विदेशी कार कंपनियों की हेराफेरियों पर शिकंजा
May 9, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

विदेशी कार कंपनियों की हेराफेरियों पर शिकंजा

हाल ही में जर्मन कार कंपनी वोक्सवैगन अपनी कारों की गुणवत्ता या दोषों के लिए नहीं बल्कि आयात शुल्क भुगतान में धोखाधड़ी के लिए चर्चा में है।

by डॉ. अश्विनी महाजन
Feb 10, 2025, 02:45 pm IST
in भारत
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

हाल ही में जर्मनी की कार कंपनी ‘वॉक्सवेगन’ अपनी कार की गुणवत्ता अथवा खराबी के लिए नहीं बल्कि आयात शुल्क देने में हेराफेरी के लिए चर्चा में है। गौरतलब है कि यह कंपनी भारत में ‘ऑडी’ ‘बीएमडब्ल्यू’ और ‘स्कोडा’ नाम से कारें बनाती है।

क्या हैं आरोप?

कस्टम विभाग द्वारा भेजे गए नोटिस के अनुसार यह कंपनी जानबूझ कर गलत घोषणा और गलत वर्गीकरण करते हुए, अपनी ऑडी और अन्य कारों के कलपुर्जों पर कम आयात शुल्क दे रही है। इसके चलते कस्टम विभाग ने कंपनी पर 1.4 अरब डॉलर की टैक्स मांग चस्पा की है। विभाग का कहना है कि ‘वॉक्सवेगन’ कंपनी पूरी कार ही आयात कर रही थी लेकिन आयात शुल्क देने में उन्हें कलपुर्जों के रूप में वगीकृत कर रही थी। विभाग का आरोप है कि इस प्रकार से अलग-अलग कलपुर्जों पर कंपनी मात्र 5-15 प्रतिशत का ही आयात शुल्क दे रही थी, जबकि पूरी असेंबली, जिसे सीकेडी, यानि कंपलिटली नॉक्ड डाऊन कहते हैं, पर 30 से 35 प्रतिशत आयात शुल्क अपेक्षित है। यानि 20 से 25 प्रतिशत आयात शुल्क कम दिया जा रहा था।

विभाग ने कंपनी द्वारा कर चोरी के तरीके का भी खुलासा किया है। विभाग का कहना है कि वॉक्सवेगन की स्थानीय इकाई द्वारा अपने आंतरिक सॉफ्टवेयर के माध्यम से जर्मनी चेक गणराज्य और मैक्सिको और दूसरे देशों में अपने स्पलायरों को थोक ऑर्डर भेजे जाते रहे। ऑर्डर भेजने के बाद उन्हें विभिन्न मुख्य कलपुर्जों, जिनकी संख्या मॉडल के अनुसार प्रति वाहन 700 से 1500 थी, में बांटा गया और इन सब कलपुर्जों को अलग-अलग समय पर सप्लाई करवाया गया। कस्टम अधिकारियों का कहना है कि यह हथकंडा इसलिए अपनाया गया ताकि पूरी किट पर ऊंचे शुल्क के भुगतान से बचा जा सके।

केवल वॉक्सवेगन ही नहीं साऊथ कोरिया की एक कार कंपनी ‘किया’ पर भी इसी प्रकार से कलपुर्जों के गलत वर्गीकरण द्वारा कर अवंचन का आरोप कस्टम विभाग द्वारा लगाया गया है। अप्रैल 2024 में ‘किया’ की भारतीय इकाई पर 1350 करोड़ रूपए के कर की चोरी का नोटिस कस्टम विभाग द्वारा भेजा गया था। उस पर कंपनी के जबाव की समीक्षा विभाग द्वारा की जा रही है। कस्टम विभाग ने अपने नोटिस में यह कहा था कि ‘किया’ कंपनी ने एक रणनीति तैयार कर यह सुनिश्चित किया कि उनके आयातों के प्रकार को कस्टम विभाग न पकड़ पाए। रणनीति यह थी कि एक शिपमेंट में सीकेडी को एक बार न मंगा कर उसे अलग-अलग कलपुर्जों के रूप में मंगाया जाए ताकि 30 से 35 प्रतिशत के आयात शुल्क की बजाय उन पर केवल 10 से 15 प्रतिशत का ही आयात शुल्क लगे। टैक्स नोटिस में यह कहा गया है कि ‘किया’ कंपनी द्वारा अपने कारनिवल मॉडल के 9887 इकाईयों को सीकेडी के रूप में 2020 और 2022 के बीच में बेचा गया। जानकारों का मानना है कि मुकदमा हारने की सूरत में ‘किया’ को आयात शुल्क और जुर्माने के रूप में 3100 लाख डॉलर और वॉक्सवेगन को 2.8 अरब डॉलर का भुगतान करना पड़ सकता है।

