प्रतीकात्मक तस्वीर
Mahakumbh: मौनी अमावस्या के मौके पर भगदड़ को लेकर सरकार शुरु से ही कहती आ रही है कि इसमें किसी ने किसी प्रकार की साजिश की गई है। उसका खुलासा जांच के बाद ही हो सकेगा। अब ATS ने भी इसकी ओर इशारा कर दिया है। एटीएस की रडार पर ऐसे 10,000 संदिग्ध हैं, जो कि महाकुंभ में थे। ये वो लोग हैं, जो कि सीएए और एनआरसी के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शनों में भी शामिल थे।
भगदड़ के मामले की जांच को साजिश मानकर केंद्र और राज्य की एजेंसियां कार्य कर रही हैं। NIA, LIU, ATS, STF जैसी तमाम एजेंसियां एक्टिव हैं। इन एजेंसियों की रडार पर ऐसे 10,000 से अधिक संदिग्ध लोग हैं, जो कि सीएए और एनआरसी के विरोध प्रदर्शनों में भी शामिल थे। एजेंसियों के निशाने पर ऐसे गैर हिन्दू हैं, जिन्होंने सबसे अधिक महाकुंभ को सर्च किया है।
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, एसटीएफ के एक अधिकारी ने नाम नहीं छापने की तर्ज पर बताया कि बड़ा आयोजन होने के कारण पिछले कई माह से सुरक्षा एजेंसियां इसको लेकर एक्टिव थीं। शुरू से ही ऐसे लोगों पर नजर रखी जा रही थी। इसी के तहत वाराणसी के आसपास के 10 जिलों के उन सभी लोगों, जिनके लिंक सीएए-एनआरसी विरोध प्रदर्शनों, आपराधिक रिकॉर्ड और प्रदेश सरकार के खिलाफ प्रदर्शनों में शामिल थे, उन्हें महाकुंभ में आने से मना किया गया था।
बावजूद इसके बड़ी संख्या में ऐसे लोग भी आए। ऐसे करीब 16,000 लोग हैं, जिसमें से 117 लोग काशी के बाहर नोटिस किए गए। इसके अलावा यूपी एटीएस ने वाराणसी में एटीएस ने एनएसयूआई के नेता जमाल के बेटे सिराजुद्दीन से भी 3 घंटे तक पूछताछ की।
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जांच के दौरान एजेंसियों ने संदिग्धों की सोशल मीडिया एक्टिविटी, फेस रिकग्निशन तकनीक समेत इंटेलीजेंस के जरिए सभी पर नजर रखी। इस दौरान 10,000 लोग अब एटीएस के रडार पर हैं। इसके अलावा जेल में बंद 18 पीएफआई के आतंकियों से भी पूछताछ की जा रही है।
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