राज्यसभा में अमेरिका से अवैध भारतीय अप्रवासियों के लौटने के मुद्दे पर वक्तव्य देते हुए विदेश मंत्री जयशंकर
यह पहली बार नहीं है जब अमेरिका से भारतीयों को लौटाया गया है। ऐसा साल 2009 से होता आ रहा है। गत 16 वर्ष में अमेरिका ने अब तक 15,652 भारतीयों को लौटाया है। यह संख्या सबसे अधिक 2019 में थी जब 2,042 भारतीय वापस भेजे गए थे। उन्होंने स्पष्ट कहा कि भारत सरकार अवैध तरीके से किसी अन्य देश में जाने के विरुद्ध है।
अमेरिका से 104 भारतीयों की वापसी को राजनीतिक मुद्दा बनाने पर तुली कांग्रेस ने संसद और बाहर भाजपानीत सरकार को घेरने की कोशिश की है, लेकिन कांग्रेस जानती है कि अमेरिका अवैध प्रवासियों के विरुद्ध ऐसी कार्रवाई वर्षों से करता आ रहा है। इसी बात को भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने तथ्यों के साथ रखकर जहां भारत सरकार की स्थिति स्पष्ट की है वहीं कांग्रेस की ओछी राजनीति की कलई भी खोली है।
राज्यसभा में अमेरिका से अवैध भारतीय अप्रवासियों के लौटने के मुद्दे पर वक्तव्य देते हुए विदेश मंत्री जयशंकर ने साफ कहा है कि अगर किसी देश का कोई नागरिक किसी अन्य देश में गैरकानूनी तरीके से रह रहा हो तो उसे वापस (उसके देश) बुला लेना हर देश की जिम्मेदारी बनती है।
जयशंकर इतने पर ही नहीं रुके, उन्होंने आगे कहा कि यह पहली बार नहीं है जब अमेरिका से भारतीयों को लौटाया गया है। ऐसा साल 2009 से होता आ रहा है। गत 16 वर्ष में अमेरिका ने अब तक 15,652 भारतीयों को लौटाया है। यह संख्या सबसे अधिक 2019 में थी जब 2,042 भारतीय वापस भेजे गए थे। उन्होंने स्पष्ट कहा कि भारत सरकार अवैध तरीके से किसी अन्य देश में जाने के विरुद्ध है। इससे उस देश की सुरक्षा को खतरा हो सकता है।
कांग्रेस को तथ्यों से नहीं, सिर्फ राजनीति से मतलब रहता है, खासकर केन्द्र की मोदी सरकार को किसी न किसी तरीके से घेरने और देश में गलत संदेश प्रसारित करने का कांग्रेस का एजेंडा नया नहीं है। पिछले दिनों अमेरिका ने जैसे ही ऐसे 104 भारतीय लोगों को भारत को लौटाया तो देश की सबसे बूढ़ी पार्टी को वह एक राजनीतिक मौका लगा जब मोदी सरकार पर उंगली उठाकर उसने दिल्ली के चुनावों में नंबर बटोरने की चाल चली जा सकती थी। और इसी को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस ने भ्रामक प्रचार करना शुरू कर दिया कि अप्रवासियों को लौटाने को लेकर सरकार घिर गई है।
बिना वैध कागजात के अमेरिका में रह रहे इन भारतीयों को अमेरिका के सैन्य विमान C-17 से पंजाब में अमृतसर पहुंचाया गया था। अमेरिकी सीमा प्रहरी अध्यक्ष माइकल बैंक ने सोशल मीडिया X पर इस प्रक्रिया का वीडियो साझा किया। उसके बाद से ही विपक्षी कांग्रेस ने संसद के दोनों सदनों सहित बाहर अनेक मंचों पर इसे मुद्दा बनाने की कोशिश की थी। उसने संसद परिसर में विरोध प्रदर्शन भी किया था।
भारत सरकार ने उन 104 लोगों की वापसी और उनके भारतीय होने की फौरन पुष्टि की थी। जयशंकर ने इस सवाल का भी जवाब दिया कि लौटाए गए भारतीयों के हाथ बांधे क्यों गए थे? कांग्रेस ने इस पर कहा था कि उनके साथ आतंकियों जैसा व्यवहार किया गया। भारत सरकार की ओर से कहा गया है कि अमेरिका सरकार अवैध प्रवासियों के संबंध में अपनी नीति के तहत ही उन्हें हाथ बांधकर लौटाती है।
सरकार ने आगे यह भी कहा है कि लौटाए गए लोगों से अधिकारी बात करके यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि वे किस तरीके से अमेरिका गए थे, उन्होंने किन एजेंटों से यह काम करवाया था? इसका उद्देश्य यही है कि आगे से सरकार और सावधानी बरत कर इस प्रकार से अमेरिका जाने वालों को रोक सके। हालंकि कांग्रेस के सांसद शशि थरूर ने आगे आकर स्वीकार किया कि इस प्रकार से भारतीयों की वापसी पहली बार नहीं हुई है। इसलिए इस मुद्दे पर बहुत अधिक बहस की कोई जरूरत नहीं है।
थरूर मानते हैं कि हालांकि ऐसा पहली बार नहीं हुआ लेकिन यह विषय इसलिए एकाएक उछला क्योंकि राष्ट्रपति ट्रंप ने लोगों की अपेक्षा के विपरीत यह कदम बहुत जल्दी उठा लिया। यहां थरूर का यह भी कहना है कि उन्हें सैन्य विमान में हाथ बांधकर भेजे जाने की बजाय नागरिक सेवा से भेजा जाना चाहिए था।
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