किसी भी देश की सबसे बड़ी शक्ति उसके युवा होते हैं और युवा इसली क्योंकि उनके भीतर देश के लिए कार्य करने का जुनून होता है, उन्हें अपने देश के प्रतीकों और पहचानों से प्यार होता है। उन्हें अपने देश के प्रति गौरव बोध होता है। मगर क्या हो यदि देश की युवा पीढ़ी ही यह कहे कि वह देश के लिए लड़ने नहीं जाएगी और उसका देश नस्लवादी है?
क्या हो, जब देश की सांस्कृतिक पूंजी ही उसे शोषण का रूप लगने लगे? हालांकि यह सुनने में बाहुत अटपटा और घातक लग सकता है, मगर ब्रिटेन में जेनेरेशन जेड अर्थात सबसे युवा पीढ़ी का अपने देश के प्रति यही विचार है। ब्रिटेन की समावेशी कल्चर वाली जो सबसे युवा पीढ़ी है, उससे जब द टाइम्स ने उसके देश के प्रति विचारों को पूछा तो बहुत ही चौंकाने वाले कुछ तथ्य सामने आए।
इससे पहले 20 वर्ष पहले ऐसा सर्वे कराया गया था, जिसमें उस समय की युवा पीढ़ी ने देश के प्रति विश्वास व्यक्त किया था और साथ ही उन्हें अपने ब्रिटिश होने पर गर्व था। मगर बीस साल की अवधि में सब कुछ बदल चुका है। वर्तमान में ब्रिटेन में जो 18-27 वर्ष के बीच की आयु के युवा हैं, उनका देश के प्रति विचार विकारों से भरा है और वे देश को लेकर अत्यंत नकारात्मक हैं।
यह अध्ययन YouGov और Public First द्वारा किया गया था और फिर इसे द टाइम्स ने प्रकाशित किया था। इस सर्वे के अनुसार केवल 11 प्रतिशत युवा पीढ़ी ही ब्रिटेन के लिए लड़ेगी और 41 प्रतिशत युवा लोगों ने कहा कि वे किसी भी परिस्थिति में देश के लिए हथियार नहीं उठाएंगे। और सर्वे में भाग लेने वाले लगभग 50 प्रतिशत लोगों का यह मानना है कि यूके अभी भी अतीत में ही अटका है।
इसमें भाग लेने वाले युवाओं का कहना है कि आखिर युद्ध की आवश्यकता ही क्या है? हम शांति के लिए क्यों नहीं संघर्ष कर सकते हैं? युवा लोगों से यह पूछा ही क्यों जाए कि वे ब्रिटेन के लिए लड़ेंगे?
इस सर्वे में भाग लेने वाले प्रतिभागी युवा विभिन्न सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि के थे और उन्होनें असमानता, राजनीति और राष्ट्रीय पहचान के मुद्दे पर अपने मत रखे।
जॉन एफ केनेडी ने अपने भाषण में यह कहा था कि “यह मत पूछें कि देश ने आपके लिए क्या किया, मगर यह पूछें कि आप अपने देश के लिए क्या कर सकते हैं?” देश के लिए कार्य करने का जुनून ही वह होता है, जिसके माध्यम से देश का नाम सम्पूर्ण विश्व में हो सकता है। मगर वह कौन से कारण हैं कि एक समय में पूरी दुनिया में व्यापार के माध्यम से अपना शासन करने वाले ब्रिटेन में उसी की युवा पीढ़ी कह रही है कि अतीत में मत अटके रहो।
युद्ध बेकार होते हैं और पुलिस और सेना में जाने के स्थान पर वे डिलीवरी पर्सन आदि का काम करना पसंद करेंगे। spectator.co.uk में इस विषय पर जो लेख लिखा है, उसमें एक बात बहुत महत्वपूर्ण कही गई है। इसमें लिखा है कि कम कौशल वाले चेन माइग्रेशन की जो एक विशाल लहर ब्रिटेन में आई है, जिसने ब्रिटेन की जनसंख्या में लाकों लोग जोड़ दिए हैं, तो ऐसे में उन लोगों से देशभक्ति की भावना की अपेक्षा कैसे की जा सकती है, जिनके जड़ें ही ब्रिटेन में नहीं हैं और जो अभी आधी शताब्दी में ही देश में आए हैं।
यह बिन्दु बहुत महत्वपूर्ण है। यह इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यदि युवा देश की जड़ों की पहचान के साथ खुद को नहीं पहचानेंगे तो वह देश के लिए क्यों लड़ेंगे? क्यों उनके भीतर यह भाव पैदा होगा कि उन्हें इसी देश ने पहचान दी है तो देश के लिए कुछ करने का उनका समय है। जो लोग वहाँ पर आए और केवल सस्ते श्रम के कारण आए, वे अपनी मूल जड़ों से ही जुड़े रहेंगे, चूंकि वे यहाँ पर केवल कमाने आए हैं, इसलिए देश उनके लिए प्राथमिकता हो ही नहीं सकता है।
इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि जब अंग्रेज भारत में व्यापार करने आए थे और धीरे-धीरे हर प्रकार के छल का प्रयोग करते हुए उन्होनें भारत के व्यापार और राजनीतिक आकाश पर अपना अधिकार जमा लिया था, तो उनकी सहानुभूति और संवेदना भारतीयों के प्रति न होकर केवल अपने लिए थी। चूंकि वे अपनी पहचान को इस धरती के साथ नहीं, बल्कि सात समंदर पार की अपनी ब्रिटिश पहचान के साथ जोड़ते थे, इसलिए वे भारतीयों पर वे अत्याचार कर सके, जिनकी कोई तुलना कहीं नहीं है और चूंकि यह भूमि उनकी नहीं थी, इसीलिए वह जाते-जाते इस भूमि के दो टुकड़े कर गए।
भूमि के प्रति जड़ों का जुड़ाव ही सबसे महत्वपूर्ण बिन्दु है, जो युवाओं को अपनी भूमि के लिए प्राण न्योछावर करने के लिए प्रेरित करता है। यदि वह व्यापार भी करता है तो उसके देश का हित उसके सामने होता है, जैसा अंग्रेजों ने भारत के साथ किया था।
gb न्यूज ने एक 23 वर्षीय मॉडल और पत्रकारिता की विद्यार्थी के हवाले से लिखा कि “मैं क्यों आपकी सहायता करूँ, अगर आप मेरी सहायता नहीं करना चाहते हैं और आधे समय तो आप मुझसे छुटकारा पाना चाहते हैं।“ यह विद्यार्थी आधी इंडियन और आधी जमैका मूल की है। और उन्होनें ब्रिटेन को एक नस्लवादी देश कहा।
रिफॉर्म यूके के नेता निगेल फरेज ने शिक्षा प्रणाली को दोषी ठहराया और कहा कि शिक्षा प्रणाली हमारे बच्चों के दिमाग में हमारे ही देश की गलत छवि बना रही है। इस सर्वे में युवाओं ने पुलिस व्यवस्था में भी भरोसा जताने से इनकार कर दिया।
ब्रिटेन की कथित जेनेरेशन जेड, राजनीतिक उठापटक के माहौल में बढ़ रही है, वह कई मुल्कों की मजहबी और रिलीजियस पहचान के मध्य बढ़ रही है और इतना ही नहीं वह उस इतिहास में बढ़ रही है, जो स्वयं में भ्रामक है। जिन देशों से सस्ते श्रम के लालच में लोगों को बुलाया गया है, वे ब्रिटेन के इतिहास के साथ तालमेल नहीं बैठा पा रहे हैं और जब इतिहास के साथ तालमेल नहीं होगा तो किसकी रक्षा के लिए वे हथियार उठाएंगे। वे बस सामान की डिलीवरी करेंगे और कमाएंगे। क्योंकि देश में आने का मकसद उनका केवल कमाई करना है और कुछ नहीं!
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