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बांग्लादेश में विरोधियों को कुचलने के लिए ‘ऑपरेशन डेविल हंट’ चालू, जब तक जरूरी तब तक चलता रहेगा

एक तरफ जहां कट्टरपंथियों द्वारा लगातार हिंदुओं और सूफी इमारतों पर हमले हो रहे हैं, अपराध बढ़ रहे हैं और लोग डर के साए में हैं, यहाँ तक कि लाखों रुपयों की फिरौती भी वसूली जा रही है और उसी समय बांग्लादेश की अंतरिम सरकार उन लोगों को हिरासत में ले रही है जो राजनीतिक आधार पर उनके साथ असहमति व्यक्त कर रहे हैं।

by सोनाली मिश्रा
Feb 10, 2025, 10:51 am IST
in विश्व, विश्लेषण
dr muhammad yunus

मोहम्मद यूनुस

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बांग्लादेश में विरोधियों की आवाज दबाने के लिए मोहम्मद यूनुस की सरकार द्वारा ऑपरेशन डेविल हंट अभियान चालू किया गया है। डेविल हंट अर्थात शैतान का शिकार। यह शैतान कौन लोग हैं? ये शैतान वे लोग हैं, जो मोहम्मद यूनुस की सरकार के कदमों का विरोध करते हैं या उनके प्रति असहमति व्यक्त करते हैं।

अंतरिम सरकार ने शनिवार को यह विशेष अभियान इसलिए आरंभ किया, जिससे देश में जनता की सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सके और अराजकता को रोका जा सके। ढाका ट्रिब्यून के अनुसार, इस ऑपरेशन के क्षेत्र में बात करते हुए गृह मामलों के सलाहकार लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) मोहम्मद जहांगीर आलम चौधरी ने संवाददाताओं को बताया कि अभियान का ध्यान उन व्यक्तियों को हिरासत में लेने पर होगा जो देश की स्थिरता के लिए खतरा पैदा करते हैं और यह तब तक जारी रहेगा जब तक सभी शैतानों को न्याय के कटघरे में नहीं लाया जाता। उन्होंने सॉइल रीसोर्स इंस्टीट्यूट में नई सॉइल बिल्डिंग का उद्घाटन करने के बाद कहा, “ऑपरेशन डेविल हंट तब तक जारी रहेगा जब तक हर शैतान को जवाबदेह नहीं ठहराया जाता।”

अब ऐसे में यह प्रश्न उठना लाजिमी है कि शैतान कौन है? सरकार की नजरों में शैतान कौन हैं? इसका भी जबाव देते हुए सलाहकार मोहम्मद जहांगीर आलम चौधरी ने कहा कि हर वह व्यक्ति शैतान है, जो देश में अस्थिरता को बढ़ावा देता है और कानूनों का उल्लंघन करता है। शुक्रवार को गाजीपुर में विद्यार्थियों और आम लोगों पर कथित गंभीर हमले के बाद इस ऑपरेशन को शुरू किया गया।

इस अभियान को आरंभ करने के बाद बांग्लादेश की यूनुस सरकार का दमनचक्र आरंभ हो गया है। डेविल हंट में हर उस व्यक्ति की आवाज को दबाया जा रहा है, जो यूनुस का विरोध कर रहा है। एक दिन में सुरक्षा बलों ने कुल 1308 व्यक्तियों को पूरे देश में हिरासत में लिया है। tbsnews.net के अनुसार कुल गिरफ्तार लोगों में से 274 को मेट्रोपॉलिटन क्षेत्रों से गिरफ्तार किया घाय, जबकि 1034 लोगों को दूसरे क्षेत्रों से गिरफ्तार किया गया है। इसके अनुसार, गाजीपुर में अवामी लीग और उसके सहयोगी संगठनों के 81 नेताओं और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया। कुमिला में अवामी लीग और उसके सहयोगी संगठनों से जुड़े तीन लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया।

गाजीपुर मेट्रोपॉलिटन पुलिस के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक तहरुल हक और गाजीपुर जिला पुलिस अधीक्षक चौधरी जबेर सदेक का कहना है कि गिरफ्तार किए गए अधिकतर लोगों में अवामी लीग के नेता और कार्यकर्ता हैं। यह और भी हैरान करने वाली बात है कि इसमें बांग्लादेश की सेना भी शामिल है। बांग्लादेश की जलसेना ने नोआखाली जिले के हटिया उपजिला में कई स्थानों पर संयुक्त रूप से अभियान चलाकर पाँच कथित आतंकवादियों को पकड़ा, जिनके पास स्थानीय हथियार थे। बांग्लादेश नौसेना, तटरक्षक बल और पुलिस के सदस्यों ने गुप्त सूचना के आधार पर संयुक्त रूप से अभियान चलाया और बाद में बंदियों को पुलिस को सौंप दिया।

मगर फिर यह बात घूम फिरकर आती है कि यह अभियान क्यों चलाया जा रहा है? क्या यूनुस की अंतरिम सरकार बांग्लादेश का पर्याय बन गई है? क्या सरकार की आलोचना को देश की आलोचना समझा जाएगा और फिर उसे ऐसे द्रोह की स्थिति में लाया जाएगा, कि ऐसा करने वालों को जबरन हिरासत में डाल दिया जाए?

दरअसल, होता यही दिखाई दे रहा है। बांग्लादेश छात्र लीग के अध्यक्ष और ढाका विश्वविद्यालय केंद्रीय छात्र संघ के पूर्व सहायक महासचिव हुसैन सद्दाम ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार पर निशाना साधते हुए एक्स पर पोस्ट लिखा है। उन्होंने लिखा है कि मात्र एक ही दिन में बिना किसी जांच के बिना किसी प्रक्रिया के और बिना किसी आरोप के अवामी लीग के 1308 लोगों को हिरासत में लिया गया है और उन्हें केवल उनके राजनीतिक विचारों के लिए हिरासत में लिया गया है।

उन्होंने लिखा कि यह अवामी लीग के साथ जुड़े लोगों की विच हन्टिंग की रणनीतिक प्रक्रिया है, जिसका उद्देश्य लीग से जुड़े लोगों को शैतान ठहराना, चुप करना और अपराधी बताना है। जिस प्रकार से सेना का प्रयोग राजनीतिक विरोधी विचारों को दबाने में किया जा रहा है वह राज्य प्रायोजित अत्याचार से कम नहीं हैं।

https://twitter.com/saddam1971/status/1888644640666226811?

उन्होंने यह भी कहा कि इस प्रकार जो सार्वजनिक स्तर पर गिरफ्तारियाँ हो रही हैं, उन्हें रोका जाना चाहिए और राजनीतिक बिनाह पर हिरासत में लिए गए लोगों को तत्काल छोड़ा जाना चाहिए।“ सोशल मीडिया पर जितना भी कोई शोर मचा ले, मगर सत्यता तो यही है कि बांग्लादेश में राजनीतिक विरोधियों का ऐसा दमनचक्र आरंभ हुआ है, जिसकी तुलना शायद ही कहीं मिले।

वॉयस ऑफ बांग्लादेशी हिंदूज ने भी पोस्ट लिखा कि बांग्लादेश अब जीनोसाइड करने पर आमदा है। रिपोर्ट्स कह रही हैं कि यूनुस ने इस्लामिस्ट और आतंकवादी समूहों के साथ मिलकर ऑपरेशन डेविल हंट शुरू करने का षड्यन्त्र किया है और विश्व को इसे रोकना चाहिए।

BREAKING: Bangladesh is on the brink of a genocidal massacre.

Reports indicate that Yunus has conspired with Islamist and terrorist groups to launch “Operation Devil Hunt.”

The world must act NOW to prevent bloodshed. #Bangladesh #StopTheMassacre #OperationDevilHunt… pic.twitter.com/qfB82x8G1Y

— Voice of Bangladeshi Hindus 🇧🇩 (@VHindus71) February 9, 2025

अब यहाँ पर एक और प्रश्न उठता है कि क्या इस डेविल हंट के नाम पर हो रही विच हन्टिंग को रोका जाएगा? क्या अवामी लीग के कार्यकर्ताओं और नेताओं को इसी प्रकार हिरासत में लेने दिया जाएगा?

9 फरवरी को डेली स्टार में एक रिपोर्ट प्रकाशित होती है, जिसमें यह लिखा गया है कि अंतरिम सरकार के छ महीने और नागरिक सुरक्षा के लिए अभी भी डर के साए में हैं। यह डर इसलिए है क्योंकि देश में छ महीने के बाद भी लूटपाट, जबरन वसूली और यहां तक ​​कि हत्या भी जारी है। इसमें लिखा है कि कई नागरिकों को असुरक्षा का बोध होता है और साथ ही उन्हें बहुत खतरा इसलिए महसूस होता है कि कानून लागू करने वाली संस्थाएं और विशेषकर पुलिस नियंत्रण स्थापित करने में सफल नहीं हो पाई हैं।

इसमें बताया है कि कैसे सूफी इमारतों पर हमले रिपोर्ट किये गए। 23 जनवरी को ग्लोबल सूफी ऑर्गनाइजेशन ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर आरोप लगाया कि पिछले छह महीनों में देश भर में चरमपंथी समूहों द्वारा 80 से ज़्यादा मज़ारों (मंदिरों) और दरबार शरीफ़ों (सूफी केंद्रों) पर हमला किया गया। सरकार ने यह भी पुष्टि की कि 4 अगस्त से अब तक 44 अलग-अलग हमलों में कम से कम 40 ऐसे स्थलों को निशाना बनाया गया है।

एक तरफ जहां कट्टरपंथियों द्वारा लगातार हिंदुओं और सूफी इमारतों पर हमले हो रहे हैं, अपराध बढ़ रहे हैं और लोग डर के साए में हैं, यहाँ तक कि लाखों रुपयों की फिरौती भी वसूली जा रही है और उसी समय बांग्लादेश की अंतरिम सरकार उन लोगों को हिरासत में ले रही है जो राजनीतिक आधार पर उनके साथ असहमति व्यक्त कर रहे हैं।

बांग्लादेश क्या वास्तव में एक अंधेरे कोने में पहुँच गया है, जहां से उसकी वापसी संभव नहीं है? यह प्रश्न सोशल मीडिया पर लोग कर रहे हैं। इसका उत्तर तो समय के गर्भ में है, परंतु यह बात सत्य है कि बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार केवल और केवल राजनीतिक प्रतिशोध के इरादे से ही ऑपरेशन डेविल हंट को लागू कर रही है, क्योंकि हिरासत में लिए गए लोगों में अधिकांश अवामी लीग के नेता, कार्यकर्ता और लीग से जुड़े संगठनों के कार्यकर्ता हैं।

Topics: ऑपरेशन डेविल हंटक्या है ऑपरेशन डेविल हंटOperation Devil Hunt#islamWhat is Operation Devil Huntइस्लामworld Newsbangladeshबांग्लादेशवर्ल्ड न्यूजawami leagueआवामी लीग
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