पाञ्चजन्य साबरमती संवाद-3 में 'पर्यावरण अनुकूल विकास' पर बोले गुजरात के मंत्री-हम नवीकरणीय ऊर्जा में अग्रणी राज्य
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पाञ्चजन्य साबरमती संवाद-3 में ‘पर्यावरण अनुकूल विकास’ पर बोले गुजरात के मंत्री-हम नवीकरणीय ऊर्जा में अग्रणी राज्य

गुजरात के पर्यावरण मंत्री मुलु भाई कहते हैं कि पीएम मोदी ने राज्य के मुख्यमंत्री रहते हुए जो नीतियां लागू की थी, उसी पर आज भी राज्य तेजी से आगे बढ़ रहा है। हम भारत के पहले राज्य हैं, जिसने सोलर पॉवर नीति लागू की है।

by Kuldeep Singh
Feb 23, 2025, 01:09 pm IST
in गुजरात
Panchjanya Sabarmati Samvad Mulu bhai

गुजरात के पर्यावरण मंत्री मुलुभाई बेरा

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गुजरात के अहमदाबाद में हो रहे पञ्चजन्य के साबरमती संवाद-3 प्रगति की गाथा कार्यक्रम में गुजरात के पर्यटन मंत्री मुलु भाई बेरा ने ‘पर्यावरण अनुकूल विकास’ मुद्दे पर बात की। उन्होंने कहा कि गुजरात के हर क्षेत्र में जितना काम हो रहा है, उसकी एक लंबी कहानी है, लेकिन संक्षेप में बात करें तो नवीकरणीय ऊर्जा में गुजरात अग्रणी है। हम भारत के पहले राज्य हैं, जिसने सोलर पॉवर नीति लागू की है। सवाल जवाब के सत्र में उन्होंने कई प्रश्नों के जवाब दिया। पेश है बातचीत के प्रमुख अंश…

एक मंत्री के तौर पर जब आपने कार्यभार संभाला था, तो सबसे पहले आपके मन में क्या था? क्या आपके मन में विरासत को आगे ले जाने की घबराहट थी, या कॉन्फिडेंट थे कि कुछ अच्छा करेंगे?

जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात में थे, वे 13 साल यहां के मुख्यमंत्री रहे। उन्होंने अपने कार्यकाल में जो व्यवस्था बनाई थी, उसी पर आज गुजरात प्रत्येक क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है। पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास की इस यात्रा में गुजरात ने पर्यावरण को प्राथमिकता दी है। ग्रीन एनर्जी, जल संरक्षण और टिकाऊ कृषि के जरिए सतत विकास की दिशा में राज्य सरकार लगातार काम कर रही है। गुजरात के हर क्षेत्र में जितना काम हो रहा है, उसकी एक लंबी कहानी है, लेकिन संक्षेप में बात करें तो नवीकरणीय ऊर्जा में गुजरात अग्रणी है। हम भारत के पहले राज्य हैं, जिसने सोलर पॉवर नीति लागू की है।

कच्छ, धोलेरा में सोलर पार्क हो या पवन ऊर्जा की बात हो तो ये परियोजनाएं राज्यभर में चल रही हैं। इन परियोजनाओं के कारण हरित ऊर्जा का गुजरात हब बन गया है। अगर गुजरात के 1600 किलोमीटर के दायरे में फैले समुद्री तट और मैंग्रोव की बात करें तो वहां 2 साल पहले 2023 में पीएम मोदी ने मिस्ट्री योजना को देशभर में लॉन्च किया था। प्रदेश में तटीय मैंग्रोव को संरक्षित करने के लिए कई योजनाएं लॉन्च की गई हैं, जिसमें मिस्ट्री योजना एक है। इसके जरिए तटीय क्षेत्रों को प्राकृतिक आपदाओं से संरक्षित करने का काम किया जा रहा है। इसके अलावा बॉर्डर टूरिज्म के लिए भी विकास किया जा रहा है। इन इलाकों में मैंग्रोव के जंगल देखने लायक हैं।

