विश्व

सड़क पर उतरे London वाले, China के नए ‘जासूसी केन्द्र’ का विरोध, Europe में सबसे बड़े चीनी ‘दूतावास’ पर लटकी तलवार

लंदन वालों का शक है कि हो न हो, चीन अपनी आदत के अनुसार, इस दूतावास के माध्यम से अपने जासूस इस देश में भेजेगा और जासूसी कराएगा

Published by
Alok Goswami

अमेरिका, ब्रिटेन सहित यूरोप के कई देशों में विकास कार्यक्रमों या अन्य किसी काम की आड़ में चीन के जासूस देश की सैन्य रणनीति, विदेश नीति, अर्थव्यवस्था, सामाजिक ताने—बाने के सुराग लेते रहते हैं। कुछ देशों ने तो अनेक संदिग्ध चीनियों को अपने यहां इन्हीं कामों में लगे पाने के बाद हिरासत में भी लिया है।


ब्रिटेन के राजधानी में एक अजब नजारा देखने को मिला। हजारों की संख्या में लंदनवासी एकजुट होकर सड़क पर उतरे थे। उनमें गुस्सा भरा था कि चीन की इतनी हिमाकत कि लंदन में नए ‘दूतावास’ के बहाने नया ‘जासूसी केन्द्र’ बना ले, वह भी घोषित रूप से यूरोप में उसका सबसे बड़ा ‘दूतावास’!

गुस्से में तमतमाए लोगों ने हाथों में तख्तियां ले रखी थीं जिन पर ‘दूतावास’ विरोधी संदेश लिखे थे, वे नारे लगा रहे थे, ‘दूतावास’ बनाए जाने का विरोध कर रहे थे। उन्हें इस पर भी आपत्ति थी कि ऐतिहासिक टॉवर आफ लंदन के पास ऐसे ‘दूतावास’ को बनने क्यों दिया जा रहा है जो शायद आगे चलकर चीन के ‘जासूसी केन्द्र’ के नाते काम करेगा!

विरोध प्रदर्शन में बड़ी संख्या में हांगकांग, तिब्बत और सिंक्यांग प्रांत के उइगर शामिल थे

प्रदर्शन करते हुए लोग लंदन के प्रमुख स्थान रॉयल मिंट कोर्ट के आसपास इकट्ठे हुए क्योंकि यहीं पर उस ‘दूतावास’ का बनना तय हुआ है। विरोध करने वालों के बीच ब्रिटेन के कई कंजरवेटिव सांसद भी थे, जो लेबर सरकार के इस निर्णय के विरुद्ध मैदान में उतरे थे। उन्हें भी शक है कि हो न हो, चीन अपनी आदत के अनुसार, इस दूतावास के माध्यम से अपने जासूस इस देश में भेजेगा और जासूसी कराएगा।

चीन यूं भी ऐसा करने के लिए दुनियाभर में ​बदनाम हो चुका है। अमेरिका, ब्रिटेन सहित यूरोप के कई देशों में विकास कार्यक्रमों या अन्य किसी काम की आड़ में चीन के जासूस देश की सैन्य रणनीति, विदेश नीति, अर्थव्यवस्था, सामाजिक ताने—बाने के सुराग लेते रहते हैं। कुछ देशों ने तो अनेक संदिग्ध चीनियों को अपने यहां इन्हीं कामों में लगे पाने के बाद हिरासत में भी लिया है।

विरोध करने वालों के बीच ब्रिटेन के कई कंजरवेटिव सांसद भी थे

दिलचस्प बात यह है कि विरोध प्रदर्शन में बड़ी संख्या में हांगकांग, तिब्बत और सिंक्यांग प्रांत के उइगर शामिल थे। इसमें सामाजिक कार्यकर्ता भी बढ़—चढ़कर भाग ले रहे थे। सभी का मानना था कि चीन को इस नए ‘दूतावास’ को बनाने की इजाजत नहीं दी जा सकती क्योंकि उसका ट्रेक रिकार्ड उसे बदनाम देश के रूप में दर्शाता है। वे मानते हैं कि यह यूरोप में चीन का ऐसा मिशन बन जाएगा कि अनेक यूरोपीय देशों के लिए मुसीबत खड़ी करेगा।

ब्रिटेन के आवास मंत्री रहे जेनेरिक का कहना है कि रॉयल मिंट कोर्ट में 2018 में चीन ने बड़ी कीमत चुकाकर 20 हजार वर्ग मीटर भूखंड लिया था। उनका मानना है कि देश की सुरक्षा को देखते हुए यह जगह महत्वपूर्ण है और चीन के हवाले नहीं की जा सकती।

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