्चतम मूल्यों में से एक है। शपथ लेते समय उनका कहना था कि आप पहली पीढ़ी के भारतीय बच्चों से बात कर रहे हैं, जो इस महान राष्ट्र की महत्वपूर्ण एजेंसी का नेतृत्व करने वाला है। उनका कहना था कि उन्हें भारत और अमेरिका दोनों पर गर्व है और इस पद पर आने के सबसे बड़े कारण उनके माता-पिता और परिवार के संस्कार हैं।

काश पटेल का जन्म अमेरिका में हुआ था लेकिन उनके माता-पिता गुजरात के आनंद जिले से हैं। उन्होंने कानून की पढ़ाई के बाद अपने करियर की शुरुआत एक सार्वजनिक रक्षक (पब्लिक डिफेंडर) के रूप में की थी। उसके पश्चात उन्होंने न्याय विभाग में आतंकवाद अभियोजक के रूप में कार्य किया, जहां उन्होंने अल-कायदा और आईएसआईएस से जुड़े मामलों की सुनवाई की। उनकी मेहनत और समर्पण ने ही उन्हें वाशिंगटन डी.सी. की राजनीति में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया।

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद में सेवा दी और रक्षा विभाग में चीफ ऑफ स्टाफ के रूप में कार्य किया। उनकी नियुक्ति के दौरान उन्होंने एफबीआई की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए और एजेंसी में सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया। उनकी स्पष्टवादिता और दृढ़ता ने ही उन्हें राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का विश्वासपात्र बनाया। अमेरिका में उन्होंने जो मुकाम हासिल किया है, वह तमाम भारतीयों के लिए प्रेरणादायक है। काश पटेल की यह उपलब्धि विश्वभर में बसे दभारतीय मूल के लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने साबित कर दिखाया है कि कड़ी मेहनत, समर्पण और अपने मूल्यों के प्रति निष्ठा के साथ कोई भी व्यक्ति उच्चतम शिखरों को छू सकता है।

एफबीआई निदेशक के रूप में उनकी नियुक्ति के दौरान, अमेरिकी सीनेट में उनकी पुष्टि के लिए मतदान हुआ, जहां उन्हें 51-47 मतों से स्वीकृति मिली। इस प्रक्रिया के दौरान उन्होंने अपने माता-पिता का परिचय ‘जय श्री कृष्ण’ कहकर कराया, जिससे भारतीय संस्कृति के प्रति उनका सम्मान दुनियाभर के समक्ष स्पष्ट परिलक्षित हुआ। उन्होंने अपने माता-पिता के संघर्षों का उल्लेख करते हुए बताया कि कैसे उनके पिता इदी अमीन की तानाशाही से बचकर युगांडा से अमेरिका आए थे।

गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कर्म, भक्ति और ज्ञान के माध्यम से जीवन की जटिलताओं से निपटने का मार्ग दिखाया। यह ग्रंथ हमें सिखाता है कि हम कैसे अपने कर्त्तव्यों का पालन करते हुए निष्काम भाव से जीवन जी सकते हैं। गीता के 18 अध्यायों में जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला गया है। यह ग्रंथ हमें सिखाता है कि कैसे हम अपने मन को नियंत्रित करें, अपने कर्तव्यों का पालन करें और जीवन में संतुलन बनाए रखें। गीता के उपदेश आज के आधुनिक युग में भी पूर्ण रूप से प्रासंगिक हैं और हमें जीवन की चुनौतियों से निपटने की शक्ति प्रदान करते हैं।

गीता में वर्णित निष्काम कर्मयोग का सिद्धांत हमें सिखाता है कि हम अपने कर्त्तव्यों का पालन बिना फल की चिंता किए कैसे करें। यह सिद्धांत आज के प्रतिस्पर्धी और तनावपूर्ण जीवन में मानसिक शांति और संतुलन बनाए रखने में सहायक है। गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को सिखाया था कि अपने धर्म और कर्त्तव्य का पालन करना ही सच्चा योग है। यह शिक्षा आज के समाज में नैतिकता और कर्त्तव्यनिष्ठा के महत्व को रेखांकित करती है। गीता में वर्णित ज्ञानयोग, भक्तियोग और कर्मयोग के माध्यम से व्यक्ति आत्म-साक्षात्कार की ओर अग्रसर हो सकता है।

ज्ञानयोग हमें आत्मा और परमात्मा के सत्य को समझने की दिशा में प्रेरित करता है जबकि भक्तियोग हमें ईश्वर के प्रति समर्पण और प्रेम का मार्ग दिखाता है। कर्मयोग हमें सिखाता है कि हम अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए कैसे आध्यात्मिक उन्नति कर सकते हैं। इन तीनों मार्गों का समन्वय व्यक्ति को संपूर्ण और संतुलित जीवन जीने की प्रेरणा देता है। गीता में वर्णित सांख्य योग और ध्यान योग के माध्यम से मन की एकाग्रता और शांति प्राप्त की जा सकती है। ध्यान योग के माध्यम से व्यक्ति अपने मन को नियंत्रित कर सकता है और आंतरिक शांति प्राप्त कर सकता है। यह आज के व्यस्त और तनावपूर्ण जीवन में मानसिक स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने ध्यान के माध्यम से आत्म-साक्षात्कार और परम शांति प्राप्त करने का मार्ग बताया है।

काश पटेल द्वारा गीता पर हाथ रखकर शपथ लेने के घटनाक्रम ने एक बार पुनः गीता के वैश्विक सम्मान को बढ़ाते हुए दुनिया के कोने-कोने में बसे लाखों भारतीयों को प्रेरणा दी है। यह दर्शाता है कि भारतीय संस्कृति और मूल्य आज विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त कर रहे हैं और भारतीय मूल के लोग अपने सांस्कृतिक जड़ों से जुड़े रहते हुए उच्चतम पदों पर आसीन हो रहे हैं। काश पटेल के इस कदम ने भारतीय संस्कृति और मूल्यों को वैश्विक मंच पर नई पहचान दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस घटनाक्रम से एक बार फिर यही प्रमाणित हुआ है कि भगवद गीता का महत्व आज के आधुनिक युग में केवल भारत में ही नहीं है बल्कि इसका वैश्विक महत्व है।

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