भारत में वक्फ बोर्ड का आप अपना अलग साम्राज्य है। देश में सेना और रेलवे के बाद सबसे ज्यादा जमीन वक्फ बोर्ड के पास है। रिपोर्टो के मुताबिक, वर्तमान में बोर्ड के पास देश भर में करीब 9 लाख 40,000 एकड़ में फैली करीब 8,72,336 अचल और 16,713 चल संपत्तियां हैं। वक्फ बोर्ड की कुल संपत्तियों की अनुमानित कीमत करीब 1-2 लाख करोड़ रूपए बताई जाती है।
राज्यों में सर्वाधिक वक्फ संपत्तियां उत्तर प्रदेश में हैं। उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड के पास करीब 2,17,000 संपत्तियां हैं, जबकि उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड के पास करीब 15,000 संपत्तियां हैं। उत्तर प्रदेश के बाद सर्वाधिक वक्फ संपत्तियां पश्चिम बंगाल में हैं। इस राज्य में करीब 80,000 वक्फ संपत्तियां दर्ज हैं। उसके बाद पंजाब में करीब 75,000, तमिलनाडु में करीब 66,000 और कर्नाटक में करीब 62,000 वक्फ संपत्तियां हैं। असम के आल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के नेता बदरुद्दीन अजमल के मुताबिक, देश की संसद और उसके आसपास के इलाके भी वक्फ की संपत्ति हैं। संसद के अलावा अजमल के मुताबिक, वसंत विहार का पूरा इलाका और एयरपोर्ट को भी वक्फ बोर्ड की सम्पति बताया गया है।
आश्चर्य करने वाला तथ्य है कि दुनिया में सबसे ज्यादा वक्फ संपत्ति किसी मुस्लिम देश में नहीं बल्कि हमारे भारत में है। मुस्लिम बाहुल्य देशों तुर्की, लीबिया, मिस्र, सूडान, लेबनान, सीरिया, जॉर्डन, ट्यूनीशिया और इराक जैसे इस्लामी देशों में तो वक्फ बोर्ड की परिकल्पना भी नहीं है। अल्पसंख्यक मंत्रालय के वक्फ एसेट मैनेजमेंट सिस्टम ऑफ इंडिया के डेटाबेस को खंगालना चाहिए, जिसमें वक्फ संपत्तियों का ब्यौरा रखा जाता है। डेटाबेस के मुताबिक, देश के 30 राज्यों में वक्फ के पास 8.72 लाख से ज्यादा संपत्तियां हैं, इनमें से 73,000 से ज्यादा संपत्तियां ऐसी हैं जिन पर विवाद है। इसमें से लगभग 8,000 संपत्तियों का विवाद देश की अलग-अलग अदालतों में वर्तमान में लंबित है। सबसे ज्यादा विवादित संपत्तियां पंजाब, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और आंध्र प्रदेश में है। पंजाब में तो वक्फ की 56 फीसद से ज्यादा संपत्तियों पर विवाद है।
हाल के बड़े विवादों की बात की जाए तो तमिलनाडु के तिरुचटई गांव की पूरी जमीन को वक्फ ने अपनी संपत्ति घोषित कर दिया है। वहीं बेंगलुरु के ईदगाह ग्राउंड पर भी विवाद चल रहा है। सरकार के मुताबिक, यहां की जमीन कभी किसी मुस्लिम संगठन या वक्फ को नहीं दी गई, लेकिन कर्नाटक वक्फ बोर्ड का दावा है कि 1850 से यह वक़्फ़ की संपत्ति है। इसलिए हमेशा यह संपत्ति वक्फ ही रहेगी, हाल ही में गुजरात वक्फ बोर्ड ने सूरत नगर निगम की बिल्डिंग पर दावा किया था। वक्फ बोर्ड का दावा है कि मुगल काल के दौरान यह इमारत एक सराय थी और हज यात्रा के दौरान इसका इस्तेमाल होता था। इसी तरह गुजरात वक्फ बोर्ड ने द्वारका में बेट द्वारका के दो द्वीपों पर ही दावा ठोक दिया है। केरल की व्यवसायिक राजधानी कोच्चि में मछुआरों का एक गांव चेराई है, जिसे वक्फ बोर्ड ने अपनी संपत्ति घोषित कर दिया है। गांव के लगभग 600 से अधिक परिवार पलायन के डर में जीने को मजबूर हैं। वहीं वक्फ बोर्ड ने हैदराबाद के फाइव स्टार मैरियट होटल को अपनी संपत्ति करार दिया है। सिर्फ इतना ही नहीं देश के 120 ऐतिहासिक स्मारकों पर वक्फ बोर्ड भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण यानी एएसआई के बीच विवाद चल रहा है।
