उत्तराखंड: जंगल की आग, रोकने पर बंद कमरों में बनती रही है योजनाएं, मानव निर्मित आग पर दीर्घ कालीन योजना बनाने की जरूरत
May 8, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत उत्तराखंड

उत्तराखंड: जंगल की आग, रोकने पर बंद कमरों में बनती रही है योजनाएं, मानव निर्मित आग पर दीर्घ कालीन योजना बनाने की जरूरत

पिछले दस सालों में हर साल लगभग दो हजार हेक्टेयर जंगल आग की चपेट में स्वाहा हो चुका है। कोरोना काल वर्ष में केवल 172.69 हेक्टेयर जंगल को नुकसान हुआ।

by दिनेश मानसेरा
Feb 17, 2025, 11:51 am IST
in उत्तराखंड
Uttarakhand Forest fire
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

देहरादून: उत्तराखंड की वन संपति को हर साल करोड़ों का नुकसान देने वाली जंगल की आग पर काबू पाने के लिए वन विभाग के पास आज भी कोई ठोस योजना नहीं है। वन अधिकारी, ग्रीष्म मौसम में लगने वाली आग को, बारिश से बुझने का इंतजार करते हुए वक्त बिता देते हैं।

उत्तराखंड में आग को बुझाने के लिए कोई गंभीर प्रयास हो रहे हो, इस पर कई तरह के सवाल उठते रहे हैं। एक टहनी झाड़ लेकर जंगल की आग बुझाने वाले संविदा कर्मियों के पास अग्नि रोधक वर्दी तक नहीं है। जबकि, जंगल में तुरंत आग न फैले इसके लिए कई अत्याधुनिक संयंत्र भी बाजार में आ चुके हैं, किंतु उस ओर किसी ने जानने या खरीदने का प्रयास भी नहीं किया। इस साल अभी गर्मियां शुरू भी नहीं हुई और पहाड़ों में जंगल की आग लगने की घटनाएं सामने आने लगी हैं। मौसम विभाग का भी ये कहना है कि ये 2025 साल भीषण गर्मी वाला साल रहने वाला है।

पिछले दस सालों में हर साल लगभग दो हजार हेक्टेयर जंगल आग की चपेट में स्वाहा हो चुका है। कोरोना काल वर्ष में केवल 172.69 हेक्टेयर जंगल को नुकसान हुआ। यानि ये स्पष्ट है कि जंगल में आग लगने का कारण प्राकृतिक नहीं मानवीय है।
ऐसा भी माना जाता है कि वन तस्कर ही आग लगाते हैं ताकि उनकी चोरी छुप जाए, इनमें कुछ भ्रष्ट विभागीय अधिकारी भी शामिल रहते हैं। लकड़ी चोरी, लीसा चोरी जड़ी बूटी तस्करी करने वाले गिरोह इसमें शामिल रहते हैं।

इसे भी पढ़ें: उत्तराखंड: मस्जिद में तेज आवाज से हुई अजान, पुलिस ने ठोंका दस हजार का जुर्माना 

उत्तराखंड में 21033 जंगल आग की घटनाएं

फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया ने उत्तराखंड में 21033 जंगल आग की घटनाएं रिकार्ड की है जो कि देश में सबसे ज्यादा है।
पिछले दस सालों में उत्तराखंड वन विभाग 15294 हेक्टेयर जंगल की आग में प्रभावित होने की बात कह रहा है।

जबकि,  फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया और अन्य उपग्रह आधारित पर्यावरण एजेंसियां अपने अलग दावे करते हुए ये संख्या अधिक बताती रही हैं। पिछले दस वर्षों में 28 लोगों की मौत, जंगल की आग से हुई। जिनमें पिछले साल ही 11 व्यक्तियों का आंकड़ा भी शामिल है। इसमें वन विभाग के कर्मचारी भी शामिल है, जिनकी अल्मोड़ा जिले में दर्दनाक मौत हुई थी। जंगल में आग से घायलों की संख्या 82 बताई गई है।

