कोलकाता, (हि.स.)।अरुणाचल प्रदेश के तवांग जिले से 35 किलोमीटर दूर स्थित मागो गांव न केवल अपनी अद्भुत प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है, बल्कि यह सामरिक दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह गांव अरुणाचल प्रदेश के सबसे ऊंचे चढ़ने योग्य शिखर गोरिचेन पीक का प्रवेश द्वार माना जाता है, जिसकी ऊंचाई समुद्र तल से 21 हजार 300 फीट है।
भारतीय सेना के पूर्वी कमान मुख्यालय ‘विजय दुर्ग’ ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा है कि यह इलाका सिर्फ पर्यटन और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए ही नहीं, बल्कि सामरिक रूप से भी बेहद अहम है। मागो-चूना घाटी में स्थित हाई-एल्टीट्यूड ‘चूना पोस्ट’ का उपयोग भारतीय सेना द्वारा भारत-तिब्बत सीमा पर सुरक्षा के लिए किया जाता है।
यह पोस्ट रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है और दुर्गम इलाकों में सेना की मौजूदगी को दर्शाती है। मागो-चूना घाटी का सौंदर्य किसी परीकथा से कम नहीं है। यहां संकरे दर्रे, छिपी हुई गुफाएं और रंग-बिरंगे अल्पाइन वन हैं, जो इसे एक अद्वितीय पर्यटन स्थल बनाते हैं। इस क्षेत्र की हर मोड़ पर प्रकृति के नए आश्चर्य देखने को मिलते हैं, जो हर आने वाले को एक नई ऊर्जा प्रदान करते हैं। भारतीय सेना की सतर्कता और प्रकृति की इस अद्भुत रचना का यह संगम मागो गांव को एक अनोखा पहचान देता है। यह न केवल सैन्य रणनीति का अहम केंद्र है, बल्कि प्रकृति प्रेमियों और साहसिक पर्यटकों के लिए भी स्वर्ग समान है।
टिप्पणियाँ