महाकुंभ में सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करते जनजाति कलाकार
गत फरवरी तक प्रयागराज महाकुंभ में अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम द्वारा विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। 6 फरवरी को युवा कुंभ आयोजित हुआ। इसे संबोधित करते हुए राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष हर्ष चौहान ने कहा कि सनातन संस्कृति का प्रतीक यह महाकुंभ वास्तव में आरण्यक संस्कृति के चैतन्य का मूल स्वरूप है। इस स्वरूप को महाकुंभ में अनुभव किया जा रहा है।
महामंडलेश्वर रघुनाथबाप्पा फरशीवाले ने कहा कि जनजातीय समाज सभी दृष्टि से सनातन का ही हिस्सा है और इसे न कोई अलग कर सकता है और न कोई उससे लंबे समय तक दूर जा सकता है। जनजाति मामलों के केंद्रीय राज्यमंत्री दुर्गादास ऊईके ने कहा कि कुछ अदृश्य शक्तियां जनजाति समाज को बहला-फुसलाकर भटकाने का प्रयास कर रही हैं, इसे विफल करना होगा। वनवासी कल्याण आश्रम के राष्ट्रीय अध्यक्ष सत्येंद्र सिंह ने युवाओं से कहा कि वे अपनी प्रतिभा और संघर्षशीलता से क्षमता प्राप्त कर अपने समाज का भला करें।
एक दिन जनजाति कार्य मंत्रालय, इंदिसेवा समर्पण संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में सांस्कृतिक समागम रा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र और हुआ। इसमें जनजाति समाज की 120 नृत्य टोलियों ने अपनी नृत्य कला का प्रदर्शन किया। 9 फरवरी को जनजाति समाज के लिए निरपेक्ष भाव से कार्य करने वाले विभिन्न महानुभावों को सम्मानित किया गया।
10 फरवरी को संत समागम के साथ जनजाति समागम का समापन हुआ। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि सनातन परंपरा को बचाए रखने में हमारे वनवासी समाज का बहुत बड़ा योगदान रहा है। इस ज्ञान-संस्कार परंपरा के संवर्धन के लिए जनजाति क्षेत्र के संतों को अधिक प्रयास करने की आवश्यकता है। इस अवसर पर जनजाति समाज के 77 संतों-महंतों के साथ कल्याण आश्रम के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री सत्येंद्र सिंह, श्री गंगाधर जी महाराज और श्री दादू दयाल सहित अनेक वरिष्ठ कार्यकर्ता उपस्थित थे।
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