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टूटा टूटा ऐसा टूटा फिर…हर जगह से रिजेक्शन मिला, लेकिन उठ खड़ा हुआ वो गायक, पहचाना कौन ?

इस गायक ने अपने जीवन से जुड़ी कई बातें शेयर की, वह बातें जिन पर लोग बोलने से हिचकते हैं। विफलताओं ने घेरा, तिरस्कार मिला, लेकिन यह गायक आज किसी पहचान का मोहताज नहीं है

Published by
Sudhir Kumar Pandey

जब चारों ओर से निराशा घेर ले, दुनिया ताने देन लगे, कुटिलताओं के दुष्चक्र रचे जाने लगे, हर जगह से रिजेक्शन मिले, विश्वास टूट जाए तो उस समय भी राह दिखाता है अध्यात्म। आत्मा कहती है तू लड़, उठ खड़ा हो। किसी समय प्रख्यात गायक कैलाश खेर के साथ भी इसी तरह हुआ था। निराशा के घनघोर बादल उन पर टूट पड़े, वह हारे भी, टूटे भी, लेकिन फिर उठ खड़े हुए। एक पॉडकास्ट में कैलाश खेर ने अपने जीवन से जुड़ी कई घटनाओं पर बात की।

चाय एंड चिट चैट (@HindiRush) पॉडकास्ट में कैलाश खेर ने वो सारी बातें शेयर की, जिन पर लोग बोलने से हिचकते हैं। कैलाश खेर कहते हैं कि जब विफलताएं होती हैं, कुटिलताएं होती हैं तो कुछ सूझता नहीं है। रिजेक्शन मिले, तिरस्कार मिला। जैसे कि घर में एक बच्चा हो जो पढ़ने में बहुत तेज हो और एक बच्चा कला में तेज हो, तो कला वाले बच्चे को दया भाव से देखा जाता है। जो म्यूजिक बना रहा है उसके साथ भी ऐसा हुआ। ऐसा लगा कि किसी गलत समय में किसी गलत ग्रह में हैं। कलाकार दिन में कितनी बार तोड़ा जाता है पता नहीं चलता।

जब गंगा में छलांग लगा दी

कैलाश खेर दिल्ली में जन्मे और यहीं पढ़े-बढ़े। कुछ दिन मेरठ में भी रहे। करीब पंद्रह साल में एक्सपोर्टर बन गए। जर्मनी के हैम्बर्ग सामान भेजते थे। बिजनेस शुरू हुआ। जमा भी। कैलाश बताते हैं कि इसी बीच मैं कपटी होने लगा। वाचाल होने लगा। मेरे अंदर छल आने लगा। मेरे अंदर कोई और जीने लगा। इस बीच बिजनेस में लॉस हुआ। ऑडर्र कोलैप्स हुआ। हर तरफ निराशा छा गई। कर्ज में डूबा। उस समय चारों तरफ से विफलता दिखी। कुछ सूझ नहीं रहा था और मैंने आत्महत्या के लिए गंगा में छलांग लगा दी। लेकिन किसी ने मुझे बचा लिया। वह दिव्य आत्मा आज तक मुझे नहीं मिला। वह आत्मा पृथ्वी पर नहीं आ रही है। मैंने कई पॉडकास्ट में इसका जिक्र किया, लेकिन मुझे बचाने वाले आज तक मेरे सामने नहीं आया।

जब नाचने लगे साधु

कैलाश ऋषिकेश गए। उम्र करीब 20 से 21 साल थी। वह गंगा तट पर कर्मकांड करते। कैलाश खेर बचपन से लिखते थे। वह बताते हैं कि जब मैं घाट पर गाता था तो साधु दुशाला ओढ़कर नृत्य करने लगते थे। मुझे पता लगने लगा कि मेरे अंदर कुछ है। मेरी आत्मा ने मुझे शाबाशी दी और मैं इसी तरह के गीत गाने लगा। लेकिन राह इतनी आसान नहीं थी। तीस की उम्र में मुंबई पहुंचे। उनके शब्द और गायकी मुंबई के मिजाज की नहीं थी। वहां फिल्मी गाने चलते थे। रिकॉर्ड करने के लिए गिनी-चुनी कंपनी थीं। बेईमानों का एक नेक्सस था। एक के पास एल्बम के लिए गया तो उसने मना कर दिया।

बगड़ बम बम बम लहरी

कैलाश खेर हिम्मत नहीं हारे और जिंगल्स देना शुरू किया। जिंगल्स हिट होने लगे। इसी एक – डेढ़ साल में फिल्म के गाने का ऑफर आया। फिल्म का नाम था- वैसे भी होता है – पार्ट 2…। इसके बाद जिन्होंने चार साल पहले अल्बम के लिए मना किया था उन्होंने फोन करके बुलाया। मेरी पहला अल्बम 2006 में आया, जिसका नाम था कैलासा। इसका पहला गाना था- तेरी दीवानी…। इसने रिकॉर्ड तोड़े। इसके बाद दूसरा अल्बम आया- कैलासा झूमो रे। चर्चित बम लहरी गाना इसी का है। आज कैलाश खेर किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं।

 

 

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