कांग्रेस की अगुवाई वाले कर्नाटक में वक्फ बोर्ड की मनमानियों के बीच सरकार और बोर्ड के बीच की साठगांठ उजागर हो गई है। राज्य के ही सामाजिक कार्यकर्ता सैयद अशरफ ने अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री जमीर अहमद, जो कि राज्य वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष भी हैं, पर भूमाफिया अनवर बशा की नियुक्ति करने का आरोप लगाया है।
आरोप है कि जमीर अहमद अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करते हुए बोर्ड के कामकाज और अल्पसंख्यक संस्थानों को प्रभावित कर रहे हैं। प्रदेश वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष के चुनाव के लिए एक्टविस्ट अशरफ और कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष ओबैदुल्लाह शरीफ ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को पत्र लिखकर मांग की कि वो इस मामले में हस्तक्षेप करके एक स्वच्छ छवि वाले उम्मीदवार के चयन को सुनिश्चित करें। इन नेताओं का कहना है कि अनवर बाशा, जिन्हें जमीर अहमद वक्फ बोर्ड में ला रहे हैं वो एक राजनीतिक कठपुतली से अधिक कुछ भी नहीं है।
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कब्रिस्तान पर अतिक्रमण के आरोप
बाशा पर आरोप है कि उन्होंने चित्रदुर्ग जिले में 2.5 एकड़ की कब्रिस्तान की जमीन पर अतिक्रमण करके उस पर घर और स्कूल बना दिया है। बावजूद इसके कि जब वहां पर निर्माण किया जा रहा था तो उस दौरान वहां मानव कंकाल भी मिले थे।
इसके साथ ही आरोप ये भी हैं कि जमीर अहमद खान अवैध तरीके से अपने पिट्ठुओं को अल्पसंख्यक विभागों में प्रमुख पदों पर नियुक्त कर रहे हैं। अशरफ का कहना है कि वक्फ बोर्ड समूचे मुस्लिमों का प्रतिनिधित्व करता है न कि किसी व्यक्ति का। ओबैदुल्लाह शरीफ ने सीएम से अपील की है कि वो वक्फ बोर्ड जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के प्रमुख आपराधिक पृष्ठभूमि वाले व्यक्तियों को नियुक्त कर रहे हैं।
गौरतलब है कि जब जेपीसी वक्फ बिल को लेकर मुस्लिम समुदाय के विचारों को जानने की कोशिश कर रही थी तो उस दौरान कई मुस्लिम संगठनों ने आरोप लगाया था कि वक्फ बोर्ड असल में माफिया बोर्ड की तरह काम करता है। इसमें भूमाफियाओं ने कब्जा कर रखा है।
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