‘किया’ और ‘वॉक्सवेगन’ के मामले में अंतर केवल इतना है कि ‘वॉक्सवेगन’ के मामले में जांच 14 कारों के मॉडल तक फैली हुई है, जबकि ‘किया’ के मामले में यह 7 सीटों वाली कार्निवल कार, जिसकी कीमत 73500 डॉलर के आसपास है, तक ही सीमित है। लेकिन दोनों मामलों में एक जैसी रणनीति अपनाकर ऊंचे कर से बचने का प्रयास किया गया है। दोनों कंपनियों के मामलें में यह भी अंतर है कि जहां ‘किया’ कंपनी निजी रूप से कर चोरी के मामले का सामना कर रही है, जबकि ‘वॉक्सवेगन’ ने उस मुद्दे को सार्वजनिक भी किया है।

‘वॉक्सवेगन’ ने भारत सरकार पर मुकदमा दायर कर ‘असंभव और विशाल’ 1.4 अरब डॉलर के आयात शुल्क की मांग को रद्द करने की मांग की है।‘वॉक्सवेगन’ का कहना है कि विभाग की आयात शुल्क की मांग कार के कलपुर्जों पर आयात शुल्क के नियमों के विपरीत है और इससे कंपनी की व्यवसायिक योजना प्रभावित होगी।

निवेश की धौंस

नियमों का उल्लंघन करने के बाद होने वाली कार्रवाई के खिलाफ वॉक्सवेगन यह तर्क दे रही है कि सरकार अगर मांग जारी रखती है तो इससे देश में निवेश का माहौल खराब हो जाएगा और विदेशी कंपनियां देश में निवेश नहीं करेंगी। ‘वॉक्सवेगन’ ने यह धमकी दी है कि इस कारवाई से कंपनी जो 1.5 अरब डॉलर का निवेश करने जा रही थी, वो खटाई में पड़ सकता है। कंपनी आरोप लगा रही है कि आयात शुल्क का यह नोटिस विदेशी निवेशकों के भरोसे की नींव पर ही एक आघात है।

यह पहली बार नहीं है कि विदेशी कंपनियों के साथ भारत के किसी कर विभाग का विवाद हुआ हो। इससे पहले भी इस प्रकार का एक बड़ा मामला वोडाफोन कंपनी के संदर्भ में आया था। उस मामले में वोडाफोन कंपनी द्वारा भारतीय नियमों का गलत उपयोग करते हुए जो कर अवंचन किया था, तब वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी के कार्यकाल में, जो बाद में भारत के राष्ट्रपति बने, तत्कालीन भारत सरकार द्वारा नियमों को पिछली तिथि से बदलकर भारी टैक्स वोडाफोन कंपनी पर कर चस्पा किया था। ऐसे में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत को आलोचना का सामना करना पड़ा था। बाद में सरकार द्वारा अपने निर्णय को बदला गया और वोडाफोन कंपनी कर देने से बच गई।

लेकिन ‘वॉक्सवेगन’ के मामले में विभाग का कहना है कि कंपनी ने जानबूझ कर पूरी कार को अलग-अलग भागों में आयात करके कर की चोरी की है। एक विदेशी समाचार एजेंसी रॉयटर के अनुसार सरकारी सूत्र यह कहते हैं कि यदि कंपनी यह मामला हारती है तो उसे भारी टैक्स का भुगतान करना पड़ सकता है। यहां समझना होगा कि यदि सरकार द्वारा कर चोरी के नोटिस का कोई कंपनी तकनीकी रूप से विरोध करे तो कोई कठिनाई नहीं है। लेकिन विडंबना यह है कि ‘वॉक्सवेगन’ कंपनी यह तर्क दे रही है कि यदि उस पर कर का नोटिस नहीं हटाया गया तो वो अपने भविष्य के निवेश के निर्णयों को बदल देगी, और भारत में विदेशी निवेशकों का भरोसा उठ जाएगा या भारत में निवेश का माहौल खराब हो जाएगा, इसलिए सरकार नोटिस को वापिस ले लें, तो यह तार्किक रूप से सही नहीं है।

विदेशी निवेशकों को समझना होगा कि वे भारत में व्यवसाय करने के लिए आए हैं। ऐसे में वे भारतीय नियमों का अनुपालन करने के लिए बाध्य है। यह भी समझना होगा कि पूरी सीकेडी पर ऊंचे कर और कलपुर्जों पर कम कर के प्रावधान पहले से ही हैं और इस कंपनी के लिए या उस समय के लिए उनमें कोई बदलाव नहीं किया गया था। यदि ‘सीकेडी’ पर उच्च कर लगता है और इसके भागों को कम शुल्क पर आयात करने की अनुमति दी जाती है, तो इसके पीछे भारत की स्पष्ट आर्थिक नीति है, जिसका उद्देश्य देश में मूल्य संवर्धन को प्रोत्साहित करना है। ऐसे में जानबूझ कर पूरी सीकेडी को अलग-अलग भागों में रणनीतिक तरीके से मंगाते हुए कर की जानबूझ कर चोरी का मामला बनता है और इस कंपनी और अन्य कंपनियों पर कानूनी कारवाई न्यायसंगत है। यदि इन कंपनियों से यह कर नहीं वसूला जाता तो अन्य कंपनियां जो सही प्रकार से कर देती हैं, तो यह उनके साथ भेदभाव माना जाएगा। विदेशी कंपनियों को समझना होगा कि भारत में कानून सबके लिए समान है, और विदेशी कंपनियां उससे अलग नहीं है।

Topics: Volkswagen Carsविदेशी कार कंपनियों की हेराफेरीFrauds by foreign car companiesकस्टम विभागCustom Departmentवॉक्सवेगनऑडीबीएमडब्ल्यूस्कोडा
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

कर-चोरी पर सीनाजोरी

लखनऊ : एयरपोर्ट से सोने के 30 तस्कर फरार, जानकारी सामने आने पर मचा हडकंप

वाराणसी एयरपोर्ट पर 43.62 लाख के सोने के साथ अकरम और इकबाल गिरफ्तार, शारजाह से छिपाकर लाए थे गोल्ड

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

क्या होगा अगर अश्लील सामग्री आपके बच्चों तक पहुंचे..? : ULLU APP के प्रबंधन को NCW ने लगाई फटकार, पूछे तीखे सवाल

पंजाब पर पाकिस्तानी हमला सेना ने किया विफल, RSS ने भी संभाला मोर्चा

Love jihad Uttarakhand Udhamsingh nagar

मूर्तियां फेंकी.. कहा- इस्लाम कबूलो : जिसे समझा हिन्दू वह निकला मुस्लिम, 15 साल बाद समीर मीर ने दिखाया मजहबी रंग

Operation Sindoor : एक चुटकी सिंदूर की कीमत…

नागरिकों को ढाल बना रहा आतंकिस्तान : कर्नल सोफिया कुरैशी ने पाकिस्तान को किया बेनकाब

पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाने वाला युवक हजरत अली गिरफ्तार 

“पहाड़ों में पलायन नहीं, अब संभावना है” : रिवर्स पलायन से उत्तराखंड की मिलेगी नई उड़ान, सीएम धामी ने किए बड़े ऐलान

योगी आदित्यनाथ, मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश

लखनऊ : बलरामपुर, श्रावस्ती, महराजगंज, बहराइच और लखीमपुर खीरी में अवैध मदरसों पर हुई कार्रवाई

पाकिस्तान अब अपने वजूद के लिए संघर्ष करता दिखाई देगा : योगी आदित्यनाथ

चंडीगढ़ को दहलाने की साजिश नाकाम : टाइम बम और RDX के साथ दो गिरफ्तार

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies