जिन्ना के देश के सांसदों ने अपना वेतन खुदबखुद 138 प्रतिशत बढ़ा लिया है। उस देश के लोग दबी जबान में कह रहे हैं कि आर्थिक मुसीबतों से निजात पाने को कभी वर्ल्ड बैंक के तो कभी आईएमएफ के आगे गिड़गिड़ाते पाकिस्तान के सांसदों में जरा बुद्धि नहीं है कि पहले वे जनता की मुसीबतें दूर की, आटे, दाल, सब्जी, फल की कीमतें घटाएं, डूबते कारोबार को सहारा दें!
दुनियाभर में ‘भिखारी’ देश के नाते बदनाम हो चुके जिन्ना के देश के नेताओं का शर्म से कोसों दूर का वास्ता नहीं है। यह एक बार फिर साबित हुआ है उनकी नई हरकत से। पाकिस्तान के आपस में लड़ते—झगड़ते—गलियाते नेताओं ने हैरानी की बात है कि एक स्वर से उस विधेयक को पास कर दिया है जो उनका वेतन दोगुना बढ़ाने की बात करता है।
आर्थिक रूप से टूट चुके पाकिस्तान के बेशर्म सांसदों ने अपने वेतन को दोगुना बढ़ाने में जो एकजुटता दिखाई है उसे देख जिन्ना के देश के लोग भी हैरान हैं। जहां देश रोटी के आटे को तरस रहा है, वहां के नेता ऐसा विधेयक पारित करके शायद अपनी पींठ ठोंक रहे होंगे। दुनिया के अनेक देशों के आगे भीख का कटोरा ले जाकर दुत्कार सुन चुके पाकिस्तान के नेताओं को अब अपने ही रीत रहे खजाने को ‘लूटने’ का नया तरीका सूझा है।
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पारित विधेयक के हिसाब से अब जिन्ना के देश के सांसदों ने अपना वेतन खुदबखुद 138 प्रतिशत बढ़ा लिया है। उस देश के लोग दबी जबान में कह रहे हैं कि आर्थिक मुसीबतों से निजात पाने को कभी वर्ल्ड बैंक के तो कभी आईएमएफ के आगे गिड़गिड़ाते पाकिस्तान के सांसदों में जरा बुद्धि नहीं है कि पहले वे जनता की मुसीबतें दूर की, आटे, दाल, सब्जी, फल की कीमतें घटाएं, डूबते कारोबार को सहारा दें!
दो दिन पहले पाकिस्तान की संसद में तब खुशियां मनाई गईं जब सांसदों के वेतन को दोगुना बढ़ाने का विधेयक एक स्वर से पारित हुआ। देश के लिहाज से इस बहुत ‘महत्वपूर्ण निर्णय’ के बाद सांसदों का उछलना देखते ही बनता था। उनके चेहरे कुटिल मुस्कान से खिले जा रहे थे। 100 फीसदी नहीं, अब उनकी पगार 138 फीसदी बढ़ गई है। पहले अगर किसी सांसद को पगार में 2,18,000 पाकिस्तानी रुपये मिलते थे तो अब उसे 5,19,000 रुपये मिलेंगे।
संसद में यह विधेयक प्रस्तुत किया था पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज की सांसद रोमिना खुर्शीद आलम ने। इस ‘संसद सदस्य वेतन और भत्ता (संशोधन) विधेयक 2025’ को देखते ही देखते जबरदस्त एकजुटता के साथ पारित किया गया। यह वही विधेयक है जिसे 26 जनवरी 2025 को संसद की वित्त समिति ने मंजूर किया था।
इस विधेयक का पारित होना साबित करता है कि जिन्ना के देश की संसद को अपनी अवाम से ज्यादा अपने मेम्बरान की ‘आर्थिक बदहाली’ की चिंता है। नहीं तो भला कंगाली के इस आलम में घुट—घुटकर जी रहे नौकरीपेशा पाकिस्तानी को दुत्कारते हुए सांसद अपने वेतन को बढ़ाने की पैरवी भी खुद करते और खुद ही जज बनकर फैसला भी ‘हां’ में दे देते? दिलचस्प बात है कि एक दूसरे को फूटी आंख देखने की जुर्रत तक न करने वाले सत्ता पक्ष तथा विपक्ष के सांसद, दोनों पगार बढ़ाने के मुद्दे पर गलबहियां डाले दिख रहे थे।
सरकारी कंपनियों को न संभाल पा रही पाकिस्तान सरकार उन्हें निजी हाथों में सौंपती जा रही है। जिन्ना का यही देश साल 2023 में ‘डिफॉल्टर’ होने की कगार पर जा पहुंचा था। पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष तथा विश्व बैंक के अलावा दूसरे कई देशों का अरबों डॉलर का कर्जा खाए बैठा है। मूल तो भूल जाएं, वह सूद तक देने की हालत में नहीं है। सरकारी कर्मचारियों को पगार देने तक के पैसे तो हैं नहीं इसके पास, लेकिन कथित भ्रष्टाचारी सांसदों की जेबें और भारी करने के लिए खजाने चाबी तो इन्हीं के पास है।
इस वक्त पाकिस्तान में महंगाई तथा बेरोजगारी, दोनों आसमान पर हैं। प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ आईएमएफ के सामने कई बार गिड़गिड़ा चुके हैं, लेकिन वह एजेंसी भी हर बार शर्तें कड़ी करती जा रही है। लेकिन सांसदों की पगार बढ़ाने के बाद तो देश की जनता सरकार को और दुत्कारने लगी है।
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