प्रतीकात्मक तस्वीर
ब्रिटेन का समुद्री क्रूज शिप &O Iona 5,000 से अधिक यात्रियों और 1,800 कर्मचारियों के साथ सात दिन की यूरोप की यात्रा पर रवाना होता है। लोग रेस्टोरेंट और डेक पर बिंदास समुद्री माहौल का लुत्फ उठा रहे होते हैं। तभी अचानक से एक-एक कर कई लोग उल्टी करने लगे। लोगों को दस्त और तेज बुखार भी आने लगा। लोगों को समझते देर नहीं लगी कि जहाज पर लोग खतरनाक नोरो वायरस की चपेट में आ गए हैं।
हालात की गंभीरता को देखते हुए जहाज के कैप्टन ने एक पब्लिक अनाउंसमेंट करके बताया कि कुछ लोग नोरो वायरस की चपेट में आ गए हैं औऱ हमारे कर्मचारी इसके संक्रमण को रोकने की कोशिशों में लगे हुए हैं। साथ ही ये भी बताया कि फिलहाल, जहाज पर संक्रमितों की संख्या 1 प्रतिशत के आसपास है। लेकिन बड़ा सवाल ये है कि आखिर क्या है ये डेडली वायरस, जिसने पूरे ब्रिटेन में तबाही मचा रखी है? क्या हैं इससे बचाव के तरीके?
रिपोर्ट के अनुसार, ये जो नोरोवायरस है ये असल में कई वायरसों का एक समूह होता है, जो कि बहुत ही संक्रामक होता है। इसे ‘विंटर वोमिटिंग बग’ के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इसका प्रकोप सामान्य तौर पर ठंड के महीने में अधिक होता है।
इसका पहला केस वर्ष 1968 में अमेरिका के ओहियो, नॉरवॉक के स्कूल में सामने आया था। इसके पहले स्ट्रेन को नॉरवॉक भी कहा जाता है।
अगर इसके लक्षणों की बात करें तो इसकी चपेट में आने वाले व्यक्ति को मतली, दस्त, उल्टी, सिरदर्द, थकान और तेज बुखार की शिकायत होती है। चूंकि ये बहुत ही संक्रामक है तो ये एक से दूसरे में बड़ी ही तेजी से फैलता है। हालांकि, ये जानलेवा नहीं है और अधिकतर मामलों में ये एक से दो दिन में ठीक हो जाता है। एनएचएस इंग्लैंड के चिकित्सा निदेशक प्रोफेसर सर स्टीफन ने इस तरह से इसके संक्रमण पर चिंता जाहिर की है। उनका कहना है कि हर दिन देश के अस्पतालों में 1000 से भी अधिक मरीजों का इलाज किया जा रहा है।
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