उत्तर प्रदेश वक्फ बोर्ड का जमीन खोरी कर रहा है। मगर योगी सरकार वक्फ बोर्ड की मनमानी के खिलाफ काफी सख्त हो गई है। रिपोर्टों के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में 14,000 हेक्टेयर जमीन पर वक्फ बोर्ड ने दावा किया है। इसमें से 11,700 हेक्टेयर जमीन सरकारी है। यानी राज्य में वक्फ बोर्ड जितनी भी जमीन पर अपना दावा ठोक रहा है, उनमें से लगभग 80 फीसद जमीन सरकारी है। रिपोर्टों के मुताबिक, लखनऊ का छोटा इमामबाड़ा, बड़ा इमामबाड़ा, बेगम हजरत महल पार्क, अयोध्या का मशहूर बहु बेगम का मकबरा सहित राज्य के कई ऐतिहासिक इमारतों को वक्फ बोर्ड अपना बता रहा है। अगर राज्य के अन्य शहरों की बात की जाए तो बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में वक्फ बोर्ड की 1,637 प्रॉपर्टी है, जिसमें से 406 ऐसी संपत्ति हैं जो सरकारी भूमि पर ही बनी हुई है। वहीं कानपुर में वक्फ की कुल 1670 संपत्तियों की पहचान हुई है। इनमें से 548 सरकारी हैं।
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बाराबंकी जिले की बात करें तो यहां भी 108 हेक्टेयर सरकारी जमीन पर वक्फ का कब्जा मिला है, संत कबीर नगर जिले में वक्फ बोर्ड के पास ऐसी 203 संपत्तियां पाई गई हैं जो सरकारी जमीन पर हैं। वहीं बरेली जिले में वक्त की करीब 3171 संपत्तियां हैं और इनमें से 100 संपत्तियां जांच के दायरे में हैं। सबसे परेशान करने वाली बात तब हुई जब ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रिजवी ने प्रयागराज में महाकुंभ आयोजन स्थल की जमीन पर ही वक्फ का दावा ठोक कर उसे वक्फ बोर्ड की जमीन बता दिया। इसके अलावा जेपीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, वक्फ बोर्ड ने जिन संपत्तियों पर दावा किया है उसके मुताबिक, शाहजहांपुर में 2589 संपत्तियां दर्ज हैं, जिनमें से 2371 संपत्तियां सरकारी जमीन पर हैं। रामपुर में 3365 वक्फ संपत्तियां हैं इनमें से 2363 सरकारी संपत्ति होने की बात सामने आई है। रामनगरी अयोध्या में भी वक्फ ने 3652 संपत्तियों पर दावा किया है, जिनमें से 2116 सार्वजनिक संपत्ति है। जौनपुर में 4167 में से 2096 सरकारी जमीनों पर वक्फ की सम्पति है जबकि, बरेली में 3499 वक्फ संपत्तियों में से करीब-करीब 2000 सरकारी जमीनों पर बनी हुई हैं। लखीमपुर खीरी में 1792, बुलंद शहर में 1778, फतेहपुर में 1610, सीतापुर में 1581, आजमगढ़ में 1575, सहारनपुर में 1497 संपत्तियां ऐसी हैं जो सरकारी जमीन पर बनी हुई हैं। इन्ही वजहों से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि वक्फ के नाम पर जमीन कब्जा करने वालों के खिलाफ एक्शन होगा और एक-एक इंच जमीन वापस ली जाएगी।
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