कारोबारी खींचतान के संदर्भ में यूरोपीय संघ की एक्जीक्यूटिव ब्रांच का कहना है कि इस्पात तथा एल्यूमीनियम पर अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने जो भी टैरिफ लगाया है उसके विरुद्ध फौरन कदम उठाया जाएगा। उनका मानना है कि राष्ट्रपति ट्रंप का यह प्रस्तावित कदम आपस में हो रहे कारोबार को एक अलग ही रास्ते पर बढ़ा देगा जो सही नहीं होगा।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने हर वक्तव्य में किसी न किसा बात पर टैरिफ का जिक्र जरूर ले आते हैं। उन्होंने एक के बाद एक, कई देशों पर टैरिफ में कई गुना की वृद्धि की है। हाल में उन्होंने कहा कि जो देश हमारे साथ टैरिफ में जैसा व्यवहार करेगा हम भी उसके साथ वैसा बर्ताव करेंगे। इस बीच टैरिफ को लेकर अमेरिका और यूरोपीय संघ के बीच तीखे बयानों को आदान—प्रदान हुआ है। यूरोपीय संघ ने ‘सख्त कार्रवाई’ की चेतावनी दी है।
यूरोपीय संघ की ओर से जारी बयान देखें तो उसमें अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने इस्पात और एल्यूमीनियम पर जो टैरिफ लगाए हैं उसे लेकर यूरोपीय संघ खासतौर पर नाराज है। इसी को लेकर उसने जल्दी ही कोई उपचारात्मक कदम उठाने की बात कही है। संघ को लगता है कि खुले और निष्पक्ष कारोबार के रास्ते में इस प्रकार की नीति अड़चनें पैदा करने वाली हैं। यहां यह जानना दिलचस्प होगा कि फिलहाल अमेरिका और यूरोपीय संघ के मध्य सालाना व्यापार लगभग 1.5 खरब डॉलर का है। इसमें इस्पात और एल्यूमीनियम के कारोबार का एक बड़ा हाथ रहा है।
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इसी कारोबारी खींचतान के संदर्भ में यूरोपीय संघ की एक्जीक्यूटिव ब्रांच का कहना है कि इस्पात तथा एल्यूमीनियम पर अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने जो भी टैरिफ लगाया है उसके विरुद्ध फौरन कदम उठाया जाएगा। उनका मानना है कि राष्ट्रपति ट्रंप का यह प्रस्तावित कदम आपस में हो रहे कारोबार को एक अलग ही रास्ते पर बढ़ा देगा जो सही नहीं होगा।
‘खुले और निष्पक्ष कारोबार’ अड़चनें पैदा करने वाली अमेरिका की ऐसी नीतियों के विरुद्ध यूरोपीय संघ क्या कार्रवाई करेगा, यह तो अभी स्पष्ट नहीं है, लेकिन इसका असर दोनों पक्षों को झेलना पड़ेगा, इसमें दो राय नहीं हो सकतीं। कुछ यूरोपीय देशों की अर्थव्यवस्था पर भी कुछ अंश में असर दिख सकता है। अमेरिका के प्रस्तावित टैरिफ को लेकर यूरोपीय देशों में भी खलबली सी दिखती है, खासकर उन देशों में जहां इस्पात और एल्यूमीनियम का काफी उत्पादन होता है। यूरोपीय आयोग की टिप्पणी है कि वह यूरोप के कारोबारियों, कामगारों और उपभोक्ताओं पर इस बेवजह के टैरिफ का असर नहीं पड़ने देगा। इसके लिए आयोग क्या करने वाला है, यह आगे पता चलेगा।
अमेरिका और यूरोपीय संघ के बीच फिलहाल लगभग 1.5 खरब डॉलर का कारोबार होता है, दुनिया में ये कुल व्यापार का लगभग 30 प्रतिशत बैठता है। संघ ने आंकड़े सामने रखते हुए कहा है कि साल 2023 में 878 अरब डॉलर का सामानों का कारोबार हुआ था। दोनों के बीच सेवा क्षेत्र में 710 अरब डॉलर का कारोबार हुआ था। उसमें 7 अरब डॉलर का घाटा झेलना पड़ा था यूरोपीय संघ को।
यूरोपीय आयोग अमेरिका की इस ‘नीति’ को खुले कारोबार में अवरोध खड़ी करने वाली मानता है। 27 देशों का गुट यूरोपीय संघ अपने सदस्य देशों के बीच खुले कारोबार को बढ़ावा देता है और इसके लिए नीतियों पर लगाम रखता है। लेकिन अमेरिका इस गुट का सदस्य नहीं है। यूरोपीय संघ का कहना है कि विश्व में वही है जो बढ़—चढ़कर शुल्क लगाने में यकीन नहीं रखता, शुल्क कम से कम रखता है। इसलिए अमेरिका संघ के देशों पर ऐसा कोई शुल्क न लगाए तो बेहतर होगा।
यूरोपीय आयोग का एक और तर्क है कि अमेरिका का उस पर टैरिफ लागू करना एक प्रकार से उसका अपने ही नागरिकों पर टैक्स लगाना ही है। टैरिफ से कारोबार में लागत बढ़ेगी, विकास धीमा होगा और चीजें महंगी हो जाएंगी। टैरिफ से आर्थिक रूप से अनिश्चितता की स्थिति बढ़ेगी। आयोग खुद अमेरिका द्वारा यूरोपीय संघ पर इस्पात तथा एल्यूमीनियम जैसी चीजों पर टैरिफ लगाने का मुखर विरोध कर रहा है।
अमेरिका और यूरोपीय संघ के बीच फिलहाल लगभग 1.5 खरब डॉलर का कारोबार होता है, दुनिया में ये कुल व्यापार का लगभग 30 प्रतिशत बैठता है। संघ ने आंकड़े सामने रखते हुए कहा है कि साल 2023 में 878 अरब डॉलर का सामानों का कारोबार हुआ था। दोनों के बीच सेवा क्षेत्र में 710 अरब डॉलर का कारोबार हुआ था। उसमें 7 अरब डॉलर का घाटा झेलना पड़ा था यूरोपीय संघ को।
कारेाबारी विशेषज्ञ मानते हैं कि ऐसा नहीं लगता कि ट्रंप अपनी टैरिफ घोषणाओं पर कदम वापस लेंगे। लेकिन यूरोपीय संघ इस विषय में आगे क्या कार्रवाई करता है, उस पर दोनों के बीच भविष्य का कारोबार टिका होगा। यूरोपीय संघ से हो रहे व्यापार को ट्रंप अनेदखा भी नहीं कर सकते। इससे उनकी अर्थव्यवस्था पर भी परोक्ष रूप से असर पड़ सकता है।
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