ताजिकिस्तान में महिलाओं के बुर्का पहनने पर प्रतिबंध
ताजिकिस्तान, जो एक मुस्लिम बहुल देश है, महिलाओं के पहनावे पर एक नई पुस्तक प्रकाशित करने जा रहा है। इसका उद्देश्य इस्लामी कट्टरपंथ से महिलाओं को बचाना है, न कि सख्त नियम लागू करना। ताजिकिस्तान सरकार महिलाओं और बच्चों को कट्टरपंथी विचारों से बचाने के लिए कदम उठा रही है।
पिछले कुछ वर्षों में ताजिकिस्तान ने पारंपरिक ताजिक पोशाक को बढ़ावा दिया और विदेशी कपड़ों, जैसे बुर्का और हिजाब, पर प्रतिबंध लगाया। ताजिकिस्तान में महिलाओं की पारंपरिक पोशाक में लंबी कढ़ाई वाली , लंबी आस्तीन, ढीली पोशाक शामिल होती है।
संस्कृति मंत्रालय के एक अधिकारी के अनुसार, मंत्रालय ने लड़कियों और महिलाओं के लिए नई राष्ट्रीय पोशाकों पर सिफारिशें तैयार की हैं, जिन्हें जुलाई में प्रकाशित होने वाली एक पुस्तक में शामिल किया जाएगा। मंत्रालय के संस्कृति एवं लोक शिल्प विभाग के प्रमुख खुर्शीद निजोमी ने कहा कि पोशाक हमारी संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो हमें अपने पूर्वजों से विरासत में मिली है और इसकी सुंदरता और शान सदियों से बरकरार है।
इस किताब में यह बताया जाएगा कि महिलाओं को अपनी उम्र के अनुसार क्या पहनना चाहिए, और घर पर, थिएटर में या समारोहों के दौरान क्या पहनना चाहिए। ताजिकिस्तान पहले भी महिलाओं के ड्रेस कोड पर इसी तरह की किताबें प्रकाशित कर चुका है, जिनमें सार्वजनिक जीवन में इस्लामी कपड़ों पर प्रतिबंध लगाया गया था।
ताजिकिस्तान के राष्ट्रपति इमोमाली रहमान, जो 1992 से सत्ता में हैं, ने इस्लामी हिजाब को ‘समाज के लिए समस्या’ बताया है। ताजिक अधिकारियों ने महिलाओं से ताजिक संस्कृति के अनुसार कपड़े पहनने का आह्वान किया है। इसके अलावा, देश ने धार्मिक कट्टरपंथ से निपटने के लिए लंबी दाढ़ी रखने पर भी प्रतिबंध लगाया है। पिछले साल ताजिकिस्तान ने इस्लामी चरमपंथ के खिलाफ अपनी कार्रवाई को तेज किया, जब चार ताजिक नागरिकों पर मास्को के पास एक कॉन्सर्ट हॉल में नरसंहार करने का आरोप लगा था। 2015 में, जब आतंकवादी समूह का प्रभाव बढ़ा था, कई ताजिक नागरिक इस्लामिक स्टेट (ISIS) से जुड़ गए थे।
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