प्रयागराज महाकुंभ में धर्माचार्यों और साधु-संतों के शिविरों में देश-विदेश से आए श्रद्धालुओं का जमावड़ा है। अधिकांश शिविरों में यज्ञ, जप, दान जैसे विविध प्रकार के धार्मिक अनुष्ठान और सेवा कार्य चल रहे हैं। बड़े-बड़े यज्ञ मंडपों के बाहर धर्म ध्वजा लहरा रही है। ध्वनि विस्तारक यंत्रों के माध्यम से वैदिक मंत्रों की गूंज श्रद्धालुओं को बरबस अपनी ओर आकर्षित कर रही है, लेकिन इनमें एक संत का शिविर देशवासियों को कुछ अलग ही संदेश दे रहा है। ये संत हैं स्वामी बालक योगेश्वर दास। इनके शिविर में हो रहा अति विष्णु महायज्ञ उन बलिदानियों के निमित्त है, जिन्होंने देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। इसमें कारगिल, 26/11 और पुलवामा के बलिदानी भी शामिल हैं।
योगेश्वर दास कारगिल युद्ध के बाद से ही हजारों बलिदानी परिवारों के लिए आध्यात्मिक स्तर पर संबल बन कर खड़े हैं। प्रयागराज महाकुंभ में उनके शिविर में हो रहा 108 कुंडीय अति विष्णु महायज्ञ मुख्य रूप से बलिदानियों के लिए है। 14 जनवरी से हो रहे इस यज्ञ में आहुति देने के लिए स्वामी जी ने लगभग 700 बलिदानी परिवारों को बुलाया है। वसंत पंचमी तक लगभग 200 परिवारों के लोग अपने बलिदानी परिजन की आत्मा की शांति के लिए आहुति दे चुके हैं। आचार्य मृदुल बिहारी ने बताया, ‘‘स्वामी जी के सान्निध्य में अति विष्णु महायज्ञ का आयोजन ‘अति विष्णु महायज्ञ सेवा समिति, बद्रीनाथ’ के माध्यम किया गया है।
इस यज्ञ के लिए 108 हवन कुंड बनाए गए हैं।’’ उन्होंने यह भी बताया कि इस प्रकार के कार्यक्रमों के आयोजन के पीछे आध्यात्मिकता तो है ही, लेकिन उससे भी बड़ा उद्देश्य यह है कि आज की युवा पीढ़ी उन बलिदानियों के बारे जान सके और उनके बलिदान से प्रेरणा ले सके। शिविर की व्यवस्था देख रहे देवेंद्रजीत सिंह ‘पिंटू’ ने बताया, ‘‘स्वामी जी अब तक बलिदानियों की आत्मा की शांति के लिए प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक तथा उज्जैन कुंभ के अतिरिक्त द्रास, कटरा, जम्मू तथा जम्मू सीमा पर कई स्थानों पर 42 अति विष्णु महायज्ञ करा चुके हैं। महाकुंभ में आयोजित यज्ञ में अब तक कैप्टन विक्रम बत्रा, मेजर अजय सिंह जसरोटिया, ले.कर्नल आदित्य दहिया, बलजीत, कुलविंदर सिंह सहित लगभग 200 बलिदानी परिवार आ चुके हैं। इन परिवारों के आने-जाने और ठहरने का खर्च स्वयं संत बालक योगेश्वर दास जी उठाते हैं।’’
महाकुंभ में स्वामी जी को आवंटित भूमि के एक बड़े भाग में सैनिक परिवारों के लिए पांच दर्जन से अधिक आवास बनाए गए हैं, जिसमें 50 आवास तो प्लाईवुड के और शेष स्विस कॉटेज हैं। इस क्षेत्र का नाम है-शहीदों का गांव। इन आवासों में रहने वाले बलिदानी परिवारों को सारी सुविधाएं नि:शुल्क मिलती हैं। स्वामी जी का दैनिक कार्यक्रम भी बलिदानी परिवारों के साथ ही जुड़ा रहता है। प्रात:काल इन परिवारों को लेकर संगम स्नान करने जाना, वहां से लौट कर शिविर में पूजा-पाठ, फिर हवन आदि का कर्यक्रम होता है।
रात्रि में सभी परिवारों के साथ राष्ट्रभक्ति के गीत और वीरता के किस्से सुनाए जाते हैं। संत बालक योगेश्वर दास कहते हैं, ‘‘जब कोई सैनिक बलिदान होता है तो सब कहते हैं कि हम बदला लेंगे, यह बलिदान याद रखेंगे, लेकिन कुछ लोग उस बलिदान को भूल जाते हैं। इसे देखते हुए ही इनके परिवार वालों को यज्ञ में सम्मान के साथ बुलाया जाता है। हम बलिदानी परिवारों को आपस में जोड़ते हैं, ताकि वे एक-दूसरे से अपना दुख बांट सकें।’’
कारगिल में बलिदान हुए सैनिकों के परिवारों की इच्छा पर हर वर्ष बलिदान दिवस पर वहां अति विष्णु महायज्ञ का आयोजन होता है। इसमें बलिदानियों के परिवारों के सदस्य भी शामिल होते हैं। इनके जाने-आने का खर्च स्वामी जी ही उठाते हैं। इस वर्ष 16 जुलाई से शुरू होने वाले इस यज्ञ के लिए तैयारियां प्रारंभ हो गई हैं।
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