कोटेश्वर के पास कोरीक्रीक में 200 करोड़ का टूरिज्म का काम किया जा रहा है। इसके अलावा गुजरात के वन क्षेत्र में वृद्धि और जैव विवधता की बात करूं तो राज्य में गिर जैसे कई अभ्यारण्य हैं। गुजरात में एशियाई शेरों की संख्या लगातार बढ़ रही है। 25 साल के बाद राज्य में शेरों की संख्या तेजी से बढ़ी है। गिर के बाद 144 साल के बाद पोरबंदर और द्वारका जिले में जो अभ्यारण्य है, पहले उधर शेर रहते थे, लेकिन अब एक बार फिर से गिर से शेरों को वहां भेजा गया है। बरड़ा अभ्यारण्य को गुजरात में शेरों का दूसरा घर कहा जा सकता है। पर्यटन को देखते हुए काफी वहां पर काफी डेवलपमेंट किया जा रहा है। वन्यजीव संरक्षण की दिशा में गुजरात एक उदाहरण प्रस्तुत कर रहा है।

बाकी के संरक्षित क्षेत्रों में जैव विवधता को बनाए रखने के लिए ठोस प्रयास किए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात में जिस व्यवस्था का निर्माण किया था, उसमें गुजरात आगे बढ़ रहा है।

जब सरकार आम तौर पर इस प्रकार की परियोजनाएं लागू करती है तो स्थानीय स्तर पर लोगों को जो रोजगार मिलता है या अन्य मानदंडों को भी पूरा करना होता है। इन सब चीजों में आम आदमी की भागीदारी किस प्रकार से सुनिश्चित की जाती है?

गुजरात की बात करें तो दक्षिणी गुजरात में काफी संख्या में जंगल हैं, वहां सखीमंडल जैसे मंडली बनाते हैं। जंगल की रक्षा करने में वनवासी सबसे अहम भूमिका निभाते हैं। इन वनवासियों को मंडली में काफी रोजगार मिलता है। डांग और दूसरे जिले, जहां बड़ी संख्या में वनवासी समुदाय के लोग रहते हैं, वहां काफी संख्या मंडलियों की स्थापना की गई है। वन विभाग के बाद इसके द्वारा भी रोजगार के लिए अहम काम किए जा रहे हैं। प्रवासन की दृष्टि से देखें तो स्टेच्यू ऑफ यूनिटी और उसकी आसपास क्राफ्ट के स्टॉलों पर भी लोकल्स को ही रोजगार देने का काम किया जाता है।

गुजरात में पर्यावरण अनुकूल उत्पादन प्रक्रिया को बढ़ाने के लिए गुजरात में इस तरह की नीतियों को अपनाने वाली कंपनियों को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। इससे हम आर्थिक विकास के साथ ही पर्यावरण का संरक्षण भी कर रहे हैं। जल प्रबंधन में भी गुजरात ने पहल की है। सजल और शुजलम सुफलम जैसी योजनाएं इसके लिए संचालित की जा रही हैं। इससे जल उपलब्धि बढ़ी है। खासकर खेतों में सुधार हुआ है। इससे उत्पादन बढ़ा है और लोगों की आय भी बढ़ी है।

पर्यटन और पर्यावरण के संतुलित विकास की बात करें तो गुजरात में पर्यटन को बढ़ाने के लिए ग्रीन एनर्जी फॉर इंडस्ट्रियल ग्रोथ को अपनाने वाली कंपनियों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। नई पीढ़ी के उद्यमियों के लिए राज्य में बड़े अवसर हैं। ग्रीन स्टार्टअप्स, इको फ्रेंडली इनोवेशन के क्षेत्र में नए उद्यमियों को सरकार सहयोग कर रही है, उन्हें वित्तीय सहायता दी जा रही है। स्टार्टअप इंडिया और गुजरात इनोवेशन जैसी सोसायटी युवा उद्यमियों के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं।

जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने के लिए योजनाओं की बात करें तो 2050 तक कार्बन न्यूट्रल बनने की ओर अग्रसर हैं। इसके तहत इलेक्ट्रॉनिक गाड़ियों, सौर ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने वाली परियोजनाओं पर निवेश किया जा रहा है। मैं गुजरात की नई पीढ़ी के उद्यमियों, टेक्नोलॉजी इनोवेटर्स से आह्वान करता हूं कि वे सतत और पर्यावरण अनुकूल विकास के लिए सहयोग के लिए आगे आएं।

जब गुजरात के विकास की बात होती है तो पर्यटन का कितना बड़ा हाथ है? बाहर से आने वाले लोगों या इस तरह की बात करने वालों का कितना बड़ा योगदान रहा है?

