इन दिनों ईसाई बहुल देश ब्रिटेन में इस्लामोफोबिया को लेकर बहुत चर्चा और चिंताऐं हो रही हैं। यह कहा जा रहा है कि विश्व में इस्लाम को लेकर घृणा बढ़ रही है, और इसका सामना करना चाहिए। मगर इसी इस्लामोफोबिया के बढ़ते शोर के दौर में हल्के से एक समाचार आता है और वह समाचार कहीं भी सुनाई नहीं पड़ता। यह खबर ऐसी थी, जिस पर हंगामा मचना चाहिए था, मगर इस्लामोफोबिया को स्थापित करने के दौर में अफ्रीकी देश कांगो से यह खबर दब गई कि वहाँ पर एक चर्च में छिपे हुए 70 लोगों के सिर कलम कर दिए गए।
यह समाचार 6-7 दिन पुराना है। अफ्रीकी देश कांगो में इस शुक्रवार को एक चर्च में 70 लोगों की सिर कटी लाशें मिलीं। इन सभी व्यक्तियों को बंदी बनाकर रखा हुआ था। mirror के अनुसार, ये सभी दुर्भाग्यशाली लोग एडीएफ विद्रोहियों के बंदी थे और जो कसांगा में एक प्रोटेस्टेंट चर्च में पाए गए। एडीएफ लगातार हमले कर रहा है। और लोग लगातार वहाँ से पलायन कर रहे हैं।
इसके अनुसार चर्च हत्याकांड में मारे गए लोगों में वे दर्जनों लोग शामिल हैं जो पिछले बुधवार से गांव में लापता बताए जा रहे हैं। स्थानीय मीडिया से मिली भयावह जानकारी से पता चला है कि इन लोगों का सिर चाकू से धड़ से अलग किया गया।
कांगो में इन दिनों युद्ध चल रहा है और लोग लगातार मारे जा रहे हैं। मगर दुर्भाग्य यही है कि अफ्रीकी देशों में क्या हो रहा है, इसके विषय में चर्चा नहीं होती है। एडीएफ अर्थात एलीड डिफेन्स फोर्सेस आतंकी संगठन आईएसआईएस से जुड़ी है और उन्हें इस क्षेत्र में सबसे खतरनाक सशस्त्र विद्रोही समूह माना जाता है।
opendoors पोर्टल के अनुसार गुरुवार 13 फरवरी को सुबह के लगभग 4 बजे, एलीड डेमक्रैटिक फोर्सेस के संदिग्ध आतंकियों ने लुबेरो क्षेत्र में मायबा में घरों पर हमला किया और कहा कि “बाहर निकलो, बाहर निकलो, कोई शोर नहीं मचाना।“ और बीस ईसाई पुरुष और महिलाएं बाहर आए और उन्हें कैद कर लिया गया। इस खबर को सुनते ही स्थानीय समुदाय के लोग आक्रोशित हुए और बाहर आए, मगर जैसे ही वे बाहर आए, वैसे ही उन्हें घेरकर खड़े हुए एडीएफ के आतंकियों ने और 50 लोगों को कैद कर लिया।
इन सभी लोगों को कसांगा में एक प्रोटेस्टेंट चर्च में ले जाया गया और फिर वहीं पर उन्हें निर्दयतापूर्वक मार डाला गया। एक स्थानीय समाचार वेबसाइट के अनुसार, अकेले पिछले महीने में ही इस समूह ने बसवघा प्रमुख क्षेत्र में 200 से अधिक लोगों की हत्या कर दी थी। जितनी नृशंस ये हत्याएं हैं, उससे भी कहीं अधिक बेशर्म चुप्पी है। इस्लामोफोबिया पर बहसें हो रही हैं, चर्चाएं हो रही हैं और इस बात पर ईसाई देशों में चर्चा हो रही है कि कैसे मुस्लिमों का दिल परेशान न हो, उन्हें किसी भेदभाव का सामना न करना पड़े, मगर अफ्रीकी देशों में ईसाइयों पर ही हमले हो रहे हैं, उन्हें मारा जा रहा है और एक-दो नहीं बल्कि 70 तक लोगों को सिर काटकर मारा जा रहा है, वह समाचार ही मुख्य खबरों से लापता है।
mirror के अनुसार स्थानीय नेताओं का कहना है कि रवांडा का समर्थन पाए हुए पूर्वी कांगो के विद्रोहियों ने उस क्षेत्र के दूसरे सबसे बड़े शहर बुकवु में शुक्रवार को प्रवेश किया था। हंगरी के सताए हुए ईसाइयों के स्टेट सेक्रेटरी ट्रिस्टन अजबेज ने भी एक्स पर लिखा कि उन्हें 70 लोगों के हत्याकांड से बहुत दुख पहुंचा है।
🏴Horrified to learn about the 70 Christian martyrs beheaded by terrorists in a church in Kasanga, DRC. 🙏🏻 Hungary stands in solidarity with the persecuted Christians BUT we need more ⏩️⏩️ the world needs to recognize and act against Christian persecution.❗️
— Tristan Azbej ن (@tristan_azbej) February 19, 2025
उन्होंने यह भी लिखा कि हंगरी सताए हुए ईसाइयों के साथ खड़ा है मगर आवश्यकता है कि विश्व अब पहचानें कि ईसाइयों पर अत्याचार हो रहा है और इसके खिलाफ कदम उठाए।
ईसाई समुदाय के साथ हो रही इस हिंसा पर ही कम्युनिस्ट और औपनिवेशिक मीडिया में चुप्पी नहीं है, बल्कि बांग्लादेश और पाकिस्तान में गैर-मुस्लिमों के साथ उनकी धार्मिक पहचान के आधार पर हो रहे अत्याचारों पर भी यह मीडिया एकदम चुप है। चुप ही नहीं है, बल्कि नकारने की भी प्रक्रिया चालू है और इन तमाम अत्याचारों के बीच कम्युनिस्ट मीडिया यह विमर्श तैयार कर रहा है कि आज पूरे विश्व में इस्लामोफोबिया किस सीमा तक फैल रहा है और इसी शोर में तमाम हत्याएं दब रही हैं।
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