2016 में 4433.75 हेक्टेयर जंगल में आग लगी जो कि पिछले दस सालों में सबसे अधिक बताई गई है। पहाड़ों की भौगोलिक स्थितियां ऐसी है कि वन अग्नि रोकने के लिए मानवीय प्रयास नाकाफी है। जब-जब आग ने भीषण रूप लिया है तब-तब दिल्ली में पीएमओ और वन मंत्रालय सक्रिय हुआ है और यहां सेना के हेलीकॉप्टरों की मदद भी ली गई, लेकिन जंगल की आग हेलीकॉप्टर की हवा से और अधिक फैलने का भय रहता है। इसलिए इसका प्रयोग केवल एक इवेंट प्रयास भर के लिए रह जाता है।

हाल ही में विदेशों में लगी जंगल की आग को बुझाने के लिए कई नए-नए उपकरणों और गैस के इस्तेमाल के साथ प्रयास हुए हैं जिन्हें उत्तराखंड में भी आजमाए जाने की जरूरत है। लेकिन यहां वन विभाग ऐसे नव प्रयासों को लेकर कितना संजीदा है ये इस बात से पता चलता है कि जंगल की आग को बुझाने के लिए कोई भी नोडल अधिकारी तैनात नहीं है। आई एफ एस निशांत वर्मा को ये चार्ज कभी दिया जाता है तो कभी हटा लिया जाता है। श्री वर्मा के पास अन्य महत्वपूर्ण विभागों के भी दायित्व हैं। जबकि वन अग्नि की रोकथाम के लिए फुल टाइम अधिकारी की जरूरत है। हाल तो ये है कि आग पर निगरानी रखने के लिए कोई सैटलाइट कंट्रोल रूम तक नहीं है।

वन विभाग के अधिकारी बंद कमरों में बैठके करते हैं और फिर पुराने ढर्रे पर अग्नि काबू पाने की योजना शुरू हो जाती है।
जन सहभागिता, वन पंचायतें, ग्राम पंचायतें आग बुझाने के लिए केवल बैठकें करती है और उन्हें केवल बजट से मतलब रह जाता है। जंगल की आग से न केवल वन संपदा नष्ट हो रही है, बल्कि वन्य जीव जंतु भी बेघर हो रहे हैं। इसका असर हिमालय के बर्फीली क्षेत्र में काली कार्बन की परत के रूप में भी देखी जा रही है, यहां आने वाला पर्यटक, तीर्थयात्री भी आग का भयावह रूप, मीडिया में देख कर नहीं आता जिसका, सीधा असर उत्तराखंड की आर्थिकी पर भी पड़ रहा है। फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट कहती है कि पिछले साल कॉर्बेट टाइगर रिजर्व जैसे आरक्षित वन क्षेत्र में चार से पांच दिनों तक आग लगी रही।

इसे भी पढ़ें: उत्तराखंड: सहसपुर में दर्ज हुआ तीन तलाक का मामला, पुलिस जांच में जुटी

बैठकों का दौर

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से लेकर मुख्य सचिव, वन सचिव जंगल की आग पर काबू पाने के संदर्भ में कई बैठके इस साल में कर चुके हैं। हर बैठक में वही पुराना योजनाएं, जिसे नए रूप में ढाल कर प्रस्तुत कर दिया जाता है। दशकों से चीड़ को आग का सबसे बड़ा कारण बताया जाता रहा है, लेकिन चीड़ को हटाने उसके स्थान पर नई प्रजातियों के पेड़ लगाने की कोई ठोस योजना विभाग के पास नहीं है।

जवाबदेही तय होगी

वन मंत्री सुबोध उनियाल कहते हैं कि जंगल में आग लगने पर क्षेत्र के वन अधिकारी, डीएफओ की जवाब देही तय की जाएगी। सवाल ये है कि अबतक ये जवाब देही क्यों नहीं तय की गई?

