साबरमती संवाद-3 में बोलते हुए माननीय जगदीश पांचाल जी
रविवार को गुजरात के अहमदाबाद में आयोजित साबरमती संवाद-3 प्रगति की गाथा कार्यक्रम में गुजरात के राज्य मंत्री जगदीश पांचाल ने प्रगति और प्रकृति के बारे में बात की। उन्होंने बताया कि साबरमती संवाद किसे कहते है- जब देश आज़ाद हुआ था तो देश को एक उपनाम मिला, जिन्होंने भारत पर डेढ़ सौ-दो सौ साल तक राज किया, उन्होंने भारत को एक उपनाम दिया – सपेरों का देश। जब अमृत काल चल रहा है, भारत प्रगति की ओर बढ़ रहा है। देश के यशस्वी प्रधानमंत्री माननीय मोदी जी पिछले 10 वर्षों में और 75 वर्षों की यात्रा में क्या परिवर्तन लाए हैं? वह गुजरात के मुख्यमंत्री भी रहे हैं।
उन्होंने कहा कि साबरमती नदी के तट पर ऐसे कई लोग हैं, खुद भी साबरमती की धरती से हूं। हम इसी धरती पर खेले हैं, बड़े हुए हैं, सर्कस देखे हैं। साबरमती नदी का नाम जरूर रखा गया लेकिन नदी ऐसी ही है, नदी के अंदर पानी बहता है, साबरमती नदी ऐसी ही रही होगी। महात्मा गांधीजी का आश्रम इसी तट पर है। हम ये सारी कहानियाँ किताबों में पढ़ा करते थे। जब मोदी जी ने तय किया कि मुझे साबरमती की दिशा बदलनी है, मुझे विकास लाना है, अगर पूरे देश को विकास की राजनीति किसी ने दी है तो वो नरेन्द्र मोदी जी हैं जिन्होंने 100% पूरे देश को विकास की राजनीति दी है। अगर भूकंप की बात करें तो जब भूकंप आया तो उस समय पूरा 4000 करोड़ रुपया का निवेश कच्छ में था।
भूकंप की वजह से कच्छ में कोई गांव, कोई जिला, कोई तहसील, कोई घर ऐसा नहीं था जहां कोई दुखी न रहा हो। मोदी जी ने सोचा कि मुझे कच्छ का पुनरुद्धार करना है और हमारे सभी गुजरातियों को साथ लेकर चलना है और और कच्छ के लिए हमारी सरकार के समर्पण ने आज पूरे कच्छ की तस्वीर बदल दी है, पूरे गुजरात की तस्वीर बदल दी है।
आज कच्छ में 100 करोड़ रुपए का निवेश आ चुका है, लाखों लोगों को वहां रोजगार मिल रहा है। आज दुनिया भर में जितनी भी पीने के पानी की पाइप लाइन, गैस पाइपलाइन, तेल पाइपलाइन की आपूर्ति और निर्माण हो रहा है, उनमें से 60% पाइप की आपूर्ति गुजरात से हो रही है। जहां पानी देखना किसी के नसीब में नहीं था, उसी साबरमती ने अपनी पूरी दिशा बदल दी और आज जो रिवर फ्रंट दुनिया का सबसे लंबा रिवर फ्रंट बना है, वो हिंदुस्तान के एक राज्य में है और वो है गुजरात।
जहां पर स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का निर्माण हुआ है, सरदार साहब ने जो सपना देखा था, उसे मुझे पूरा करना है। स्टेच्यू ऑफ यूनिटी बनाकर उन्होंने दुनिया को दिखाया कि इंजीनियरिंग क्या है और यह गुजरात में संभव है। उन्होंने दिखाया कि भारत में सब संभव है। ये शब्द मेरे नहीं हैं, भारत ये कर सकता है, गुजरात ये कर सकता है, गुजरात के विद्यार्थी, गुजरात के इंजीनियर ये कर सकते हैं, बिल गेट्स जब विजिट पर थे, तब उन्होंने किताब में लिखा है। ऐसी कई प्रगतिशील चीजें हैं जो गुजरात से शुरू हुई हैं।
”साबरमती संवाद” नाम शायद बहुत सोच-विचार के बाद रखा गया होगा कि साबरमती संवाद ही क्यों, साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल। जापान के राष्ट्रपति साबरमती स्थित संघ आश्रम में आये और हमारे झूले में झूल रहे हैं। आज देश का परिदृश्य बहुत बदल गया है। अगर मैं 10 साल पहले की बात करूं तो जब भी देश का राष्ट्रपति आता था तो वह देश की राजधानी में ही आता था, वहीं उसका स्वागत होता था, वहीं कार्यक्रम होता था और वहीं से वह वापस चला जाता था। आज परिदृश्य बदल गया है। आज ऐसा हो गया है कि कोई भी सीधे देश के किसी राज्य में चला जाता है, ये हम सबने देखा है। जब से नरेन्द्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब से लेकर आज तक कितने विश्व गणमान्य व्यक्ति सीधे गुजरात आये हैं? सूची काफी लम्बी है। यह हमारे लिए गर्व की बात है। यह साबरमती संवाद है और यह देश के आजाद होने के बाद से हमारा विकास है। आज भारत में पिन से लेकर प्लेन तक, ऐसी कोई भी चीज नहीं है जो गुजरात में न बनती हो।
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