गुजरात में प्रवासन उद्योग तेजी से बढ़ा है। पिछले साल की बात करूं तो 18 करोड़ 34 लाख से अधिक पर्यटक देश -विदेश से गुजरात पहुंचे थे। गुजरात में लंबा समुद्री किनारा है, रण और पहाड़ हैं। धार्मिक महत्व के स्थानों पर देश के कई राज्यों से यहां बड़ी संख्या में प्रवासी पहुंचते हैं। इसके कारण यहां बड़ी संख्या में रोजगार पैदा हुए हैं। पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए ‘खुशबू गुजरात’, ‘कच्छ नहीं देखा तो कुछ नहीं देखा’जैसे कई कैंपेन भी चलाए गए थे। कई और भी आईकॉनिक परियोजनाएं हैं, जिन्हें विकसित किया जा रहा है। यहां दिन प्रतिदिन विदेशी पर्यटकों की संख्या बढ़ रही है। टूरिज्म को बढ़ाने के लिए इस साल 21 फीसदी बजट को बढ़ाया गया है। प्रदेश के बांधों में वाटर एक्टिविटी से जुड़े पर्यटन को बढ़ाया जा रहा है। इसके लिए हमने एसओपी डिक्लियर कर दिया है।

गुजरात आने वाले लोग पहले कच्छ जाते थे, लेकिन अब ऐसा लगता है कि वे स्टेच्यू ऑफ यूनिटी जाना चाहते हैं? क्या कुछ बदला है, या कोई प्रतियोगिता चल रही है?

कच्छ में पहले जो धोरणों रण उत्सव है, वो चार दिन का होता था, लेकिन अब ये चार महीने का हो गया है। लोग अभी भी इसे बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। वहीं स्टेच्यू ऑफ यूनिटी की बात करें तो लोग वहां भी बड़ी संख्या में जा रहे हैं। वहां उसके आसपास काफी काम किया गया है। वहां देशी रजवाड़ा, वंदे गुजरात म्यूजियम बनाया जा रहा है। इसमें गुजरात में भारत के योगदान के बारे में बताया जाएगा। वहां जरूरत के हिसाब से काम किया जा रहा है। मैं द्वारका का प्रतिनिधित्व करता हूं। वहां पहले बारिश नहीं होती थी, लेकिन अब वहां काफी अच्छा डेवलपमेंट हुआ है। द्वारका में बड़ी संख्या में पर्यटकों के लिए रिसॉर्ट और होटल बनाए गए हैं, लेकिन वे भी अब कम पड़ रहे हैं। द्वारका-सौराष्ट्र और सोमनाथ के बीच एक पूरी सर्किट बना दी गई है।

टूरिज्म के साथ अक्सर होता है कि इसका सामंजस्य बैठाना काफी मुश्किल होता है?

पोरबंदर के पास मोकर सागर है, कली डैम है उसमें विदेशी पक्षियों का आगमन होता है, जिसे देखते हुए उसे वैश्विक स्टैंडर्ड का बनाने के लिए 200 करोड़ के कार्यों की शुरुआत की गई है। ड्राय डैम को मुख्य आकर्षक स्थल बनाने की पहल शुरू की गई है। इसके सेकंड फेज का काम पूरा हो गया है और इसे भी वैश्विक स्टैंडर्ड का बनाया जा रहा है। विदेशी पर्यटकों को लुभाने के लिए राज्य सरकार ने अलग-अलग जगह पर सर्किट बनाए हैं, जैसे विवेकानंद सर्किट, बौद्ध सर्किट आदि।

Topics: ग्रीन एनर्जीसोलरजल संरक्षणMulubhai BeraWater ConservationGreen Energyनरेंद्र मोदीपर्यावरणEnvironmentगुजरातGujaratNarendra ModiSolarमुलुभाई बेरा
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