केरल में वामपंथी मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन की अगुवाई वाली सरकार ने सत्ता को साधने के लिए बड़ा फैसला लिया है। वामपंथी सरकार ने मामूली से वेतन वृद्धि की मांग के लिए लंबे समय से प्रदर्शन कर रही 30,000 से अधिक आशा कार्यकर्ताओं को दरकिनार करते हुए सीधे प्रदेश के लोकसेवा आयोग के अध्यक्ष और राजनीतिक नियुक्ति पाए 21 सदस्यों की सैलरी में डेढ़ लाख रुपए तक का इजाफा कर दिया है।
पिनाराई विजयन की अगुवाई वाली सरकार ने अपनी नीतियों को स्पष्ट कर दिया है। वो केवल सत्ता पर बने रहना चाहती है और इसे समझते हुए कि शासन संचालन में उच्चाधिकारियों की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका होती है। सरकार ने ये फैसला लिया है। इसी के बाद अब से केरल लोकसेवा आयोग के अध्यक्ष का वेतन डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के जजों के सुपर टाइम स्केल के बराबर वेतन मिलेगा। यानी कि अध्यक्ष का वेतन अब 2.24 लाख रुपए से बढ़ाकर 3.81 लाख रुपए कर दिया गया है।
इसी प्रकार से सदस्यों का वेतन भी 2.19 लाख रुपए से बढ़कर अब 3.73 लाख रुपए प्रति माह कर दिया गया है। इसके अलावा इन्हें केंद्रीय डीए भी मिलेगा। साथ ही इन्हें 35,000 रुपए मकान का किराया और 10,000 रुपए गाड़ी के भत्ते के तौर पर दिए जाएंगे। अब इतना किया है तो ये भी जान लीजिए कि लोकसेवा आयोग में ये सदस्य हैं कौन? तो इसमें पीएससी सदस्य सीपीएम, सीपीआई, केरल कांग्रेस (एम) और एनसीपी के नेताओं रखा गया है। इतना ही नहीं इन्हें वो सभी लाभ भी मिलेंगे, जो कि प्रदेश के मुख्य सचिव को मिलता है। यानि कि इनके परिवार के सदस्यों तक के लिए इलाज पूरी तरह से मुफ्त होगा।
पूर्व चेयरमैन की भी बल्ले-बल्ले
इसके साथ ही विजयन सरकार ने लोकसेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष को भी मालामाल कर दिया है। पूर्व अध्यक्ष की पेंशन बढ़कर दोगुनी हो गई है। जबकि, सदस्यों की पेंशन 1.20 लाख रुपए से बढ़कर 2.25 लाख रुपए तक हो गई है। केरल पीएससी में हैं सर्वाधिक सदस्य। ऐसा इसलिए, क्योंकि जनसंख्या के लिहाज से देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में केवल 6 सदस्य हैं, तमिलनाडु में 14 और कर्नाटक में 13 सदस्य हैं।
आशा कार्यकर्ताओं को मिल रहे 7,000
प्रदेश की 30,000 आशा कार्यकर्ताएं मामूली वेतन वृद्धि के लिए दिन रात प्रदर्शन कर रही हैं। ये आशा कार्यकर्ताएं मानदेय बढ़ाकर 21,000 करने की मांग कर रही हैं, ये चाहती हैं कि 62 साल में जब ये रिटायर हों तो कम से कम 5,00000 लाख रुपए मिलें, लेकिन उसे सरकार नहीं सुन रही है।
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