कर्नाटक

आखिर क्यों कर्नाटक सरकार ने इंफोसिस के खिलाफ शुरू की जांच?

इंफोसिस ने 350 कर्मचारियों को टेस्ट में फेल होने के बाद फायर कर दिया है। इसके बाद इन कर्मचारियों ने कंपनी के खिलाफ केस किया है।

Published by
Kuldeep singh

कर्नाटक सरकार ने देश की सबसे बड़ी आईटी कंपनियों में से एक इंफोसिस के खिलाफ जांच बैठा दी है। वजह केवल इतनी सी है कि इंफोसिस ने अपने 350 फ्रेसर्स कर्मचारियों को टर्मिनेट कर दिया था।

क्या है पूरा माजरा

अगर हम पूरे मामले को समझने की कोशिश करें तो पता चलता है कि 350 फ्रेशर्स को 2022 में आईटी कंपनी ने नौकरी का ऑफर दिया। ऑफर के बाद भी सभी कर्मचारियों को 3 बार टेस्ट देना था। ये टेस्ट थे डाटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम (DBMS) औऱ जावा प्रोग्रामिंग को लेकर थे, लेकिन आईटी कंपनी में नौकरी का सपना देख रहे ये फ्रेशर्स एक भी टेस्ट पास नहीं कर सके। इसमें इन कर्मचारियों को कम से कम 65 प्रतिशत अंक लाने थे, लेकिन ये उसमें नाकाम रहे।

इसके बाद कंपनी ने इन्हें फायर कर दिया। ऐसे में ये सभी कर्मचारी कंपनी के इस कदम के खिलाफ आईटी कर्मचारियों के यूनियन NITES के पास चले गए। बाद में NITES ने इंफोसिस के खिलाफ केस कर दिया। कंपनी के खिलाफ 350 कर्मियों को फायर करने के मामले में एक्शन लेते हुए कांग्रेस की सिद्धारमैया की अगुवाई वाली सरकार ने कंपनी के ही खिलाफ जांच बैठा दी। मामले की जांच की कमान प्रदेश के लेबर कमिश्नर को सौंपी गई है। आईटी यूनियन भर्ती मामले में पारदर्शिता लाने की अपील की है।

विप्रो भी कर चुकी है ऐसा

वैसे तो ये कोई नई बात नहीं है, क्योंकि टेस्ट में फेल होने वालों को वैसे भी कोई भी कंपनी नहीं रखती है। कारण ये है कि कंपनी को चाहिए स्किल्ड एम्प्लॉई, लेकिन पिछले कुछ वक्त में इस मामले में भी राजनीति शुरू हो गई है। इंफोसिस से पहले एक अन्य आईटी कंपनी विप्रो ने भी टेस्ट में फेल हुए कर्मियों को बाहर निकाला था, जिसके बाद भी इसी तरह का बवाल खड़ा किया गया था। इसको लेकर विप्रो के एचआर सौरभ गोविल कहते हैं कि कंपनी को ये सुनिश्चित करना होता है कि कर्मचारियों की तकनीकी जानकारी ठीक रहे।

Share
Leave a Comment