पीसीसीएफ (हॉफ) का बयान

वन विभाग के प्रमुख पीसीसीएफ डॉ धनंजय मोहन का कहना है कि जंगल की आग पर नियंत्रण के लिए जन सहभागिता जरूरी है इसके लिए ग्राम वासियों को जंगल की आग पर काबू पाने के लिए जागरूक करने का अभियान शुरू किया गया है और जंगल किनारे प्रचार प्रसार किया जा रहा है कि आग लगने पर क्या करें! उन्होंने कहा कि चीड़ के पत्तों को एकत्र करने और उन्हें वन विभाग को बेच दिए जाने का अभियान भी शुरू किया जा रहा है।

Topics: Forestजंगलfireपुष्कर सिंह धामीPushkar Singh Dhamiउत्तराखंडUttarakhandforest fireजंगल की आगआग
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

उत्तराखंड : केन्द्रीय मंत्री गडकरी से मिले सीएम धामी, सड़कों के लिए बजट देने का किया आग्रह

उत्तराखंड बना वेडिंग हब! : जहां हुआ शिव-पार्वती विवाह वहां पर संपन्न हुए 500+ विवाह, कई विदेशी जोड़ों पसंदीदा डेस्टिनेशन

उत्तराखंड : नंदप्रयाग में मुरारी बापू की राम कथा में पहुंचे CM धामी, सनातन संस्कृति पर कही बड़ी बात

UCC से उत्तराखंड में महिला सशक्तिकरण की नई शुरुआत : CM धामी

केदारनाथ में यात्रियों को मिलेगा फ्री वाईफाई : रुद्रप्रयाग बना डिस्ट्रिक्ट डिजास्टर रिसोर्स नेटवर्क वाला पहला जिला

चारधाम यात्रा 2025 शुरू : CM धामी ने ऋषिकेश से रवाना की बसें, इस बार रिकॉर्ड टूटने की उम्मीद!

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

राफेल पर मजाक उड़ाना पड़ा भारी : सेना का मजाक उड़ाने पर कांग्रेस नेता अजय राय FIR

घुसपैठ और कन्वर्जन के विरोध में लोगों के साथ सड़क पर उतरे चंपई सोरेन

घर वापसी का जोर, चर्च कमजोर

‘आतंकी जनाजों में लहराते झंडे सब कुछ कह जाते हैं’ : पाकिस्तान फिर बेनकाब, भारत ने सबूत सहित बताया आतंकी गठजोड़ का सच

पाकिस्तान पर भारत की डिजिटल स्ट्राइक : ओटीटी पर पाकिस्तानी फिल्में और वेब सीरीज बैन, नहीं दिखेगा आतंकी देश का कंटेंट

Brahmos Airospace Indian navy

अब लखनऊ ने निकलेगी ‘ब्रह्मोस’ मिसाइल : 300 करोड़ की लागत से बनी यूनिट तैयार, सैन्य ताकत के लिए 11 मई अहम दिन

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ

पाकिस्तान की आतंकी साजिशें : कश्मीर से काबुल, मॉस्को से लंदन और उससे भी आगे तक

Live Press Briefing on Operation Sindoor by Ministry of External Affairs: ऑपरेशन सिंदूर पर भारत की प्रेस कॉन्फ्रेंस

ओटीटी पर पाकिस्तानी सीरीज बैन

OTT पर पाकिस्तानी कंटेंट पर स्ट्राइक, गाने- वेब सीरीज सब बैन

सुहाना ने इस्लाम त्याग हिंदू रीति-रिवाज से की शादी

घर वापसी: मुस्लिम लड़की ने इस्लाम त्याग अपनाया सनातन धर्म, शिवम संग लिए सात फेरे

‘ऑपरेशन सिंदूर से रचा नया इतिहास’ : राजनाथ सिंह ने कहा- भारतीय सेनाओं ने दिया अद्भुत शौर्य और पराक्रम का परिचय

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies