माघी पूर्णिमा : गंगाजल में वास करते हैं जगतपालक श्री हरि विष्णु
July 10, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

माघी पूर्णिमा : गंगाजल में वास करते हैं जगतपालक श्री हरि विष्णु

माघ की पूर्णिमा का स्नान पर्व समूचे देश में प्रति वर्ष अनेक रोचक परंपराओं के साथ श्रद्धाभाव से मनाया जाता है किन्तु कुम्भ पर्व के आयोजन के दौरान इस इसकी महत्ता कई गुना बढ़ जाती है।

by पूनम नेगी
Feb 12, 2025, 11:00 am IST
in भारत
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

यूँ तो हिंदू कैलेंडर के ग्यारहवें महीने माघ की पूर्णिमा का स्नान पर्व समूचे देश में प्रति वर्ष अनेक रोचक परंपराओं के साथ श्रद्धाभाव से मनाया जाता है किन्तु कुम्भ पर्व के आयोजन के दौरान इस इसकी महत्ता कई गुना बढ़ जाती है। ऊपर से संयोगवश यदि तीर्थराज प्रयाग में 144 वर्ष बाद आयोजित महाकुम्भ का दुर्लभ सौभाग्य जुड़ जाये तो कहना ही क्या ! वैदिक मनीषियों के अनुसार माघ मास यह अमृत स्नान पर्व लौकिक जीवन को देवजीवन की ओर मोड़कर मानव समाज को अपने अंतर में संयम व त्याग के दिव्य भाव जगाने की प्रेरणा देता है। लोकमंगल व पुण्य प्राप्ति के लिए सनातन हिंदू धर्म में जिन अवसरों को प्रमुखता दी गयी है, उनमें माघी पूर्णिमा के दिव्य स्नान पर्व की विशिष्ट महत्ता है।

जानना दिलचस्प हो कि हमारे अनेक तीर्थ, पर्व और त्योहारों का नामकरण नक्षत्रों के नाम पर हुआ है। शास्त्रीय मान्यता के अनुसार ‘माघ पूर्णिमा’ की उत्पत्ति मघा नक्षत्र के नाम पर हुई है। ‘ब्रह्मवैवर्त पुराण’ के अनुसार माघी पूर्णिमा की तिथि पर जगत पालक श्री हरि विष्णु गंगाजल में वास करते हैं। इसलिए इस दिन गंगा स्नान से असीम आत्मिक आनंद और आध्यात्मिक सुखों की प्राप्ति होती है। माघ पूर्णिमा के दिन ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः’ का जाप करते हुए स्नान व दान करना अत्यंत फलदायी होता है। मान्यता है कि माघ पूर्णिमा के दिन सभी देवी-देवता अंतिम बार स्नान करके अपने लोकों को प्रस्थान करते हैं।

इसलिए इस दिन तीर्थ, नदी, समुद्र आदि में प्रातः स्नान, सूर्य अर्घ्य, जप, तप, दान आदि से सभी दैहिक, दैविक एवं भौतिक तापों से मुक्ति मिल जाती है। इस दिन भगवान सत्यनारायण की कथा सुनने का भी विशेष महत्व है। शास्त्रज्ञ कहते हैं कि माघ पूर्णिमा पर सुबह स्नान के बाद विष्णु की पूजा के बाद पितरों के निमित्त श्राध्द तर्पण और जरूरतमंदों को भोजन, कपड़े, कंबल, तिल, गुड़, घी, फल और अन्न तथा गौ (गाय) आदि का दान पुण्य फलदायी माना जाता है।

माघी पूर्णिमा को होता है कल्पवास का समापन

‘निर्णय सिंधु’ ग्रन्थ में कहा गया है कि माघ पूर्णिमा के स्नान से श्रद्धालु स्वर्गलोक के उत्तराधिकारी बन जाते हैं। माघ पूर्णिमा को स्नान इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस तिथि पर चंद्रमा अपने पूर्ण यौवन पर होता है। पूर्णिमा पर चंद्रमा की किरणें पूरी लौकिकता के साथ पृथ्वी पर पड़ती हैं। इस अमृत स्नान से मानव शरीर पर उन किरणों के पड़ने से आत्मिक शांति की अनुभूति होती है। ज्ञात हो कि श्रद्धालु माघ मास में कल्पवास के लिए प्रयागराज आते हैं, उसका समापन माघी पूर्णिमा के स्नान के साथ होता है। माघी पूर्णिमा से ही फाल्गुन की शुरुआत मानी जाती है, इसलिए भी इस तिथि का विशेष महत्व है। बताते चलें कि माघ स्नान वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। माघ में ठंड खत्म होने की ओर रहती है और इसके साथ ही शिशिर ऋतु की शुरुआत होती है। ऋतु के इस बदलाव का स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर नहीं पड़े, इसलिए पावन नदियों के स्नान का विधान हमारे ऋषियों ने बनाया था।

