महाकुंभ की महिमा सदियों से कही जा रही है। तीर्थराज प्रयाग में अध्यात्म और धर्म के संगम में आस्था की डुबकी लगाने पर इसे महसूस भी किया जा सकता है। साधु-संत और आम जन तो यहां हैं ही, नेता और अभिनेता भी तीर्थराज प्रयाग की शरण में आ रहे हैं। सोशल मीडिया और टीवी ममता कुलकर्णी, मोनालिसा और अभिनेताओं की फुटेज दिखाने में रमे, महाकुंभ से वे मोती न निकाल सके। प्रख्यात गायक पद्मश्री कैलाश खेर एक पॉडकास्ट में महाकुंभ पर बोले।
चाय एंड चिट चैट (@HindiRush) पॉडकास्ट में बात करते हुए कैलाश खेर ने एक सवाल के जवाब में कहा कि महाकुंभ भारत का चित्रण है, पहली बार मेरे भारत का चित्रण हुआ है। विदेशियों ने क्या किया, उन्होंने ब्रैंडिंग की, उनका बैड प्राडक्ट गुड मार्केटिंग से अच्छा चमका। हमारे यहां के धनिया को उन्होंने कोरियांडर बना दिया। ब्रैंडिंग का बहुत असर होता है। हमारे यहां अपनी ब्रांडिंग ही नहीं हुई। हमारे यहां साधु अपने लिए प्रार्थना कर रहे हैं क्या, वे तो अपना पिंडदान करके आए हैं। कुंभ ऐसे समय पर आया जैसे भारत का पुनरुत्थान हो रहा है, जैसे कि भगवान ने 144 वर्ष का संयोग बना दिया। जैसे कि सतयुग का फिर से प्रारंभ होने वाला हो। भारत के फिर से निर्माण के लिए सारी चीजें हो रही हैं। हमारे मंदिर तोड़े गए, भारत ने किसी मंदिर को तोड़ा क्या, किसी मस्जिद को तोड़ा क्या, किसी धर्मस्थान को तोड़ा क्या। कहीं किसी का स्कूल विश्वविद्यालय तोड़ा क्या?
कोल्ड प्ले का क्राउड तो चूरन है…
अभी तो कोल्ड प्ले का इवेंट था, हमसे पूछा किसी ने, इतना क्राउड, मैंने कहा कि इतना क्राउड, ये तो चूरन है। कुंभ की तरफ भेजो जरा कोल्ड प्ले को। तब उसे दिखेगा असली क्राउड, वह गया। किसी ने हमारा मैसेज दिया, उसने डुबकी मारी। उसे समझ आया। भारत का जो पढ़ा लिखा इंसान है वह विदेश भाग रहा है और जो विदेश के हैं वे भारत आ रहे हैं। वे संस्कृत सीख रहे हैं, संस्कृत के मंत्र सीख रहे हैं। ज्यादा से ज्यादा पढ़कर क्या करते हैं, साइंस वाले क्या करते हैं – यंत्र बनाएंगे। जो साधना की धरती है, अध्यात्म की धरती है, विद्या की धरती है, तपस्वियों की धरती है, इसको कहते हैं अध्यात्म की धरती भारत। यह क्या बनाती है- मंत्र। मंत्रों से मन शुद्ध होता है। मन को शुद्ध करने वाला तंत्र ही मंत्र होता है। एक बंदे ने एपल प्रोडक्ट बनाए, मशीन बनाई। जब उसका दिमाग पागल हो गया, तो वहां कहा आया, कैंची धाम। ये कौन है, ये तो लौट के आ रहे हैं और तुम यहां से जा रहे हो।
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दूसरे प्रसंगों पर भी बोले
महाकुंभ में मीडिया में आए अध्यात्म से इतर प्रसंगों पर सवाल पूछने पर कैलाश खेर ने कहा कि शरीर के पीछे क्यों भागते हो। आपको चांद छूने के लिए भगवान ने भेजा और आप कुछ और ही छूकर आ गए। कुंभ में गए और सुंदर आंखों वाली बात कर दी। एक जर्नलिस्ट को यह सब शोभा नहीं देता। यह खोया है भारत ने।
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