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ISRO की उपलब्धि भारत के प्राचीन ज्ञान और आध्यात्मिक मूल्यों की देन, महाकुंभ में बोले इसरो प्रमुख वी नारायणन

इसरो चेयरमैन ने कहा कि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाले पहले देश बने और वहां पानी के संकेत ढूंढने में सफल हुए। इसरो की आज जो उपलब्धि है, वह भारत के प्राचीन ज्ञान और आध्यात्मिक मूल्यों की देन है।

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WEB DESK

महाकुम्भ नगर, (हि. स.)। इसरो के चेयरमैन वी. नारायणन भी महाकुंभ पहुंचे। एकात्म धाम शिविर पहुंचेमें अद्वैत लोक प्रदर्शनी का अवलोकन कर प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि यहां आकर आदिगुरु शंकराचार्य का आशीर्वाद मिला, यह मेरे लिए प्रसन्नता का विषय है। इसरो देश की सेवा के लिए प्रतिबद्ध है। हम चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाले पहले देश बने और वहां पानी के संकेत ढूंढने में सफल हुए। इसरो की आज जो उपलब्धि है, वह भारत के प्राचीन ज्ञान और आध्यात्मिक मूल्यों की देन है।

मध्य प्रदेश शासन के एकात्म धाम प्रकल्प की सराहना करते हुए उन्होंने कहा, “जो कार्य मध्य प्रदेश सरकार कर रही है, वह सचमुच प्रशंसनीय है। लड़कर नहीं अपितु एकात्मता के माध्यम से मानवता को जोड़कर एक विकसित राष्ट्र का संकल्प पूर्ण होगा।

उन्होंने कहा इसरो के सभी 20,000 कर्मचारी अपनी पूरी क्षमता के साथ देश की सेवा के लिए संकल्पित हैं। आगामी परियोजनाओं का जिक्र करते हुए बताया कि “चंद्रयान 4, चंद्रयान 5, नए लॉन्चर्स और लॉन्च पैड्स जैसे कई प्रोजेक्ट्स इसरो द्वारा विकसित किए जाएंगे।” उन्होंने आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास के इस प्रयास के प्रति आभार जताया।

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