छत्तीसगढ़ में माघी पुन्नी मेले का आयोजन

बताते चलें कि छत्तीसगढ़ की आध्यात्मिक राजधानी राजिम नगरी में “सोंढूर”, “पैरी” और “महानदी” के संगम पर माघ पूर्णिमा से लेकर महाशिवरात्रि तक पन्द्रह दिनों के लिए लगने वाला के माघ मेले को भारत के पांचवें कुंभ मेले की मान्यता हासिल है। चूंकि छत्तीसगढ़ी में पूर्णिमा को “पुन्नी” कहते हैं। इसलिए यह मेला माघी पुन्नी मेले के रूप में लोकप्रिय है। श्रद्धालुओं की मान्यता है कि राजिम तीर्थ में “राजीवलोचन” और “कुलेश्वर महादेव” के रूप में भगवान शिव और विष्णु साक्षात विराजमान हैं। इसलिए यहां के संगम स्नान से मनुष्य के समस्त कष्ट सहज ही कट जाते हैं। उल्लेखनीय है कि वैष्णव सम्प्रदाय की शुरुआत करने वाले महाप्रभु वल्लभाचार्य की जन्मस्थली “चम्पारण्य” भी यहीं है। राजिम मेले के अवसर पर “चम्पारण्य” में भी महोत्सव का आयोजन होता है। राजिम कुंभ के संत-समागम में भी पूरे देश से हज़ारों साधु-संत उमड़कर इस बात का एहसास कराते हैं कि जीवन के विशाल प्रवाह में निस्वार्थ होकर, निजता खोकर ही एक हुआ जा सकता है।

जल क्रांति, जन क्रांति बने : चिदानंद मुनि

परमार्थ निकेतन के प्रमुख चिदानंद मुनि का कहना है कि हमारी नदियां प्रकृति और धरती की जलवाहिकाएं हैं। जल की महत्ता का सबसे बड़ा उदाहरण हमारी नदियां ही हैं। गंगाजी के जल में करोड़ों श्रद्धालु बिना किसी भेदभाव के स्नान करते हैं और जीवन के अंतरिम आनंद का अनुभव करते हैं। जल के बिना दुनिया में शांति की कामना नहीं की जा सकती। जल विशेषज्ञों के अनुसार आगे आने वाला समय ऐसा भी हो सकता है कि लोग जल के लिए युद्ध करें या विश्व मंप सबसे ज्यादा जल शरणार्थी भी हो सकते हैं। इसलिए हमें जल की महत्ता को समझना होगा, जल केवल मानव जाति के लिए ही जरूरी नहीं है, बल्कि पृथ्वी पर जो कुछ भी हम देख रहे हैं, वह जल के बिना असंभव है।

माघी पूर्णिमा के अवसर पर नदियों में केवल एक डुबकी और एक आचमन नहीं, बल्कि आत्ममंथन की डुबकी लगाएं और अपने जीवन को अमृत कलश से भर लें। इसलिए नदियों में स्नान के साथ उन्हें स्वच्छ, प्रदूषण और प्लास्टिक मुक्त रखना भी हमारा परम कर्तव्य है। अब समय आ गया है कि ‘जल चेतना, जन चेतना बने’, ‘जल क्रांति, जन क्रांति बने’ ताकि जल को लेकर आगे आने वाले संकटों का समाधान हो सके। जल का संरक्षण और संवर्द्धन अत्यंत आवश्यक है क्योंकि जल है तो जीवन है। जल है तो कल है। जल है तो पूजा और प्रार्थना है।

Topics: Gangaगंगाजलमाघी पूर्णिमाMaghi PurnimaMaghi Purnima 2025श्री हरि विष्णुहिंदू कैलेंडरभगवान विष्णु
Share1TweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

Bhagwan Narsingh Jayanti

भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए भगवान विष्णु बने नृसिंह

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

‘एक दिन पूरी दुनिया धारण करेगी भगवा’

महाकुंभ

CPCB रिपोर्ट: प्रयागराज महाकुंभ में उपयुक्त था स्नान के लिए गंगा और यमुना का पानी

प्रतीकात्मक तस्वीर

अब हरिद्वार कुंभ 2027 की तैयारी,धामी सरकार ने दिए निर्देश

Uttarakhand Sanatan Haridwar Biolog

उत्तराखंड: महाशिवरात्रि पर लाखों श्रद्धालुओं ने लगाई गंगा में आस्था की डुबकी, शिवालयों में गूंजा हर-हर महादेव का जयघोष

कल्पवास – कठिन कामना, अनूठी साधना

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

मुंबई: ‘सिंदूर ब्रिज’ का हुआ उद्घाटन, ट्रैफिक जाम से मिलेगी बड़ी राहत

ब्रिटेन में मुस्लिमों के लिए वेबसाइट, पुरुषों के लिए चार निकाह की वकालत, वर्जिन बीवी की मांग

Haridwar Guru Purnima

उत्तराखंड: गुरु पूर्णिमा पर लाखों श्रद्धालुओं ने लगाई पावन गंगा में आस्था की डुबकी

Uttarakhand Illegal Majars

हरिद्वार में 10 बीघा सरकारी जमीन पर बना दी अवैध मजार, हिंदू संगठनों में रोष, जांच के आदेश

Supreme court OBC reservation

केरल की निमिषा प्रिया को यमन में फांसी पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई, केंद्र से जवाब तलब

इंदिरा गांधी ने आपातकाल में की थी क्रूरता, संजय गांधी ने जबरन कराई थी नसबंदी: शशि थरूर

इस्राएल सेना चैट जीपीटी जैसा एक टूल भी बना रही है जिससे फिलिस्तीन से मिले ढेरों डाटा को समझा जा सके

‘खुफिया विभाग से जुड़े सब सीखें अरबी, समझें कुरान!’ Israel सरकार के इस फैसले के अर्थ क्या?

रात में भूलकर भी न खाएं ये 5 चीजें, हो सकती हैं गंभीर बीमारियां

Earthqake in Delhi-NCR

दिल्ली-एनसीआर में 4.4 तीव्रता का भूकंप, झज्जर रहा केंद्र; कोई हताहत नहीं

आरोपी मौलाना जलालुद्दीन उर्फ छांगुर

बलरामपुर: धर्म की भूमि पर जिहादी मंसूबों की हार

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies